वहीं जिला प्रशासन की जिम्मेदारी दोनों खनन नियंत्रण की है, लेकिन टोंक में इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते लीज की आड़ में जबरदस्त खनन हो रहा है। गत दिनों वन विभाग के कर्मचारियों ने लीज की आड़ में चल रहे अवैध खनन की पोल तब खोली जब बरोनी थाने में मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने भी मामले को गम्भीरता से नहीं लिया।
ऐसे में शहर की पहाडिय़ों पर अवैध खनन जारी है। अलसुबह का आलम तो यह है कि पहाड़ों की ओर से बहीर, महादेववाली, छावनी समेत अन्य मार्गों से गुजरने वाले लोग पत्थरों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को देखकर ही दूर हट जाते हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर से शहर में कई हादसे हो चुके हैं।
वहीं शहर में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद पुलिस, प्रशासन व वन विभाग कार्रवाई में लापरवाही बरत रहा है। इन खननकर्ताओं और अवैध लीज पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले सोहेला वन नाका की टीम बोरखण्डी में पत्थर से भरी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ी थी। चालक टीम को रवन्ना दिखाया, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली में पत्थर लीज का चेजा पत्थर नहीं होकर क्वार्टस मिला।
इसके बाद जब्त करने की कोशिश की गई तो कुछ खननकर्ता और आए गए और ट्रैक्टर-ट्रॉली को ले गए। इसका मामला बरोनी थाने में दर्ज कराया और लीज सम्बन्धित सभी दस्तावेज दिए गए। मामले की जानकारी वन विभाग के उच्चाधिकारियों को दिए जाने के बाद भी सख्ती से कदम नहीं उठाया गया।
जबकि वन विभाग को उक्त आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। इसके चलते शहर में पत्थर खनन व परिवहन लगातार जारी है।
कार्रवाई करेंगे
पत्थर खनन व परिवहन की शिकायत मिली है। कर्मचारियों को पाबंद करेंगे। जो कर्मचारी लिप्त पाया गया उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जाएगा।
– हरिसिंह हाडा, क्षेत्रीय वन अधिकारी टोंक