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दर्दनाक कल – जब कोटा बोला गिर गया हैंगिंग ब्रिज

locationकोटाPublished: Aug 29, 2017 02:00:00 am

Submitted by:

​Vineet singh

कोटा बाइपास पर शहर से करीब 20-22 किलोमीटर दूर चम्बल नदी पर निर्माणाधीन सिंगल स्पान पुल 24 Dec., 2009 की शाम को धराशायी हो गया था।

Hanging Bridge Accident on 24 Dec 2009 in Kota

कोटा बाइपास पर शहर से करीब 20-22 किलोमीटर दूर चम्बल नदी पर निर्माणाधीन सिंगल स्पान पुल 24 Dec., 2009 की शाम को धराशायी हो गया था।

कोटा. ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत कोटा बाइपास पर शहर से करीब 20-22 किलोमीटर दूर चम्बल नदी पर निर्माणाधीन ‘सिंगल स्पान’ पुल 24 दिसम्बर की शाम को धराशायी हो गया। इस हादसे में अब तक छह जनों की मौत हो गई, जबकि चार को गंभीर हालत में अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। मलबे में अभी भी 50 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है। इस मामले में पुलिस ने निर्माण कम्पनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
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हादसे के तीन घंटे बाद दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य शुरू हो सका। लोहे और सीमेण्ट के भारी-भरकम ढांचे हटने के बाद शुक्रवार दोपहर तक अंदर दबे लोगों के निकाले जाने की संभावना हैं। पुलिस और प्रशासन ने मलबे में दबे लोगों के जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी हैं। बचाव कार्य के लिए रावतभाटा परमाणु बिजलीघर, कोटा थर्मल की क्रेनें मंगवाई गई हैं। बचाव कार्य के लिए सेना और अहमदाबाद की आपदा प्रबंधन टीम की भी मदद ली जा रही है। हादसे का प्रारंभिक कारण स्ट्रक्चर का कमजोर होना माना जा रहा है, लेकिन सही कारण जांच के बाद ही पता चलेगा। 
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निर्माणाधीन पुल ढहा
50 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका
06 शव मलबे से निकाले गए
04 लोग हादसे में घायल
05 बजे शाम की घटना
कोटा में चम्बल नदी पर बन रहा था पुल, मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख व गम्भीर घायलों को 1-1 लाख रुपए मुआवजा, दोनों निर्माण कम्पनियों पर मामला दर्ज।

क्रेन की मदद से हटाया मलबा
हादसे की सूचना मिलने पर ग्रामीण विकास मंत्री भरत सिंह, सार्वजनिक निर्माण राज्यमंत्री प्रमोद जैन भाया, सांसद इज्यराज सिंह, संभागीय आयुक्त पी.एल.अग्रवाल, पुलिस महानिरीक्षक राजीव दासोत, जिला कलक्टर टी. रविकांत, पुलिस अधीक्षक भूपेन्द्र साहू व पुलिस अधीक्षक गिरधारीलाल शर्मा मौके पर पहुंचे। कई हजार टन लोहे और सीमेण्ट के भारी-भरकम स्ट्रक्चर होने के कारण मलबा हटाने का कार्य रात साढ़े आठ बजे शुरू हो पाया। गैस कटर की मदद से लोहे के एंगल काटकर क्रेन की मदद से उन्हें हटाया गया।
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रावतभाटा से मंगाई क्रेन
जिला कलक्टर ने बताया कि बचाव राहत शुरू कर दिया है, लेकिन मलबा हटने के बाद ही कुछ हो पाएगा। रावतभाटा परमाणु बिजली घर और थर्मल पावर स्टेशन के गैस कटर और क्रेन मंगवाई गई है। रेलवे और सेना के अधिकारी भी मौके पर आ गए। आपदा प्रबंधन के लिए अहमदाबाद से विशेष टीम को बुलाया गया है, जो शुक्रवार सुबह तक कोटा पहुंच जाएगी। नौसेना का भी बचाव दल बुलाया गया है जो शुक्रवार शाम तक कोटा पहुंचेगा। नेशनल हाईवे ऑथोरिटी के अधिकारी भी कोटा आ रहे हैं।

नहीं मिले अधिकारी
हादसे के बाद से पुल का निर्माण कर रही कोरियाई कम्पनी हुंडई और गैमन इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों का कोई पता नहीं है। काफी देर बाद एक अधिकारी मिला, जिसे पूछताछ के लिए पुलिस कहीं ले गई। आईजी राजीव दासोत ने बताया कि निर्माण कम्पनियों के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। यह गंभीर घटना है।
‘सुरक्षा-उपकरण’ बना जान का दुश्मन
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुल पर सभी लोग ‘हार्नेस’ पहन कर काम करते थे। हार्नेस किसी व्यक्ति को असंतुलित होने के बाद नीचे गिरने से बचाता है। लेकिन यही हार्नेस गुरुवार को कई लोगों की जान का दुश्मन बन गया। हादसे के बाद हार्नेस ने नदी में गिरे किसी भी व्यक्ति को स्ट्रक्चर से अलग नहीं होने दिया। ऐसे में यह श्रमिक स्ट्रक्चर के साथ ही नदी में डूब गए।
पल भर में गिर गया।
चम्बल नदी पर पुल बनाने का काम करीब दो वर्ष पूर्व शुरू हुआ था, लेकिन गुरुवार शाम पुल गिरने में एक पल भी नहीं लगा। धराशायी हुए स्ट्रक्चर, पॉयलॉन व अन्य निर्माण का वजन कई लाख टन बताया गया है। इस कारण मलबे को हटाने में काफी परेशानी आने की आशंका है।
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घर जाने की तैयारी थी
हादसे के समय से कुछ ही देर बाद श्रमिकों की शिफ्ट छूटने वाली थी। श्रमिक अपने-अपने घर जाने की तैयारी में थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि कुछ ही क्षणों बाद मौत उन्हें अपने आगोश में ले लेगी। हादसे में बाल-बाल बचे लोगों की रुलाई फूट गई। वे किसी को कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे।
मुख्य परियोजना अधिकारी से पूछताछ
हुंडई के मुख्य परियोजना अधिकारी जे.वाई.ह्यू हादसे के करीब ढाई घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे, जहां पुलिस अधिकारियों ने उनसे हादसे से पूर्व घटनास्थल पर मौजूद लोगों की संख्या के बारे में पूछा। लेकिन घबराहट में ह्यू कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद आईजी राजीव दासोत उन्हें अपने साथ ले गए। देर रात तक ह्यू से पूछताछ की जा रही थी।
क्रेन समेत पानी में समा गया!
