पुरानी यादें की ताजा
इस दौरान जावेद अख्तर ने अपनी शुरुआती दौर की यादों का जिक्र करते हुए कहा कि यश चोपडा साहब मेरे घर आए और उन्होंने मुझसे कहा कि वह सिलसिला फिल्म बना रहे हैं और मुझे गाने लिखने चाहिए। लेकिन तब मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि मैं केवल अपने लिए कविताएं और पटकथा लिखता हूं। लेकिन चोपड़ा जी की जिद के आगे में हार गया और इस तरह उन्होंने मुझे एक लेखक से गीतकार बना दिया। जावेद अख्तर ने कहा कि इसके काफी बाद मुझे पता चला कि लता मंगेशकर ने ही चोपड़ा को मेरे पास भेजा था और सिलसिला के लिए मुझसे गीत लिखवाने की बात कही थी। यही नहीं लता मंगेशकर ने भी जावेद अख्तर की सराहना करते हुए उनके जैसे गीतकार के गीत गाना अपने लिए फक्र की बात बताया।
जंजीर के लिए मिला पहला पुरस्कार
जावेद अख्तर ने इस पुरस्कार से काफी उत्साहित नजर आए। इस पुरस्कार ने मानों उनकों उनके शुरुआती दिनों में पहुंचा दिया हो। जावेद ने बताया कि यह पुरस्कार उनके जीवन में कुछ यूं भी अहम मायने रखता है कि इसी सभागार में उन्हें फिल्म जंजीर के लिए पहला पुरस्कार मिला था। उन्होंने कहा कि मैंने कई पुरस्कार ग्रहण किये लेकिन यह सबसे खास है। मंगेश परिवार से पुरस्कार मिलना अविश्वसनीय है, आप उनके बगैर भारत के संगीत के बारे में सोच भी नहीं सकते।