प्रकृति और पोषण पर निर्भर है मानसिकता
प्रकृति और पोषण की वजह से कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में कुछ धीमे (सुस्त) हो सकते हैं। दूसरी बात कुछ बच्चे घर में शारीरिक या भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं तो उनमें सहानुभूति विकसित नहीं होती। फिर पांच साल के बच्चों का व्यवहार ऊबड़-खाबड़ सडक़ की तरह होता है, यदि वे करूणा दिखाएंगे तो अगले ही पल वे अहंकारी भी हो सकते हैं। ये सामान्य बात है। इसलिए आप अपनी बच्ची को किसी को गले लगाने के लिए दबाव मत डालिए। यदि वह खुद गले लगाती है, तो समझिए वह खुद भावनाओं को पढ़ती है। यदि वह सहानुभूति या दवा दिखाती भी है, तो जरूरी नहीं कि जब वह थकी या बीमार हो तब भी ऐसा करे। मुझे नहीं लगता कि ये विषय इतना गंभीर है, जितना आप समझ रही हैं। बच्ची को अच्छे-बुरे के बारे में जरूर बताएं, लेकिन कोई बात थोपे नहीं। दयाभाव रखने की कोई उम्र नहीं होती, सभी उम्र के बच्चे दयाभाव रख सकते हैं और होना भी चाहिए। लेकिन यह सोच 7 साल तक परिपक्व होती है।
प्रकृति और पोषण की वजह से कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में कुछ धीमे (सुस्त) हो सकते हैं। दूसरी बात कुछ बच्चे घर में शारीरिक या भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं तो उनमें सहानुभूति विकसित नहीं होती। फिर पांच साल के बच्चों का व्यवहार ऊबड़-खाबड़ सडक़ की तरह होता है, यदि वे करूणा दिखाएंगे तो अगले ही पल वे अहंकारी भी हो सकते हैं। ये सामान्य बात है। इसलिए आप अपनी बच्ची को किसी को गले लगाने के लिए दबाव मत डालिए। यदि वह खुद गले लगाती है, तो समझिए वह खुद भावनाओं को पढ़ती है। यदि वह सहानुभूति या दवा दिखाती भी है, तो जरूरी नहीं कि जब वह थकी या बीमार हो तब भी ऐसा करे। मुझे नहीं लगता कि ये विषय इतना गंभीर है, जितना आप समझ रही हैं। बच्ची को अच्छे-बुरे के बारे में जरूर बताएं, लेकिन कोई बात थोपे नहीं। दयाभाव रखने की कोई उम्र नहीं होती, सभी उम्र के बच्चे दयाभाव रख सकते हैं और होना भी चाहिए। लेकिन यह सोच 7 साल तक परिपक्व होती है।