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्ट्रक्चर पर ऊपर एक बड़ी क्रेन भी थी। हादसे में यह क्रेन चम्बल नदी में जा गिरी। इस क्रेन में एक ऑपरेटर भी काम कर रहा था। इस ऑपरेटर के भी क्रेन के साथ पानी में समा जाने की आशंका है।
आधुनिक तकनीक का पहला पुल :
चम्बल नदी पर बन रहा यह पुल आधुनिक ‘केबल सस्पेंशन तकनीक’ पर आधारित भारत का पहला पुल है। इसमें नदी के दोनों ओर कई पिलर बनाए गए, लेकिन नदी पर पुल पूरी तरह हवा में झूलता हुआ बनाया जाना था। जिसे ‘सिंगल स्पान’ भी कहा जाता है। इसी तरह के पुल हावड़ा, मुंबई व नैनी ब्रिज भी है, लेकिन कोटा में बन रहे इस पुल की तकनीक एकदम नई है।
ऐसे हुआ हादसा
ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर के तहत चम्बल नदी पर कोरियाई कम्पनी हुण्डई और भारतीय कम्पनी गेमन इंडिया लिमिटेड सिंगल स्पान का झूलता पुल बना रही है। इसके लिए नदी के रावतभाटा रोड की तरफ करीब 120 मीटर ऊंचा पाइलोन बन चुका हैं, जबकि डाबी की तरफ किनारे पर पाइलोन का कार्य अंतिम चरण में था। पाइलोन के साथ ही नदी के तरफ स्पान बनाने का कार्य भी चल रहा था। यह कार्य हुण्डई कम्पनी कर रही थी। नदी की तरफ स्पान बनाने का कार्य चल था। करीब 35 मीटर स्पान का कार्य प्रगति पर था। इस स्पॉन पर कंक्रीट डालने का काम चल रहा था। शाम करीब पांच बजे अचानक यह हिस्सा और पाइलोन धराशायी हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के समय 50 से अधिक लोग मौके पर मौजूद थे। उनके मलबे में दबे होने की आशंका हैं। पुलिस और अन्य लोगों ने हादसे के बाद दस जनों को बाहर निकाला, जिनमें छह की मौत हो गई, जबकि चार गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।
पुल का गणित
80 मीटर ऊंचा (सड़क से)
120 मीटर भूतल से ऊंचाई
300 मी. लम्बा पुल, कंक्रीट व लोहे से बना था
3.5 किमी मुख्य सड़क से दूरी झूलते पुल की
2 पिलर ए-वन व ए-टू, इन पर लोहे की रस्सियां लगानी थी
4 लेन सड़क मार्ग, एप्रोच रोड पूरी
250 करोड़ की कुल लागत
हुण्डई व गेमन इण्डिया कम्पनी कर रही थी निर्माण
जून, 2007 में काम शुरू हुआ, 2010 अंत तक पूरा होना था।
धारीवाल बोले 50 तक पहुंच सकती है मृतक संख्या
गृह मंत्री धारीवाल ने घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया हादसा निर्माण में लगी कम्पनियों की लापरवाही का लगता है। पुल के ज्वाइंट मजबूत नहीं थे, जिससे पहले झूलता पुल भरभराया और बाद में वह पहले बन चुके खम्भों के पुल सहित जमीन पर आ गिरा। कम्पनियों के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज होगा। मृतकों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है।
कोटा संभागीय आयुक्त करेंगे जांच
चम्बल पुल हादसे की जांच कोटा के संभागीय आयुक्त को सौंपी गई है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता, कोटा जांच में सहयोग करेंगे। प्रमुख सार्वजनिक निर्माण सचिव दिनेश गोयल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एनएचएआई के अधिकारियों से सारी मशीनरी हादसा स्थल पर भेजने को कह दिया गया है। दिल्ली से एनएचएआई के सदस्य (परियोजना) एस.आई.पटेल शुक्रवार को घटनास्थल पर पहुंच जाएंगे।
दिल्ली में भी ढहा था कम्पनी का पुल
12 जुलाई को दिल्ली के लाजपत नगर स्थित जमरूदपुर में मेट्रो का निर्माणाधीन पुल गिरा था, जिसमें एक इंजीनियर सहित 6 मजदूरों की मौत हुई थी और 15 अन्य घायल हुए थे। इस परियोजना का ठेका भी गेमन इण्डिया के पास था। मृतक इंजीनियर इसी कम्पनी के लिए काम कर रहा था।
राज्यपाल, राजे ने जताया शोक
राज्यपाल प्रभाराव ने हादसे पर चिन्ता व्यक्त की है। गुरुवार दोपहर जयपुर आर्ईं राव ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और राहत कार्र्यों की जानकारी भी ली। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने चम्बल पुल हादसे पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कोटा जिला कलक्टर से फोन पर बात कर पूरे हादसे की जानकारी ली और राहत कार्य तेज करने को कहा।
कठोर कार्रवाई जरूरी
