भावनात्मक बुद्धिमत्ता आपका कॅरियर भी बना सकती है। ईक्यू पर दशकों के शोध बताते हैं कि स्टार कलाकार भी इसका इस्तेमाल करते हैं। ईक्यू आपकी ऊर्जा को एक दिशा में केंद्रित करने का शक्तिशाली तरीका है। ‘टैलेंट स्मार्ट’ ने 33 महत्वपूर्ण कार्यस्थलों पर कौशल के साथ भावनात्मक बुद्धिमत्ता का परीक्षण किया। इसमें पाया कि सभी प्रकार की नौकरियों में सफलता के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता 58 फीसदी जिम्मेदार है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि उच्च ईक्यू वाले 90 फीसदी लोग टॉप परफॉर्मर थे। जबकि उच्च आइक्यू वाले 20 फीसदी ही हल्की परफॉर्मेंस के निकले। आप बिना ईक्यू अच्छे परफॉर्मर हो सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना कम है। स्वाभाविक रूप से उच्च स्तर की भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाले लोग अधिक पैसा कमाते हैं। कम ईक्यू वालों से औसतन 29 हजार डॉलर प्रतिवर्ष ज्यादा। ये निष्कर्ष दुनिया के हर उद्योग और हर स्तर पर पाया गया।
प्रतिरक्षा प्रणाली भी होती है कमजोर
कई अध्ययनों ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता को बीमारी से जोड़ा है। तनाव, चिंता और अवसाद प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता न्यूरोपैप्टाइड्स के जरिए भावनात्मक स्थिति से जुड़ी होती है। न्यूरोपैप्टाइड्स एक रसायन है, जो शरीर और मन के बीच दूत का कार्य करता है। जब आपका मन तनाव या संकट से भर जाता है तो यह शरीर को रोग से लडऩे के लिए निर्देशित ऊर्जा को कम करने का संकेत देता है। यह परिवर्तन आघात के लिए आपके शरीर को नाजुक बना देता है।
कई अध्ययनों ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता को बीमारी से जोड़ा है। तनाव, चिंता और अवसाद प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता न्यूरोपैप्टाइड्स के जरिए भावनात्मक स्थिति से जुड़ी होती है। न्यूरोपैप्टाइड्स एक रसायन है, जो शरीर और मन के बीच दूत का कार्य करता है। जब आपका मन तनाव या संकट से भर जाता है तो यह शरीर को रोग से लडऩे के लिए निर्देशित ऊर्जा को कम करने का संकेत देता है। यह परिवर्तन आघात के लिए आपके शरीर को नाजुक बना देता है।