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आखिर पूरे जापान में इस युवा कैबिनेट मंत्री की चर्चा क्यों है?

locationजयपुरPublished: Jan 28, 2020 05:12:05 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

जापान में तेजी से बूढ़ी होती आबादी और घटते श्रमिकों के कारण काम का बोझ इतना ज्यादा है कि लोग परिवार को भी समय नहीं दे पा रहे हैं। वहीं गिरती जन्मदर ने भी जापान सरकार को चिंता में डाल दिया है। इसलिए अब जापान में अभिभावकों को अवकाश लेने के लिए नई नीतियां बनाई जा रही हैं।

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लेकिन तमरम सुविधाओं के बावजूद व्यवहारिक रूप से ज्यादा दिनों के लिए अवकाश लेना भी संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जापान के युवा पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी देश में राजनीति का उभरता हुआ सितारा बनकर उभरे हैं। शिंजिरो ने फ्रांसीसी-जापानी मूल की न्यूज प्रेजेंटर क्रिस्टेल ताकीगावा से विवाह किया है। जल्द ही उनके घर भी खुशियों की किलकारी गूंजने वाली है। ऐसे में खुद पर्यावरण मंत्री शिंजिरो पितृत्व अवकाश लेने की योजना बना रहे हैं। उनके इस निर्णय की पूरे देश में जमकर प्रशंसा हो रही है। वे युवा पिताओं के लिए एक रोल मॉडल बनकर उभरे हैं। शिंजिरो ने कहा कि वह अपने बच्चे के शुरुआती पहले महीने में दो सप्ताह की छुट्टी लेंगे। जनवरी के आखिर में पिता बन जाएंगे। गौरतलब है कि ऐसा पहली बार होगा जब कोई जापानी कैबिनेट मंत्री पितृत्व अवकाश लेगा।
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केवल 6 फीसदी ने लिया अवकाश
साल 2018 में केवल 6 फीसदी जापानी पुरुषों ने पितृत्व अवकाश लिया था जबकि मातृत्व अवकाश लेने वाली महिलाओं का आंकड़ा 82 फीसदी था। 36 साल के शिंजिरो ने बताया कि वे कुल दो सप्ताह का पितृत्व अवकाश लेंगे। उन्होंने कहा कि वह अभी से अपने काम को विराम देने में लगे हैं। इसके लिए वे ज्यादा से ज्यादा काम ईमेल और वीडियो confrenssing के जरिए निपटा रहे हैं।
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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन वे संसदीय मामलों और बैठकों में इस दौरान उपस्थित रहेंगे। परिवार कल्याण मंत्रालय के एक सर्वे के अनुसार एक साल से छोटे बच्चे के 28.3 फीसदी पिता पितृत्व अवकाश लेने के इच्छुक हैं। 2018 में यह दर 6.16 थी। 40 फीसदी पुरुषों की तुलना में 90 फीसदी महिलाओं ने बच्चों की देखभाल के लिए 6 माह या उससे ज्यादा दिनों तक अवकाश लिया। जबकि उनकी तुलना में पुरुषों ने पांच दिनों से भी कम छुट्टियां लीं।
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जापान में पिता अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकें इसलिए सरकार पितृत्व अवकाश में इजाफा करने जा रही है। दरअसल, काम के दबाव के चलते पुरुष कर्मी अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पा रहे। कार्य की लंबी अवधि और कम छुट्टियों के कारण पुरुषों को बच्चों के साथ समय बिताने का अणिक समय नहीं मिल पाता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है। इस परेशानी को दूर करने के उद्देश्य से जापान सरकार ने पुरुष कर्मचारियों के लिए वर्ष 2025 तक पितृत्व अवकाश में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया है। पहले यह लक्ष्य 2020 में 13 प्रतिशत करना था ताकि पुरुष कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जा सके। लेकिन कई पुरुष कर्मचारियों ने कहा कि ऐसी प्रणाली पहले से ही मौजूद है, बावजूद इसके उन्हें अवकाश नहीं मिल पाता है।
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1 साल का होने तक ले सकते अवकाश

पूरे जापान में पितृत्व अवकाश लेने वाले पुरुषों की वास्तविक दर केवल 6 प्रतिशत ही है। वित्तीय वर्ष 2020 से स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय ने ऐसी कंपनियों को सब्सिडी देने का भी निर्णय किया है जो अपने पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश के लिए प्रोत्साहित करती हैं। जापान के शिशु देखभाल और पारिवारिक सेवा अवकाश के तहत सभी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को शिशु के एक साल का होने तक उसकी देखभाल के लिए अवकाश देना अनिवार्य है। इस दौरान पुरुष कर्मचारी को रोजगार बीमा के माध्यम से वेतन का 67 प्रतिशत प्रदान किया जाता है।
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इसलिए प्रोत्साहित कर रहे अवकाश के लिए
जापान में बीते एक दशक से बाल जन्मदर में तेजी से गिरावट आई है। एक सरकारी अनुमान के मुताबिक एक दशक में पहली बार जापान में जन्मदर 9 लाख बच्चों से कम रहने की आशंका है। इसलिए सरकार ने बच्चों की घटती जन्मदर को कम करने के लिए इस साल 13 फीसदी ज्यादा पितृत्व अवकाश स्वीकृत करने का निर्णय लिया है। 2018 में 40 फीसदी पुरुषों की तुलना में 90 फीसदी महिलाओं ने बच्चों की देखभाल के लिए 6 माह या उससे ज्यादा दिनों तक अवकाश लिया। जबकि उनकी तुलना में पुरुषों ने पांच दिनों से भी कम छुट्टियां लीं।
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सर्वे ने बताई हकीकत
परिवार कल्याण मंत्रालय के एक सर्वे के अनुसार एक साल से छोटे बच्चे के 28.3 फीसदी पिता पितृत्व अवकाश लेने के इच्छुक हैं। इस डेटा के आधार पर सरकार ने 2025 तक पितृत्व अवकाश लेने वाले पुरुषों के लिए लक्ष्य दर 30 प्रतिशत तय की। सर्वे में यह भी सामने आया कि यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता था लेकिन कार्यस्थल पर ऐसे हालात हैं जो अधिकतर कर्मचारियों को छुट्टियां लेने ही नहीं देते। उनके अधिकारी भी उन्हें सहयोग नहीं करते। सरकार ने इस नीति के प्रसार के लिए ऐसी कंपनियों को 5 लाख रुपए तक की सब्सिडी भी देने का ऐलान किया है जो अपने पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश देती हैं।
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