कोटा का हादसा दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण है। मरने वाले मजदूरों में ज्यादातर के यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल आदि राज्यों के होने की सम्भावना है। आईओसी व बस्सी के रेल हादसे के बाद यह लगातार तीसरी ऐसी दुर्घटना है, जिसमें अपना जिम्मा न होते हुए भी राज्य सरकार ने पहल करके मृतकों के परिजनों और घायलों के लिए सहायता राशि की घोषणा की है। यह सराहनीय है, पर इतने से ही काम चलने वाला नहीं है। राज्य सरकार को नेशनल हाईवे अथॉरिटी, निर्माणकर्ता कम्पनियों और उसके ठेकेदारों से मौके पर काम कर रहे तमाम मजदूरों की जानकारी लेकर उनसे भी उनके परिजनों को पूरी आर्थिक मदद दिलानी चाहिए।
कहीं ऐसा न हो कि मृतकों की पहचान भी न हो पाए और उनके परिजन इन कम्पनियों और ठेकेदारों से मिलने वाली सहायता राशि के लिए भी तरस जाएं। निर्माण कार्यों में निजी क्षेत्र पर प्रतिबंध की बात करना तो आज के माहौल में सम्भव नहीं है, लेकिन ऐसी जानलेवा लापरवाही बरतने वाली कम्पनियों को तो ब्लैक लिस्टेड किया ही जाना चाहिए। भविष्य में ऐसे निर्माण कार्र्यों में पूरी गुणवत्ता रहे और सुरक्षा के पूरे इंतजाम हों, इसके लिए जरूरी हो तो उन पर सरकारी निगरानी का भी कोई तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। दोषी कम्पनियों और उसके अधिकारियों पर तो जितनी जल्दी हो कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए।
जारी है मशक्कत
तीन शव और मिले, एक ही निकाल पाए, मृतक संख्या 9 हुई
कम्पनी ने 45 की सूची दी, 32 जनों की तलाश

गहलोत और वसुन्धरा पहुंचे घटनास्थल पर
कोटा, 25 दिसम्बर। ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत कोटा बाइपास पर गुरुवार शाम धराशायी हुए चम्बल नदी पर निर्माणाधीन ‘सिंगल स्पान के झूलते पुलÓ के मलबे से 24 घंटे बाद भी शुक्रवार को सिर्फ तीन जनों के शव मिले, जिनमें से भी एक शव ही बाहर निकाला जा सका। दो शव तीन हजार टन वजनी स्लैब के नीचे दबे होने से उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका। दुर्घटना की आशंका के चलते अन्य लोगों के शवों की तलाश का कार्य रात को बंद कर दिया गया। निर्माण कंपनी ने प्रशासन को घटना के समय कार्य करने वाले जिन 45 लोगों की सूची उपलब्ध कराई, उनमें से 32 लोग अभी भी लापता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुक्रवार को कोटा पहुंचे। उन्होंने अस्पताल जाकर घायलों की कुशलक्षेम पूछी और घटनास्थल पर राहत कार्य का अवलोकन किया। 
हादसे के बाद लापता लोगों की तलाश के लिए शुक्रवार को तेज गति से मलबा हटाने का कार्य शुरू किया गया, वहीं पानी में डूबे लोगों की तलाश के लिए नई दिल्ली से नौसेना और अहमदाबाद से विशेष टीम बुलाई गई। अहमदाबाद से आई विशेष टीम ने पानी में शवों को तलाशने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
गहलोत ने किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार सुबह करीब पौने ग्यारह बजे हेलीकाप्टर से जयपुर से कोटा पहुंचे। उनके साथ भूतल परिवहन राज्यमंत्री महादेव सिंह खण्डेला भी थे। उन्होंने पहले निजी अस्पताल में भर्ती घायलों की कुशलक्षेम पूछी। इसके बाद उन्होंने घटनास्थल पर चल रहे बचाव कार्य का जायजा लिया। उन्होंने मलबे और नदी के मुहाने पर जाकर स्थिति देखी, वहां कार्य कर रहे श्रमिकों से बातचीत कर हादसे की जानकारी ली। उनके साथ गृहमंत्री शांति धारीवाल, ग्रामीण विकास मंत्री भरत सिंह, सार्वजनिक निर्माण राज्य मंत्री प्रमोद जैन ‘भाया’, सांसद इज्यराज सिंह, कांग्रेस देहात अध्यक्ष रामकिशन वर्मा, और संभागीय आयुक्त पी.एल. अग्रवाल ने उन्हें हादसे की जानकारी दी। उन्होंने जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्य पर संतोष व्यक्त किया।
जुटे
200 श्रमिक
200 पुलिस कर्मी
50 अधिकारी
80 सेना के जवान
08 क्रेन
07 जेसीबी
11 गैस कटर
20 गुजरात से आए आपदा प्रबंधन दल के सदस्य
06 गोताखोर नेवी के
06 नाव
दो जांच कमेटी गठित
