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#KarSalaam: सियाचीन की -50 वाली सर्दी में भी सीना ताने रहते हैं जवान, रोंगटे खड़े देगा सच

Published: Jan 09, 2018 05:30:07 pm

Submitted by:

Sunil Chaurasia

देश के बर्फीले इलाकों में बर्फीली हवाओं से सीधी टक्कर लेना किसी के वश की बात नहीं होती।

indian army
नई दिल्ली। यदि आप किसी से पूछें कि देश में सबसे खतरनाक नौकरी कौन सी है, तो ज़्यादातर लोगों के जवाब यही होंगे कि भारतीय सेना की नौकरी सबसे खतरनाक है। और ये बात आपको भी बहुत अच्छे से पता ही होगी। सबसे पहले तो सेना में भर्ती होने के लिए इतने पापड़ बेलने पड़ते हैं फिर सेना की कड़क ट्रेनिंग पूरी करनी होती है। जिसके बाद जवानों की देश के किसी हिस्से में पोस्टिंग की जाती है।
वैसे तो आमतौर पर जवानों की जान पर हमेशा और हर जगह ही खतरा बना रहता है, लेकिन देश के कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां खतरा बहुत ज़्यादा होता है। उत्तर भारत के बर्फीले क्षेत्र, कश्मीर घाटी, उत्तर-पूर्व भारत के हिस्से सबसे ज़्यादा खतरनाक हैं। यहां सेना के जवानों को कब क्या हो जाए, इसके बारे में कुछ भी कहना काफी कठिन होता है। लेकिन ये तो हमारे जवानों की शक्ति और फर्ज़ ही है कि अपने परिवार को छोड़कर देश की सेवा करने आए ये लोग दूसरों के परिवारों के लिए अपनी जान गंवाने में भी नहीं हिचकते हैं।
देश के बर्फीले इलाकों में बर्फीली हवाओं से सीधी टक्कर लेना किसी के वश की बात नहीं होती। लेकिन अपने जवानों को तो देखिए -30 डिग्री तापमान में भी वे सीना तान कर खड़े होकर देश की हिफाज़त करते हैं। अपने जवानों की इस सहनशक्ति के आगे प्रकृति भी अपने घुटने टेक लेती है। लेकिन जवानों के नसीब में सिर्फ बर्फीली हवाओं का ही योग नहीं है। हमारे जवान इन इलाकों में भीषण हिमपात और हिमस्खलन का भी सामना करना पड़ता है।
शायद आपको याद होगा कि साल 2016 में सियाचीन में दुश्मनों पर निगरानी रख रहे देश के करीब 10 जवान हिमस्खलन की चपेट में आकर भारत माता की गोद में हमेशा-हमेशा के लिए सो गए थे। इस हादसे में हनुमनथप्पा भी शिकार हुए थे, 10 दिन तक बर्फ में दबे रहने के बाद भी वे ज़िंदा रहे। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
पत्रिका परिवार का देश की हिफाज़त करने वाले सभी जवानों को सलाम।

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