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She News : खुद के सपनों को विराम मिला, तो बेटियों को दी उड़ान

locationजयपुरPublished: Apr 18, 2021 07:32:34 pm

Submitted by:

Neeru Yadav

चित्तौड़गढ़ में जन्मीं 43 साल की कौसर बानो के सपनों को भले ही विराम मिल गया हो, लेकिन यह मां अपनी बेटियों के सपनों को उड़ान दे रही हैं। आज बड़ी बेटी राष्ट्रीय स्तर की वुशु खिलाड़ी है और छोटी बेटी अलमास मुक्केबाज है।

She News : खुद के सपनों को विराम मिला, तो बेटियों को दी उड़ान

She News : खुद के सपनों को विराम मिला, तो बेटियों को दी उड़ान

जयकुमार भाटी. जोधपुर. खुद के सपनों को भले ही विराम मिल गया हो, लेकिन यह मां अपनी बेटियों के सपनों को उड़ान दे रही हैं। यह कहानी है चित्तौड़गढ़ में जन्मीं 43 साल की कौसर बानो की, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में पांच बार राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। छह संतानों में सबसे बड़ी बेटी और पितृसत्तात्मक सोच की वजह से दसवीं कक्षा के बाद आगे न पढ़ सकीं और न खेल सकीं, लेकिन मन के अंदर कसक जरूर रही।
जब बेटियां पैदा हुईं, तो ठाना कि वे जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहेंगी, उनका हर कदम पर साथ दूंगी। वे कहती हैं कि बड़ी बेटी असरार ने जब वुशु में जाने की इच्छा जताई, तो मैं उसके सपनों को पंख देने की तैयारी में जुट गई। आज वह राष्ट्रीय स्तर की वुशु खिलाड़ी है और छोटी बेटी अलमास मुक्केबाज है।
शुरुआत में पति को पसंद नहीं था खेलना
कौसर बताती हैं कि शुरुआत में उनके पति को बेटियों का खेलना पसंद नहीं था, लेकिन बेटियों का जूनून देखकर वे भी सहयोग करने लगे और कभी बेटियों को खेलने से नहीं रोका। कौसर हमेशा अपनी बेटियों का हौसला बनकर उनके साथ खेल प्रतियोगिताओं में जाती हैं। कई बार साथ नहीं जा पाईं, तो अकेले जाने से भी नहीं रोका। वे कहती हैं कि दोनों बेटियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक खेलते हुए देखना चाहती हूं। पति वहीद एक निजी अस्पताल में इलेक्ट्रिशियन हैं, लेकिन अब वह बेटियों के खेलों में हरसंभव मदद करते हैं। इस मां की हिम्मत ने अन्य लोगों की सोच को भी बदला है। अब वे भी इन बेटियों का हौसला बढ़ाने लगे हैं।
बेटियों के बढ़ते कदमों को रोकना उचित नहीं
कौसर का मानना है कि बेटियों को भी आसमां छूने का पूरा अधिकार है। उनके बढ़ते कदमों को रोकना उचित नहीं है। परिस्थितियों की वजह से मुझे पढ़ाई और खेल को बीच में ही छोडऩा पड़ा, लेकिन अपनी बेटियों के साथ ऐसा नहीं होने देना चाहती। महिला में अगर इच्छाशक्ति और कुछ कर दिखाने का जूनुन हो तो वह अपने सपनों को किसी भी रूप में पूरा कर सकती है। मैं बेटियों को उनके हिस्से का आसमां देकर उनके सपनों को साकार कर रही हूं।
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