जयपुर। हादसे की जांच के लिए शुक्रवार को राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की, वहीं घटना के प्रशासनिक पहलुओं की जांच के लिए राज्य सरकार ने दो सदस्यीय कमेटी बनाई है। विशेषज्ञ कमेटी में राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण महानिदेशक (सडक) निर्मलजीत सिंह, पूर्व महानिदेशक निनान कोशी, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ए.के. नागपाल व तकनीकी डिजायनर महेश टंडन को सदस्य बनाया है, जबकि राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी में कोटा के सम्भागीय आयुक्त एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग के कोटा क्षेत्र के अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता को शामिल किया है।
इनके मिले शव
प्रवीण पलायथा, राजेश मरांडी कुसुमपाड़ा झारखंड, जोगा सिंह गुरुदासपुर, जोगेन्दर सिंह अमृतसर, किशोर शर्मा गोपालगंज, गोकुल मंडल व रमेश नादिया। पुलिस ने छह मृतकों का पोस्टमार्टम करवा दिया है।
पगड़ी उठाई, सीने से लगाई…और फूट पड़ा
अमृतसर का हरभजन सिंह शुक्रवार को दिनभर मलबे के ढेर पर यहां-वहां अपनों की तलाश करता रहा। शाम को अचानक एक जगह जेसीबी मशीन के मलबा उठाते ही उसे छोटे भाई जोगेन्दर सिंह (45) की पगड़ी नजर आई। उसने भागकर पगड़ी को उठाया और जैसे ही सीने से लगाया, आंखों से अश्रुधारा बह निकली। देर शाम जोगेन्दर का शव निकाल लिया गया। अब भी हरभजन के सात रिश्तेदार मलबे के नीचे दबे हैं। हरभजन ने बताया कि वह और उसके 17 अन्य रिश्तेदार दो साल पहले कोटा में निर्माणाधीन पुल के कार्य से जुड़े थे। 
कभी सपने में भी उन्होंने नहीं सोचा था कि ऐसा हादसा भी हो सकता है। 
लेकिन जब ‘तबाहीÓ आई तो एक ही क्षण में जोगेन्दर, लखविंदर (२५), तरसेम (20), प्रेमसिंह (25), सरबजीत (20), जसपाल (22), कुलविंदर (30) व दलजीत (20) इसका शिकार हो गए। पंजाब में उनके घरों में अभी कोहराम मचा है। कुछ ही दिनों बाद ये सब छुट्टïी लेकर परिवार में लौटने वाले थे, लेकिन अब घर लौट कर हरभजन अपने परिजनों को क्या बताएगा, यही सवाल उसे बार-बार कचोट रहा है।
14 पर मामला, 2 गिरफ्तार
पुलिस ने पुल हादसे के लिए जिम्मेदार गैमन इण्डिया, हुण्डई व राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चौदह अधिकारियों के खिलाफ गुरुवार देर रात सदोष मानव वध का मामला दर्ज कर लिया। इनमें से दो अधिकारियों हुण्डई इंजीनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर जे.वाई.ह्यू व गैमन इण्डिया के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर आर.चट्टïोपाध्याय को शुक्रवार सुबह गिरफ्तार कर लिया।
जिन अधिकारियों के खिलाफ धारा 304 व 308 में मामला दर्ज किया गया इनमें ह्यू व चट्टïोपाध्याय के अलावा हुण्डई इंजीनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर के.एस. चाको, एडमिनिस्टे्रशन मैनेजर जे.एच. किम, प्लानिंग मैनेजर डब्ल्यू.वाई.पार्क, कंस्ट्रक्शन मैनेजर सुधीराज, प्लानिंग इंजीनियर नितिन नागर, सिविल इंजीनियर दीपक यादव व विनोद गुप्ता, गैमन इण्डिया के कंस्ट्रक्शन मैनेजर वी.एन. सिंह व एम.दास, प्लांट मैनेजर सुब्रमण्यम तथा राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनूप कुलश्रेष्ठ व टेक्निकल मैनेजर अशोक गुप्ता शामिल है। देर रात तक पुलिस हुण्डई के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर के.एस. चाको को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी।
निर्माण कंपनी से दिलवाएंगे 10-10 लाख रुपए
बचाव कार्य चुनौती : मुख्यमंत्री
कोटा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चम्बल पर निर्माणाधीन पुल हादसे के दोषियों को सजा दिलवाने के प्रयास में राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। केन्द्र सरकार से भी पूरी मदद ली जाएगी। उन्होंने शुक्रवार को घटनास्थल पर पत्रकारों को बताया कि अभी मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालना सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार की सबसे बड़ी चिंता यही है कि मलबा जल्दी कैसे हटे। राहत कार्य के लिए दिल्ली और गुजरात से विशेष टीम बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार घायल और मृतकों के परिजनों के लिए सहायता राशि की घोषणा कर चुकी है। 
उनकी केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमलनाथ से बात हो गई है। केन्द्र सरकार भी ठेकेदारों से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराएगी। घायलों के इलाज के लिए भी मदद की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मलबे में दबने वाले ज्यादातर श्रमिक पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और पंजाब के रहने वाले हैं।
