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जब 1971 में 15 दिनों के लिए हरे कपड़े से ढका गया था ताजमहल

इतिहास में कई बार ऐसे मौके आए थे जब सरकार ने ताजमहल को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।

Oct 17, 2017 / 08:49 pm

ashutosh tiwari

नई दिल्ली। बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को भारतीय इतिहास पर धब्बा बताया है। कई लोग सोम के समर्थन में हैं तो कई लोग इसके विरोध में, लेकिन इतिहास में कई बार ऐसे मौके आए थे जब सरकार ने ताजमहल को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।
जब बांस से ढका गया ताज
दुनिया में दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया था। मित्र देश अपने दुश्मनों पर हमला कर रहे थे। इसी दौरान अमरीका और ब्रिटेन को खूफिया जानकारी मिली कि जापान और जर्मनी मिलकर ताज महल को गिराना चाहते हैं। इसके लिए वे ताज महल पर हवाई हमला करने का प्लान बना रहे थे। तभी सरकार ने ताज महल को बांस और बल्लियों से ढकने का फैसला लिया। इसके बाद पूरे ताज महल को ऐसा ढंका गया जैसे वो बांस का गट्ठर लगे और दुश्मन के लड़ाकू विमान भ्रमित हो जाएं।
 

1971 में हरे कपड़े से ढका
वहीं दूसरी ओर 1971 में पाकिस्तान सेना ताज महल को निशाना बनाना चाहती थी। खुफिया रिपोर्ट मिली की पाक वायुसेना आगरा में हवाई हमला कर सकती है। ऐसे में सरकार ने तुरंत ताजमहल को हरे कपड़े से ढकवा दिया। सरकार का प्लान था कि जब पाक वायुसेना के विमान ताजमहल के ऊपर से गुजरेंगे तो वे उसे हरियाली वाला इलाका समझ कर वापस चले जाएंगे। वहीं इसके साथ चांदनी रात में ताजमहल की जमीन पर लगे संगमरमर चमके नहीं, इसके लिए उस पर झाड़ियों को रखा गया था। करीब 15 दिनों तक ताजमहल पर हरे कपड़े से ढका था।
अंग्रेजों ने बेच दिया था ताजमहल
अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए ताजमहल को बेंच दिया था। इसके लिए बाकायदा कोलकत्ता के अखबार में टेंडर जारी किया गया था। अंग्रेज ताजमहल को तोड़कर उसका पत्थर ब्रिटेन ले जाना चाहते थे। टेंडर जारी होने के बाद मथुरा के सेठ लक्ष्मीचंद ने सात लाख की बोली लगाकर ताजमहल को खरीद लिया था। बाद में लंदन की एसेंबली में भी सदस्यों ने ताजमहल की नीलामी पर सवाल उठाए। तब जाकर ताज की नीलामी रूकी।

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