पाकिस्तान के प्रति हमारी स्पष्ट नीति होनी चाहिए। जब तक वह आतंकी संगठनों को पनाह देने पर रोक नहीं लगाता तब तक हमें भी उससे किसी तरह के सम्बन्ध नहीं रखने चाहिए। अगर यह सोच है कि क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिये माहौल को हल्का करके दोनों देशों के रिश्ते सुधारे जा सकते हैं तो यह संभव नहीं लगता। आजादी के बाद से ही पाक को लेकर हमारे कटु अनुभव हैं। उसकी नीति और नीयत दोनों में खोट है। फिर भी हम क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिये आखिर क्यों संबंध सुधारने पर तुले हैं?
उलटे दोनों देशों के तनाव के बीच क्रिकेट मैच के नतीजे देश में माहौल खराब करते जरूर नजर आते हैं। खेल अपनी जगह है और दोनों देशों के बीच राजनयिक और व्यापारिक संबंध अपनी जगह हैं। अभी भी दोनों देशों के बीच रिश्तों में खासी कड़वाहट बनी हुई है। पाकिस्तान की जीत के बाद हमारे ही देश में कई जगह जश्न मनाया जाना कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। इन पर रोक लगाना जरूरी है। सरकार को तय करना होगा कि क्रिकेट जरूरी है या देश। जरूरी है कि जब तक पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता, तब तक उसके साथ क्रिकेट खेलने पर भी पूर्णत: रोक लगनी चाहिए।