विशेषज्ञ बताएंगें खामियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण करवा रहा था। हादसे के क्या कारण हैं, क्या खामियां हैं, ये तो विशेषज्ञ बताएंगें। यदि कोई खामी मिलती है तो तत्काल कार्रवाई की जाएं। शेष पेज 10 पर
संसाधनों की कमी नहीं
उन्होंने कहा कि बचाव कार्य के लिए सरकार के पास संसाधनों की कमी नहीं हैं। आरएपीपी, थर्मल और अन्य कंम्पनियों से मशीनें आ गई। दिल्ली और गुजरात से टीमें बुलाई गई हैं। पुलिस और आरएसी कार्य रही हैं।
‘सरकार व प्रशासन ने नहीं रखी सतर्कता’
कोटा। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि चम्बल पुल हादसे को आपराधिक कृत्य बताकर राज्य सरकार बच नहीं सकती। इस हादसे के लिए वह भी जिम्मेदार है। निर्माण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में खामियां रहने के कारण यह भयानक हादसा हुआ। जिस कंपनी के बनाए गए पुल हैदराबाद और दिल्ली में पहले गिर चुके हैं, उसके भरोसे ही सुरक्षा और सारा काम छोडऩा प्रशासन का गैर जिम्मेदार रवैया रहा। उन्होंने शुक्रवार को कोटा में पत्रकारों से कहा कि सरकार और प्रशासन को निर्माण के दौरान जो सतर्कता रखनी चाहिए थी, वह नहीं रखी। 
इसी कारण श्रमिकों की अकाल मौत हुई। ऐसी गैर जिम्मेदार कपंनी को काम देने के बाद काम किस तरह हो रहा है, इस पर प्रशासन को निगरानी रखनी चाहिए थी। मुआवजे से किसी की जान वापस नहीं आ सकती, फिर भी मृतकों के परिवारों की सहायता करने में सरकार को कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए। साथ ही निर्माण करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सो रही है, सत्ता में बैठे लोगों ने बड़े-बड़े हादसों से कोई सबक नहीं लिया। जो सरकार दो महीने में साहिल को बाहर नहीं निकाल सकी, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। वे घटनास्थल पर चल रहे बचाव कार्य से संतुष्ट नहीं है। पिछले साल गेपरनाथ हादसा हुआ था, उस समय तत्कालीन भाजपा सरकार ने अविलम्ब बचाव कार्य शुरू कर सभी लोगों को सकुशल बाहर निकाल लिया था।
कोटा। कोटा में गुरुवार को धराशायी हुए चम्बल नदी पर निर्माणाधीन ‘सिंगल स्पान के झूलते पुल’ के मलबे में अब शवों की तलाश कठिन होती जा रही है। रविवार को तलाशी के दौरान सात शव निकाले गए, इनमें पांच वे शव हैं, जो शनिवार को दिख गए थे। इनमें कोटा के इंजीनियर दीपक यादव का शव भी शामिल है। तीन शव मलबे में फंसे दिखे, जिन्हें निकालने की मशक्कत जारी है। हादसे में मृतकों की संख्या 33 पहुंच गई है, जिसमें से 30 के शव निकाल लिए गए हैं। मृतकों के परिजनों व घायलों को राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत मुआवजा राशि का वितरण शुरू कर दिया गया है।
तड़के तक चला काम
मलबे में दबे शवों को निकालने का कार्य रविवार तड़के तीन बजे तक चला। फिर कार्य रोक दिया गया। सुबह नौ बजे बाद फिर जद्दोजहद शुरू हुई। दिन में नदी में तलाशी कार्य के चलते दो-तीन बार मलबा हटाने का कार्य रोकना पड़ा। 
आज निकले शव
तरसीम सिंह (40) अमृतसर, दीपक यादव (25) बजरंग नगर कोटा, शरीफुल शेख (20) नदिया, दयानंद (21) गोपालगंज बिहार, सुभाष शर्मा (40) गोपालगंज बिहार, साधन विश्वास (30) नदिया व दिनेश कुमार साहनी (23) शामिल है। शनिवार देर रात तक शिनाख्त न हो पाने वाले शव की रविवार शाम शिनाख्त हो गई। मृतक की पहचान रामध्याना शर्मा (28) गोपालगंज बिहार के रूप में हुई है।
पानी से शव निकालना चुनौती-सीएम
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पानी से शव निकालना बड़ी चुनौती है। केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमलनाथ से उनकी आज भी बात हुई है। राज्य सरकार की राहत के अलावा राजमार्ग प्राधिकरण से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा दिलाया जा रहा है। गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के प्रशासन व सरकार के समय पर सक्रिय न होने के आरोप पर कहा कि पुलिस-प्रशासन तत्काल सक्रिय हुआ और डेढ़ घण्टे में ही जयपुर में उच्चस्तरीय बैठक कर गृह मंत्री को कोटा भेजा गया। 
