रक्षित की यह बात काफी हद तक सही भी है। समाजशास्त्री दिव्या मोहन कहती हैं- हमारे देश की पहचान ही हमारी संस्कृति की वजह से है। दुख इस बात का होता है कि भारत में बसे लोग आज अंग्रेज बनने के चक्कर में अपनी परंपरा को नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं जो भारतीय विदेश में बसे हैं वो अपने बच्चों को हमसे बेहतर तरीके से भारतीयता का पाठ पढ़ा रहे हैं।