ईक्यू को नहीं समझने वाले हो जाते हैं चिंता और अवसाद के शिकार
जो अपनी ईक्यू स्तर को नहीं समझ पाते वे जल्दी तनाव, चिंता में और असहज हो जाते हैं। अनचाही भावनाएं मन और शरीर को तनाव देती हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता का कौशल आपको जल्द तनाव से निपटने की क्षमता देता है। जो अपने कृत्रिम बुद्धमत्ता कौशल का उपयोग करने में विफल रहते हैं, वे अक्सर गलत रास्तों पर चले जाते हैं। ऐसे लोगों में चिंता, अवसाद, मादक द्रव्यों का आदी होना और यहां तक कि आत्महत्या जैसे कदम उठाने की आशंका अधिक होती है। एक अन्य अध्ययन में सामने आया कि जिन महिलाओं में भावनात्मक असंतुलन होता है, उनमें चिंता, अनिद्रा और तनाव अधिक होता है। इन महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा भी अधिक होता है।
जो अपनी ईक्यू स्तर को नहीं समझ पाते वे जल्दी तनाव, चिंता में और असहज हो जाते हैं। अनचाही भावनाएं मन और शरीर को तनाव देती हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता का कौशल आपको जल्द तनाव से निपटने की क्षमता देता है। जो अपने कृत्रिम बुद्धमत्ता कौशल का उपयोग करने में विफल रहते हैं, वे अक्सर गलत रास्तों पर चले जाते हैं। ऐसे लोगों में चिंता, अवसाद, मादक द्रव्यों का आदी होना और यहां तक कि आत्महत्या जैसे कदम उठाने की आशंका अधिक होती है। एक अन्य अध्ययन में सामने आया कि जिन महिलाओं में भावनात्मक असंतुलन होता है, उनमें चिंता, अनिद्रा और तनाव अधिक होता है। इन महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा भी अधिक होता है।