गहलोत ने चुटकी ली कि ‘शिकायत सिर्फ शिकायत करने वालों को है, और किसी को नहीं। विपक्ष को यह भी नहीं पता कि यह परियोजना केन्द्र की है या राज्य की। मुख्यमंत्री ने बताया कि राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष सोमवार को जयपुर आ रहे हैं। गहलोत ने कहा कि साहिल को निकालने में भी प्रशासन ने पूरा प्रयास किया।
16 शव और निकाले
मृतक संख्या 28 निकाले 23
दबे दिखे 05

कोटा, 26 दिसम्बर. ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत चम्बल बाइपास पर गुरुवार शाम धराशायी हुए चम्बल नदी पर निर्माणाधीन ‘सिंगल स्पान के झूलते पुल’ के मलबे में अब जिंदगी की उम्मीद खत्म हो गई है। लापता लोगों की तलाश के लिए चल रही मशक्कत के दौरान शनिवार शाम तक 16 शव निकाले गए। इनमें वो दो शव भी शामिल हैं, जो शुक्रवार को मिल गए थे, लेकिन उन्हें शनिवार को निकाला गया। इसके अलावा 5 शव मलबे में दबे दिख रहे हैं, जिन्हें निकाला नहीं जा सका। मृतकों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है, जबकि 4 जने घायल हैं। मलबे में दबे शव खराब होने शुरू हो गए हैं, जिससे आस-पास दुर्गन्ध फैलने लगी है।
शव की तलाश में जुटे सेना के जवानों और मजदूरों को मास्क पहनकर काम करना पड़ रहा है। नौसेना, आरएसी, नगर निगम के गोताखोरों ने पानी के भीतर जाकर शवों की तलाश की, मलबे में उन्हें कुछ शव भी दिखे, लेकिन निकाले नहीं जा सके। हुण्डई व गेमन इण्डिया के गिरफ्तार दो अधिकारियों को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें ५ दिन के पुलिस रिमाण्ड पर सौंप दिया गया।

हुण्डई और गेमन के अधिकारी पहुंचे
गिरफ्तार दो अधिकारी 5 दिन के रिमाण्ड पर
निर्माण कम्पनी हुण्डई और गेमन इण्डिया के शीर्ष अधिकारी शनिवार को कोटा पहुंच गए। सार्वजनिक निर्माण राज्यमंत्री प्रमोद जैन भाया ने शनिवार दोपहर को दोनों कम्पनी के शीर्ष अधिकारियों, एनएचएआई व पीडब्लूडी के अधिकारियों को त्वरित गति से तलाश कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। फिर छह टीमों का गठन कर कार्य शुरू हुआ। अधिकारियों के अनुसार नदी के किनारे का मलबा रविवार शाम तक हटा लेने की सम्भावना है।
युद्धस्तर पर मशक्कत
मलबे में दबे इंजीनियर भी
इंजीनियर बेटे सुधीर राय को जब मुम्बई में पुल बनाने के लिए राष्टï्रीय पुरस्कार मिला तो बनारस निवासी पिता ऋषिदेव राय का सीना चौड़ा हो गया। लेकिन पुल निर्माण का यही कार्य अब उन्हें खून के आंसू रुला रहा है। हादसे के बाद से सुधीर का पता नहीं है। उधर पुलिस ने इस मामले में सुधीर को भी अभियुक्त बनाया है। सुधीर (35) हुण्डई में कंस्ट्रक्शन मैनेजर व हादसे के शिकार हुए पुल के प्रभारी हैं। हादसे के समय वे पुल पर थे। उनकेमलबे में दबे होने की आशंका है। दो दिन से घटनास्थल पर मौजूद ऋषिदेव कभी प्रशासन पर गुस्सा कर तिलमिला जाते हैं, तो कभी सुबकने लगते हैं। 
गुस्सा इसलिए कि अभी इस बात का भी पता नहीं कि सुधीर जिंदा है या…, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
‘सॉरी’ तो कह देते
अस्सी वर्षीय ऋषिदेव की आंखों में निराशा के साथ नाराजगी भी है। उनका कहना है कि सुधीर 1998 से हुण्डई के साथ काम कर रहा था, लेकिन हुण्डई के अधिकारियों ने अब तक कोई संवेदना नहीं दिखाई। वे एक बार आकर सॉरी कह देते तो मन का बोझ कुछ तो हलका होता।
दीपक भी नहीं मिला
-हुण्डई के सिविल इंजीनियर बजरंगनगर निवासी दीपक यादव का भी अब तक पता नहीं चला है। उनके भी मलबे में दबे होने की आशंका है। वहीं पुलिस ने यादव के खिलाफ भी सदोष मानव वध का मामला दर्ज किया है।
छह उपाध्यक्ष पहुंचे
हादसे के बाद शनिवार को गेमन इंडिया कंपनी के छह उपाध्यक्ष कोटा पहुंच गए। इन सभी को तलाशी कार्य के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई।
पोटलियां बनी
एमबीएस अस्पताल पहुंचे शवों की शिनाख्त के बाद कम्पनी के प्रतिनिधियों के सामने उनका पंचनामा किया गया। श्रमिकों की जेब से पर्स, डायरी, टेप, मोबाइल फोन, रूमाल आदि निकले, जिन्हें उनके नाम की पोटलियां बनाकर एमबीएस चौकी पर रखवाया गया है। कई मृतकोंं के फोन एमबीएस अस्पताल पहुंचने तक बजते रहे। शवों की पहचान के लिए लोगों का तांता लगा रहा।
निर्माण कार्य में हुई चूक!
