दुर्भाग्य से इस प्रकार का लोकतांत्रिक नुकसान अब दुनिया के आदर्श हो गया है। फ्रीडम हाउस की ओर से पिछले दिनों जारी फ्रीडम इन द वल्र्ड 2020 सर्वेक्षण में सामने आया है कि 64 देशों की स्वतंत्रता में गिरावट आई है, जबकि 37 देशों ने सुधार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे खराब स्थिति चीन की है। चीन के झिनझियांग में कम्युनिस्ट पार्टी ने सांस्कृति विनाश का अभियान छेड़ रखा है। हालांकि कम्युनिस्ट शासन में दमन कोई नई बात नहीं है। निराशाजनक बात यह है कि पिछले एक वर्ष में दुनिया के 41 स्थापित लोकतंत्रों में से 25 में इसका हनन हुआ है। रिपोर्ट में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में कुछ महीनों से जारी प्रदर्शनों पर सरकार के रवैये पर भी चिंता व्यक्त की गई है। हालंाकि इस मुद्दे पर देश में अलग-अलग मत हैं क्योंकि भाजपा सरकार का केंद्र में दूसरी बार प्रचंड बहुमत से आना इस थ्योरी को खारिज करता है।
फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन बेहतर
अगर बात करें फ्रीडम के मामले में अच्छे देशों की तो शीर्ष के पांच देशों में फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, नीदरलैंड्स और लक्जमबर्ग शामिल हैं। 2009 के बाद अमरीका फ्रीडम हाउस के 100 अंकों में आठ अंक नीचे गिर गया। 86 के स्कोर के साथ ग्रीस, स्लोवाकिया, इटली, मॉरिशस जैसे देश इससे पीछे हैं। ट्रंप की दक्षिणी सीमा पर दीवार बनाने की योजना, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को सियासी फायदे के लिए पक्षकार बनाना और अधिकारियों को अपने पक्ष में गवाही देने के लिए आदेश देने के मामलों को लोकतांत्रिक व्यवस्था की गलत शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। अमरीका के करीबी इजराइल में ऐसी ही लोकतांत्रिक गिरावट नजर आ रही है, जहां प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद ताजा चुनाव में मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। फ्रीडम हाउस ने नोट किया कि नेतन्याहू ने राष्ट्रवादी समूहों में विश्वास बनाए रखने के लिए तेजी से कठोर कदम उठाए हैं।
इस तरह की नीतियों के विरोध में विदेशी कार्यकर्ताओं को प्रतिबंधित करना, कमजोर पड़ रही फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया की कीमत पर वेस्ट बैंक की बस्तियों में इजराइली घुसपैठ और यहूदी लोगों के लिए इजराइल में आत्मनिर्णय के अधिकार को आरक्षित करने जैसे विवादित निर्णय भी लिए हैं। एक खतरा ये है कि भारत, अमरीका और इजराइल जैसे देश अब उसी मार्ग पर बढ़ रहे है, जहां हंगरी और पोलैंड पहले ही जा चुके हैं। प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की अगुवाई में हंगरी एक दशक में स्वतंत्रता के सर्वे में 20 अंक नीचे गिर गया जबकि पोलैंड का स्वतंत्रता स्कोर 2015 के बाद 9 अंक गिर गया।