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12 बज गए वाले जोक की असलियत जानने के बाद, जोक बनाने वालों के सिर शर्म से झुक जायेंगे

Published: Nov 15, 2017 02:09:39 pm

हम आपको बताते हैं इस जुमले के पीछे की हकीकत क्या है! और दावा है कि इसे पढ़ने के बाद इन पर जोक बनाने वालों को शर्मिंदगी महसूस जरूर होगी

never crack sardar jokes
नई दिल्ली: किसी सरदार पर जोक बनाने और सुनाने में लोग जरा सा भी नहीं सोचते! एक सरदार पर जोक बनाना लोग बेहद आसान समझते हैं। लेकिन फिर भी सिर पर पगड़ी और हाथ में कृपाण लिए ये सरदार बेहद खुश रहते हैं और हम में से कई लोग इन पर बने ’12 बज गए’ वाले जोक सुनाते रहते हैं। लेकिन क्या आपको इस 12 बजे वाली कहानी के बारे में सही जानकारी नहीं है? अगर नहीं तो हम आपको जो बताने जा रहे हैं उसे जानकर आप सरदारों के सम्मान में अपना सिर झुकायेंगे।
आज हम आपको बताते हैं सरदारों पर बने इस जुमले के पीछे की हकीकत क्या है! और दावा है कि इसे पढ़ने के बाद इन पर जोक बनाने वालों को शर्मिंदगी महसूस जरूर होगी।
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बात सत्रहवीं शताब्दी की है जब भारत देश पर मुग़ल शासक नादिर शाह ने आक्रमण किया था। उसने दिल्ली को तबाह कर दिया था और लूट-मार का एक खौफनाक मंजर बन गया। उसकी सेना ने बड़े पैमाने पर नरसंहार किए। इस नरसंहार के बीच शाह की सेना ने कई महिलाओं को बंदी भी बनाया।
कहा जाता है उसकी सेना ने लगभग 2 हजार महिलाओं को बंदी बना रखा था। ऐेसे में सिखों ने ही इन बंदी महिलाओं को नादिर शाह की सेना के कब्जे से आजाद कराने का फैसला किया था। मगर नादिर शाह की सेना बहुत बड़ी और ताकतवर थी। सिर्फ हौंसले के दम पर संख्या को हरा पाना मुमकिन नहीं था। गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपनाते हुए सिखों ने देर रात 12 बजे शाह की सेना पर हमलाकर उसे चौंका दिया। इसके बाद उन्होंने उन औरतों को सुरक्षित घर भी पहुंचाया। इस लड़ाई में कई सिख शहीद भी हो गए। सिखों को आधी रात 12 बजे महिलाओं को आजाद कराने में कामयाबी हासिल हुई थी।
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लेकिन इस बात को इतिहास के पन्नों में इतनी जगह नहीं दी, कि लोग इसके बारे में ज्यादा जान सकें। मगर अगर इतिहास को गवाह माना जाए तो सिखों ने नारी सम्मान के लिए एक बड़ी कुर्बानी दी। उस वक्त जाति, धर्म, मजहब का सवाल बहुत छोटा था। ऐसे वीरता और साहस के पर्याय सरदारों को ’12 बज गए’ कह कर उनका मजाक बनाना, उन्हें चिढाना बेहद शर्मनाक है।

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