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सदस्य सुभाष पटेल ने चम्बल पुल हादसे के लिए तकनीकी डिजाइन और सुपरविजन में खामी की आशंका से इनकार करते हुए कहा कि यह हादसा निर्माण कार्य में ‘चूक’ की वजह से हो सकता है। दुर्घटनास्थल पर शनिवार को संवाददाताओं से बात करते हुए पटेल ने कहा कि गेमन इंडिया और हुण्डई के शीर्ष अधिकारी कोटा पहुंच गए हैं। हादसे का सही कारण तो विशेषज्ञों की जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन उन्हें पुल के डिजाइन और निर्माण कार्य के सुपरविजन में किसी कमी की आशंका कम लग रही है। निर्माण कार्य का सुपरविजन दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कम्पनियां कर रही थी। हो सकता है कि किसी काम में जल्दबाजी या कमी रह गई। दोनों कम्पनी के मुख्य प्रोजेक्ट अधिकारी गिरफ्तार हैं। मौके पर क्या कमी रही, वे ही ज्यादा बेहतर बता सकते हैं। वे किसी का बचाव नहीं कर रहे हैं, जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
भारत में पहला प्रयोग
पटेल ने कहा कि चम्बल नदी पर ‘केबल स्टेड’ तकनीक से बन रहा यह ‘हेंगिंग पुल’ भारत में दूसरा है, लेकिन इतना बड़ा पुल पहली बार बन रहा है। इनमें बहुत तकनीकी पेचिदगियां होती हैं। वन और पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण चम्बल नदी में कोई पिल्लर या नींव बनाने की अनुमति नहीं दी। मंत्रालय की शर्त यही थी कि पुल ‘सिंगल स्पान’ बनेगा और नदी के बाहर पाइलोन रहेंगे। यह स्पान 350 मीटर का है। विदेशों में केबल स्टेड ब्रिज 500 से 750 मीटर तक बने हुए हैं। उन्होंने माना कि भारतीय इस तकनीक में अभी कमजोर हैं।
हुण्डई और गेमन ही करेगी कार्य
पटेल ने बताया कि इतने बड़े हादसे के बाद भी दोनों कम्पनियों ने पुल निर्माण का वादा किया है। अभी यह मलबा हटने में एक माह का समय लगेगा। कंपनी दो माह बाद फिर से काम शुरू कर देगी। प्राधिकरण को भी उनकी कार्य क्षमता पर विश्वास है।
कंपनी भुगतेगी नुकसान
पटेल का कहना था कि कम्पनी ने निर्माण के लिए अनुबंध राशि तय कर रखी है। पुल धराशायी होने का नुकसान कंपनी को वहन करना होगा।
हृदय विदारक दृश्य और सेना का धैर्य
जगदीश परालिया

कोटा, 26 दिसम्बर। समय : दोपहर तीन बजे… चम्बल नदी के ठीक पास मलबे के एक ढेर पर जैसे ही क्रेन व गैस कटर के जरिए कुछ जगह बनाई गई तो वहां खड़े सैनिकों व अन्य राहत कर्मियों के रोंगटे खड़े हो गए। वहां का शोर जैसे थम गया। वहां हर आंख में पानी तैर रहा था।
ये तो सैनिकों का धैर्य ही था, जिन्होंने दिल थामकर अपने कार्य को अंजाम दिया और गैस कटर की सहायता से कुछ सरिये काटकर मलबे के नीचे एक गुफानुमा रास्ता बनाया और अंदर घुस गए। अंदर का दृश्य हृदय विदारक था, जहां शवों का ढेर लगा था। कुछ ही देर में एक के बाद एक शव निकले तो स्ट्रेचर और सफेद कपड़ा भी कम पड़ गया। सारे शव क्षत-विक्षत थे, किसी का धड़ मिला तो सिर गायब, किसी का पैर तो किसी का हाथ। शव सडऩे की सड़ांध धीरे-धीरे वातावरण में जगह बनाने लगी। बार-बार फिनायल का छिड़काव कर जवानों ने एक-एक शव निकाला और स्ट्रेचर पर रखकर एंबुलेंस तक पहुंचाया। मलबे के नीचे दबी यह वही जगह थी, जहां स्पान पुल का ‘बकेट’ गिरा, जिसमें करीब 30 मजदूर थे। ‘बकेट’ का आकार ही ऐसा था, जिसमें से मजदूर बचने के लिए भाग भी नहीं सके। यहां जिंदगी की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती।
अरे यह तो शाकिर है
इसी जगह निर्माता कंपनी का एक कर्मचारी मजदूरों की सूची लेकर खड़ा था। जैसे ही एक शव बाहर आया तो बोला, ‘अरे, यह तो शाकिर है।’फिर दूसरे शव को लक्खा बताया। ऐसे ही वह शवों की पहचान करता और सूची में पेन से एक लकीर खींच देता।
परिजन भी परेशान
