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महिलाओं के साथ भेदभाव बंद हो तो फाइनेंस कंपनियों को हो सकता 70 हज़ार करोड़ रूपये का सालाना लाभ

दुनिया की आधी आबादी यानी महिलाओं के बारे में हाल ही प्रबंधन परामर्शदाता संस्था ओलिवर विमन ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। संस्था के अनुसार, महिलाओं के सुझाव और बातों को गौर से न सुनने एवं उनके अनुकूल उत्पाद न बना पाने में विफल रहने के कारण पुरुष-प्रधान वित्त उद्योग सालाना 700 बिलियन (70 हजार करोड़) से अधिक राजस्व का घाटा उठा रहा है।

Nov 25, 2019 / 04:28 pm

Mohmad Imran

महिलाओं के साथ भेदभाव बंद हो तो फाइनेंस कंपनियों को हो सकता 70 हज़ार करोड़ रूपये का सालाना लाभ

महिलाओं के साथ भेदभाव बंद हो तो फाइनेंस कंपनियों को हो सकता 70 हज़ार करोड़ रूपये का सालाना लाभ

रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका जेसिका क्लेम्पनर ने बताया कि महिलाएं वित्तीय सेवाओं में ग्राहकों के सबसे बड़े ‘अंडर-सव्र्ड ग्रुप’ हैं। लेकिन अपनी महिला ग्राहकों की मांगों को सुनने और उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए फर्म और कंपनियां ध्यान नहीं दे रही हैं। इस तरह वे महिलाओं की मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार न करके अपना भारी वित्तीय नुकसान कर रही हैं।
दरअसल, कई उत्पाद जो ‘जेंडर-न्यूट्रल’ दिखाई देते हैं वे वास्तव में पुरुषों की जरुरतों के अनुसार ही ढले होते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विशेष रूप से धन संबंधी योजनाएं एवं फाइनेंस से जुड़ी अन्य सेवाएं व उत्पादों को महिलाओं के वित्तीय जीवन के अनुसार डिज़ाइन नहीं किया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर बीमा कंपनियों ने पुरुषों के समान ही महिलाओं को उसी दर से पॉलिसीज बेचें तो वे नए प्रीमियम में 500 बिलियन डॉलर (50हजार करोड़) का अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं। ओलिवर वीमन के अनुमान अनुसार महिलाएं स्टॉक और बॉन्ड के बजाय नकदी में अपनी संपत्ति का अधिक हिस्सा रखती हैं। इस तरह इन का हिसाब किताब रखने वाले धन और संपत्ति प्रबंधकों को भी सालाना 25 बिलियन (2500 करोड़) की शुद्ध आय होती है।
फाइनेंसर करते स्त्री-पुरुष में भेदभाव
एपल इंक और गोल्डमैन सैक्स समूह हाल ही तब बहस में उलझ गए जब उनसे पूछा गया कि क्या उधारदाताओं ने अनजाने में ही महिलाओं और पुरुषों में लोन देने के मामले में भेदभाव किया है। दरअसल, अमरीकी बैंकर और फाइनेंसर यह निर्धारित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं कि अमरीकी महिलाएं और पुरुष लोन उतारने में किन तरीकों का उपयोग करते हैं। यानी वे लोन देने के मामले में स्त्री-पुरुष के वेतन और आर्थिक संपन्नता को भी प्राथमिकता देते हैं। यह मामला तब और तूल पकड़ गया जब एक तकनीकी महिला उद्यमी के वायरल ट्वीट के बाद नए एपल कार्ड में GENDER भेदभाव का आरोप लगाया गया था।
इसलिए बढ़ रहे हैं वित्तीय भेदभाव
फाइनेंस के क्षेत्र में महिलाओं के साथ इस दोहरे व्यवहार के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण वित्त उद्योग में वरिष्ठ प्रबंधन में महिलाओं की कमी है। इसके कारण समस्याएं और जटिल हो जाती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व स्तर पर वित्त अधिकारियों में केवल 20 फीसदी महिलाएं हैं। 2016 में यह दर 16 फीसदी थी। हालांकि वित्त उद्योग में सक्रिय महिलाओं ने इस तरह की चुनौतियों से लगातार संघर्ष कर रही हैं क्योंकि इसी से उनका भविष्य सुरक्षित हो सकता है।

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