उदाहरण के लिए, अगर बीमा कंपनियों ने पुरुषों के समान ही महिलाओं को उसी दर से पॉलिसीज बेचें तो वे नए प्रीमियम में 500 बिलियन डॉलर (50हजार करोड़) का अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं। ओलिवर वीमन के अनुमान अनुसार महिलाएं स्टॉक और बॉन्ड के बजाय नकदी में अपनी संपत्ति का अधिक हिस्सा रखती हैं। इस तरह इन का हिसाब किताब रखने वाले धन और संपत्ति प्रबंधकों को भी सालाना 25 बिलियन (2500 करोड़) की शुद्ध आय होती है।
एपल इंक और गोल्डमैन सैक्स समूह हाल ही तब बहस में उलझ गए जब उनसे पूछा गया कि क्या उधारदाताओं ने अनजाने में ही महिलाओं और पुरुषों में लोन देने के मामले में भेदभाव किया है। दरअसल, अमरीकी बैंकर और फाइनेंसर यह निर्धारित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं कि अमरीकी महिलाएं और पुरुष लोन उतारने में किन तरीकों का उपयोग करते हैं। यानी वे लोन देने के मामले में स्त्री-पुरुष के वेतन और आर्थिक संपन्नता को भी प्राथमिकता देते हैं। यह मामला तब और तूल पकड़ गया जब एक तकनीकी महिला उद्यमी के वायरल ट्वीट के बाद नए एपल कार्ड में GENDER भेदभाव का आरोप लगाया गया था।
फाइनेंस के क्षेत्र में महिलाओं के साथ इस दोहरे व्यवहार के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण वित्त उद्योग में वरिष्ठ प्रबंधन में महिलाओं की कमी है। इसके कारण समस्याएं और जटिल हो जाती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विश्व स्तर पर वित्त अधिकारियों में केवल 20 फीसदी महिलाएं हैं। 2016 में यह दर 16 फीसदी थी। हालांकि वित्त उद्योग में सक्रिय महिलाओं ने इस तरह की चुनौतियों से लगातार संघर्ष कर रही हैं क्योंकि इसी से उनका भविष्य सुरक्षित हो सकता है।