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जानिए कैसे बदल गई कोरोना संकट में पर्यावरण की फिजा

Published: Apr 05, 2020 01:23:00 am

Submitted by:

pushpesh

-एयरलाइन एंडस्ट्री को इस वर्ष 113 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है, हालांक उत्सर्जन घटा है

जानिए कैसे बदल गई कोरोना संकट में पर्यावरण की फिजा

जानिए कैसे बदल गई कोरोना संकट में पर्यावरण की फिजा

कोरोनावायरस ने पूरी मानव सभ्यता को मुश्किल में डाल दिया है। इससे आर्थिक प्रगति भी थम गई है। लेकिन इससे पर्यावरण में कुछ अच्छे और सकारात्मक सुधार नजर आ रहे हैं, जो वर्षों के सामूहिक प्रयास में नहीं ला सके।
हवा की गुणवत्ता में हुआ सुधार:
नासा के अध्ययन में पता चला है कि कोरोनावायरस के कारण दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन के बाद वायु की गुणवत्ता में सुधार आया है। नासा के फी ली का कहना है कि पहली बार मैंने हवा की गुणवत्ता में ऐसा नाटकीय सुधार देखा है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मार्शल बर्क कहा है कि चीन के वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार ने चार हजार बच्चों और 73 हजार वयस्कों की जान बचाई है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन :
पूरी दुनिया में स्कूल, दुकान और कारखानों को बंद करने से उत्सर्जन में गिरावट आई है। आउटलेट कार्बन ब्रीफ के अध्ययन में सामने आया कि चीन में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में 25 फीसदी की गिरावट आई है। फिर वाहनों का आवागमन कम होने से तेल की मांग भी घटी है, जो कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारक है। हालांकि लोगों के घरों में रहने से ऊर्जा की खपत बढ़ी है।
एयरनलाइन से उत्सर्जन रुका :
वायरस फैलने के बाद कई देशों ने उड़ानों को रद्द कर दिया, जिससे एयर टै्रफिक कम होने से कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय एयर टै्रफिक अथॉरिटी का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष की पहली तिमाही में 6.7 करोड़ यात्री कम हुए हैं। अथॉरिटी का अनुमान है कि इससे इस वर्ष विमानन उद्योग को 113 अरब डॉलर से अधिक नुकसान हो सकता है।
नुकसान भी, क्योंकि कचरे की पहाड़ लग गए
कॉफी शृंखला स्टारबक्स ने अपने ग्राहकों को रियूजेबल कपों का इस्तेमाल करने से मना किया है। यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के आश्वासन के बाद लोग यह मानने को तैयार नहीं है कि खाद्य पदार्थों की पैकिंग से कोई नुकसान नहीं है। इस बीच कई देशों में मेडिकल कचरा भी बढ़ गया। वुहान में हर दिन 200 टन कचरा मास्क, टिश्यू और दूसरे मेडिकल सामग्री का पैदा हुआ।
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