आग लगने पर बुझाने के नाम पर सिर्फ ‘आसूंÓ
नहीं है दमकल की कोई व्यवस्था
गुढ़ाचन्द्रजी
गर्मी के दौरान आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है। लेकिन माड़ क्षेत्र में हालात ओर भीषण हो जाते है। माड़ क्षेत्र में लगातार बारिश की कमी के कारण तालाब, फार्मपौण्ड, कुंए, बाबड़ी, कुण्ड आदि सूखे पड़े रहते है। पानी भी पाताल में चला गया है। इस कारण आग लगने पर पीडि़त के पास उसे बुझाने के लिए सिर्फ आंसू बहाने के सिवाय कोई चारा नही है। आग लगने पर उपखंड मुख्यालय नादौती पर भी दमकल के नहीं होने से करीब ६०-७० किमी दूर गंगापुरसिटी या हिण्डौन सिटी से दमकल के आने पर तब तक सारा सामान आग की भेंट चढ़ चुका होता है।
आग लगने के बाद माड़ क्षेत्र में उसे बुझाने के कोई भी साधन नही है। ऐसे में पीडि़त के सामने आग में अपना सब कुछ लूटने के बाद सिर्फ आंसू बहाना ही बचता है। माड़ क्षेत्र के गांवो में आग लगने से प्रतिवर्ष सैकड़ों घर तबाह हो जाते हैं। वे रोजी-रोटी के लिए सड़क पर आ जाते हैं।
करीब ८ वर्ष पूर्वं आग से रायसना के समीप मालियों की ढाणी में दो दर्जन से भी अधिक घर आग की भेंट चढ़ चुके है। करीब पांच वर्ष पूर्व नांदकला गांव में आग लगने से आधा दर्जन घर नष्ट हो गए थे। आग में सामान जलने के साथ कभी-कभी जनहानि होने के साथ-साथ बेचारे बेजुबान जानवर भी काल के ग्रास बन जाते हैं। साथ ही प्रतिवर्ष अरावली पवर्तमालाओं की पहाडिय़ों में आग लगने से लाखों की संख्या में विचरण करने वाले वन्यजीव भी आग की भेंट चढ़ जाते है।
लेकिन इन सबके बावजूद भी प्रशासन ने उपखंड मुख्यालय पर दमकल की व्यवस्था नहीं की है। आग लगने पर पीडि़त ही उसे बुझाने का प्रयास करता है। लेकिन पानी के अभाव व संसाधानों के टोटे से वह भी असहाय नजर आता है। उपखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों की दूरी गंगापुरसिटी व हिण्डौन से ६०-७० किमी दूर है। इसलिए उपखंड मुख्यालय पर कम से कम एक दमकल जरूरी है।
नहीं है दमकल की कोई व्यवस्था
गुढ़ाचन्द्रजी
गर्मी के दौरान आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है। लेकिन माड़ क्षेत्र में हालात ओर भीषण हो जाते है। माड़ क्षेत्र में लगातार बारिश की कमी के कारण तालाब, फार्मपौण्ड, कुंए, बाबड़ी, कुण्ड आदि सूखे पड़े रहते है। पानी भी पाताल में चला गया है। इस कारण आग लगने पर पीडि़त के पास उसे बुझाने के लिए सिर्फ आंसू बहाने के सिवाय कोई चारा नही है। आग लगने पर उपखंड मुख्यालय नादौती पर भी दमकल के नहीं होने से करीब ६०-७० किमी दूर गंगापुरसिटी या हिण्डौन सिटी से दमकल के आने पर तब तक सारा सामान आग की भेंट चढ़ चुका होता है।
आग लगने के बाद माड़ क्षेत्र में उसे बुझाने के कोई भी साधन नही है। ऐसे में पीडि़त के सामने आग में अपना सब कुछ लूटने के बाद सिर्फ आंसू बहाना ही बचता है। माड़ क्षेत्र के गांवो में आग लगने से प्रतिवर्ष सैकड़ों घर तबाह हो जाते हैं। वे रोजी-रोटी के लिए सड़क पर आ जाते हैं।
करीब ८ वर्ष पूर्वं आग से रायसना के समीप मालियों की ढाणी में दो दर्जन से भी अधिक घर आग की भेंट चढ़ चुके है। करीब पांच वर्ष पूर्व नांदकला गांव में आग लगने से आधा दर्जन घर नष्ट हो गए थे। आग में सामान जलने के साथ कभी-कभी जनहानि होने के साथ-साथ बेचारे बेजुबान जानवर भी काल के ग्रास बन जाते हैं। साथ ही प्रतिवर्ष अरावली पवर्तमालाओं की पहाडिय़ों में आग लगने से लाखों की संख्या में विचरण करने वाले वन्यजीव भी आग की भेंट चढ़ जाते है।
लेकिन इन सबके बावजूद भी प्रशासन ने उपखंड मुख्यालय पर दमकल की व्यवस्था नहीं की है। आग लगने पर पीडि़त ही उसे बुझाने का प्रयास करता है। लेकिन पानी के अभाव व संसाधानों के टोटे से वह भी असहाय नजर आता है। उपखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों की दूरी गंगापुरसिटी व हिण्डौन से ६०-७० किमी दूर है। इसलिए उपखंड मुख्यालय पर कम से कम एक दमकल जरूरी है।