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DRONES : जानिए कैसे स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण को भी संभाल रहे हैं ड्रोन्स

locationजयपुरPublished: Jan 19, 2021 12:14:04 am

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pushpesh

-2025 तक 42.8 अरब डॉलर हो जाएगा विश्व में ड्रोन का बाजार (The world drone market will be $ 42.8 billion by 2025)-हर देश में ड्रोन को लेकर अलग-अलग कानून, फिर भी दुरुपयोग का खतरा

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हर देश में ड्रोन को लेकर अलग-अलग कानून हैं

साल 2018 के विंटर ओलंपिक के उद्घाटन समारोह से लेकर सुरक्षा तक ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ गया है। 2020 में 22.5 अरब डॉलर से 2025 तक इसका बाजार 13.8 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से 42.8 अरब डॉलर होने का अनुमान है। बहुपयोगी होने के साथ ही प्रभावी निगरानी और नियंत्रण नहीं होने पर सीमाई इलाकों में इसके गलत इस्तेमाल की आशंका भी बढ़ गई है। सैन्य जरूरतों से इसके इस्तेमाल की शुरुआत हुई, लेकिन अब यह हवाई फोटोग्राफी और आपदा राहत में प्रयोग किया जाने लगा है। दुनिया में ड्रोन के क्षेत्रवार इस्तेमाल पर एक नजर-
उत्तर अमरीका : 70 फीसदी से ज्यादा शौकिया इस्तेमाल
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 70.5 फीसदी ड्रोन का इस्तेमाल शौक या मनोरंजन के लिए हो रहा है। मैक्सिको जैसे देशों में अपराध की रोकथाम के लिए बेहतर प्रयोग हुआ। एनसेनाडा शहर में ड्रोन की निगरानी गश्ती के कारण 2018 में 10 फीसदी अपराध कम हुए।
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दक्षिण अमरीका : जंगल की कटाई और आग रोकने में मददगार
ब्राजील में जनजाति समूह भी वनों की कटाई और जंगल की आग को टै्रक करने में ड्रोन का इस्तेमाल करने लगे हैं, इससे समय रहते प्रशासन को सूचना मिल जाती है। चिली, अल साल्वाडोर में अस्पतालों में आपूर्ति से लेकर लाइफ जैकेट तक पहुंचाने में ड्रोन का प्रयोग हो रहा है।
यूरोप : 1917 में हुआ विश्व का पहला परीक्षण
1917 में ब्रिटेन में पहली बार छोटे रेडियो नियंत्रित विमान ने परीक्षण उड़ान भरी थी। 1918 में अमरीका ने मानवरहित हवाई टारपीडो का परीक्षण किया। मिसाइल की थ्योरी यहीं से जन्मी। यूरोप में आज सबसे उदार गोपनीय कानून हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई भी इसका दुरुपयोग करे।
अफ्रीका : मेडिकल उपकरण और दवा आपूर्ति
ड्रोन के बेहतर इस्तेमाल की रूपरेखा तैयार की जा रही है। रवांडा में मेडिकल ड्रोन पहले ही लोगों की जान बचाने में कारगर सिद्ध हुआ है। जबकि मलावी में ड्रोन के बहुद्देश्यीय प्रयोग बढ़ाने के लिए अफ्रीकी ड्रोन और डेटा अकादमी खोली गई है।
मध्य-पूर्व, मध्य एशिया : फेस रिकनिग्नशन तकनीक भी
इस क्षेत्र में ड्रोन के सैन्य प्रयोग आम हैं। ईरान पहले ही सशस्त्र ड्रोन का उपयोग करने वाले देशों में शामिल है, यहां सार्वजनिक इस्तेमाल पर रोक है। पड़ोसी देश तुर्की सुरक्षा के लिए आॢटफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिकग्निशन तकनीक से लैस ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है।
भारत-चीन और शेष एशिया : प्राकृति आपदाओं में इस्तेमाल
चीन की डीजेआइ विश्व की सबसे बड़ी ड्रोन निर्माता कंपनी है, जिसका ड्रोन के 70 फीसदी बाजार पर कब्जा है। एशिया में ड्रोन का इस्तेमाल काफी है, खासकर चीन में। भारत के अलावा मलेशिया और सिंगापुर में पिछले दो वर्षों में इसके प्रयोग में तेजी आई। इस बीच जापान भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव में तेजी लाने के लिए ड्रोन नेटवर्क तैयार कर रहा है।
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