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Corona : जानिए चीन ने कैसे क्यूआर कोड के रंगों से संक्रमण का पता लगाया

Published: Apr 01, 2020 12:53:36 am

Submitted by:

pushpesh

-ऐप्स (chinese apps) और सोशल मीडिया को बनाया कोरोना (coronavirus) से लडऩे का हथियार-शंघाई (shanghai) से जयपुर के विवेक शर्मा (vivek sharma) की पुष्पेश शर्मा से खास बातचीत-

जानिए चीन ने कैसे क्यूआर कोड के रंगों से संक्रमण का पता लगाया

जानिए चीन ने कैसे क्यूआर कोड के रंगों से संक्रमण का पता लगाया

शंघाई.

अमरीका, इटली और स्पेन में जहां कोरानावायरस का प्रकोप दिनोंदिनों बढ़ता बढ़ता जा रहा है, वहीं चीन ने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया। यहां जीवन तेजी से सामान्य हो रहा है। एक माह पहले जहां भय और आशंका पसरी थी, अब चहल-पहल लौट रही है। इसके पीछे दो बड़े कारण हैं, तत्परता और तकनीक। शुरुआत में हुबई की प्रांतीय सरकार ने इसे छुपाया, लेकिन बाद में पूरे चीन में संक्रमितों की पहचान और इलाज में गजब की तेजी दिखी। दूसरा तकनीक, जिसने वायरस को फैलने से रोका। इसके लिए ऐप्स को जरिया बनाया। चीन में दो ऐप्स सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। मैसेजिंग के लिए वीचैट और ऑनलाइन पेमेंट के लिए अलीपे..।
ऐसे किया टै्रक
चीन ने सबसे पहले उन स्थानों को चिह्नित किया, जहां वायरस का प्रभाव ज्यादा है। आपने जैसे ही इन ऐप्स का इस्तेमाल किया, तो सॉफ्टवेयर आपकी लोकेशन और डिटेल्स दर्ज कर लेगा। फिर वह क्यूआर कोड के तीन रंग भेजेगा, हरा, पीला और लाल। यदि यूजर के क्यूआर कोड का रंग लाल हुआ तो हाउसिंग सोसायटी, मॉल्स और होटल्स में उसकी एंट्री ब्लॉक कर दी जाएगी। नियंत्रण कक्ष मेडिकल टीम को सूचना देगा, जिसके बाद टीम आपको अस्पताल ले जाएगी और जांच करेगी। इसमें 14 दिन का कोरेंटाइन जरूरी है। दूसरा पीला रंग, जो थोड़ा कम खतरे वाला है। इसमें सात दिन का कोरेंटाइन अनिवार्य है। यदि क्यूआर कोड का रंग हरा हुआ तो सामान्य हैं, यानी कहीं भी आ-जा सकते हैं। सरकार ने सभी मॉल्स, हाउसिंग सोसायटी या अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आवश्यक कर दिया कि थर्मल स्कैनिंग और क्यूआर कोड की जांच के बिना कोई अंदर नहीं जाए। भले ही वह व्यक्ति कुछ मिनट पहले ही जाकर आया हो। तापमान और क्यूआर कोड हरा होने पर ही प्रवेश दिया जाता है। इसने कोरोना को काबू करने के लिए बड़ा काम किया।
बाहर से आने वालों के लिए कड़े नियम
सरकार की तरफ से एक लिंक दिया गया है, जिसपर बाहर से आए हर व्यक्ति को आवश्यक रूप से अपनी डिटेल्स डालनी पड़ती हैं। वह कहां से आया, कब आया और अभी कहां रह रहा है। ये सारी डिटेल्स नियामक अथॉरिटी के पास चली जाती हैं, जिससे हर व्यक्ति का रेकॉर्ड रहता है। मेरे पास भी ऐसा एक कॉल था, जिसमें सभी जानकारी पूछी गई थी। आप कब आए, घर पर ही हो या नहीं। और वहां रहते हुए 14 दिन हुए कि नहीं।
खुद के ही ऐप्स इस्तेमाल करता है चीन
वह खुद का सोशल नेटवर्क चलाता है। जैसे यहां फेसबुक, गूगल, यूट्यूब, वाट्सऐप की जगह अपने लोकल ऐप्स को काम में लेता है। जैसे वीचैट, डूईन, वीबो, क्यूक्यू म्यूजिक और टनटन आदि।
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