अल सुबह से अपनों के जिंदा बचने की उम्मीद में इंतजार कर रहे परिजन पेशोपेश में रहे। कोई उन्हें बताने को तैयार नहीं था कि शव किसका निकला है। कुछ शवों की हालत तो पहचान करने लायक भी नहीं थी। जैसे ही एंबुलेंस शव लेकर रवाना होती, कुछ लोग अपने-अपने साधन से उसके साथ हो लेते।
रात 12.00 बजे
शनिवार रात 12 बजे तक बचाव कार्य में जुटे निगमकर्मी व सेना के जवान। नीरज
बचाव कार्य मध्य रात्रि
कोटा। मलबे से शव निकालने की मशक्कत रातभर जारी रही। रात 9 बजे कुछ शव दिखाई दिए, लेकिन सरियों और तारों में फंसे होने के कारण देर रात 12 बजे तक ये नहीं निकाले जा सके। सार्वजनिक निर्माण राज्यमंत्री प्रमोद जैन भाया, संभागीय आयुक्त पी.एल. अग्रवाल और जिला कलक्टर टी. रविकांत सहित कई अधिकारी रात में मौके पर ही मौजूद थे। भाया ने कलक्टर से कहा कि जिन शवों की शिनाख्त हो गई है, उनके परिजनों को तत्काल मुआवजा राशि का चेक दे दिया जाए। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मिलने वाली राशि भी दे दी जाए।
कलक्टर ने बताया कि मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन मृतकों के परिजन नहीं आ पाएंगे, उनकी मुआवजा राशि संबंधित जिला कलक्टर के जरिए पहुंचा दी जाएगी। मुआवजा देने में देरी नहीं होगी।
एनएचएआई अध्यक्ष आएंगे : सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश गोयल ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष 28 दिसम्बर को जयपुर आएंगे और मुख्यमंत्री से इस प्रकरण पर चर्चा करेंगे। उनके आने से पहले मुआवजा वितरण शुरू कर दिया जाए। इसके लिए बैंक में यूआईटी के नाम का स्पेशल खाता खुलवाकर उसमें मुआवजे की राशि जमा की जाए।
खाली रहे हाथ
कोटा, 28 दिसम्बर। चंबल हैंगिंग पुल हादसे को पांच दिन बीत जाने के बाद भी मलबे में दबे पूरे शवों को बाहर नहीं निकाला जा सका। सोमवार को शाम 5.30 बजे तक एक भी शव निकालने में सफलता नहीं मिली। मलबे में दबे लोगों के परिजन टकटकी लगाए रोजाना की तरह रेस्क्यू दलों की कार्रवाई देखते रहे। सुबह 8.30 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया, लेकिन लोहे और कंक्रीट के कड़े गठजोड़ के कारण सफलता नहीं मिली। इसके बाद गैस कटर से सरियों को काटने का काम शुरू किया गया।
जिसमें काफी समय लगा। रविवार रात 1.30 बजे तक मलबे से 30 शव बाहर निकाले जा चुके थे तथा 3 शव मलबे में दिखाई दे रहे थे। सोमवार को इन तीन शवों को निकालने की मशक्कत शुरू हुई। क्रेनों से कंकरीट के स्लेब को तोडऩे का कार्य शुरू हुआ, लेकिन शवों को बाहर नहीं निकाला जा सका।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दल पहुंचा
हैंगिंग ब्रिज हादसे में चल रहे राहत कार्य में राष्ट्रीयआपदा प्रबंधन का दल सहयोग देगा। दल के 40 सदस्य सोमवार देर रात गुजरात से पहुंचे। गौरतलब है कि टीम ने कुछ ही सप्ताह पूर्व शहर में आपदा के समय बचाव व राहत कार्य चलाने का प्रदर्शन किया था। 
जांच में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, पानी में पड़े मलबे की भी जांच होगी
कोटा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष बृजेश्वर सिंह ने कहा कि कोटा में निर्माणाधीन पुल के ढहने का सही कारण तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन इसके पीछे सीमेंट-कंकरीट की आंतरिक मजबूती में कमी भी कारण हो सकती है। पानी में पड़े मलबे की जांच के बाद ही स्पष्ट नतीजे तक पहुंचा जा सकेगा।
सोमवार शाम कोटा पहुंचे सिंह घटनास्थल का जायजा लेने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण कारण जानने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा। प्राधिकरण की कोशिश होगी कि भविष्य में दोबारा ऐसा हादसा नहीं हो। उन्होंने इसे अब तक का सबसे दर्दनाक हादसा बताया। हादसे के पीछे अभी बहुत सारे कारणों की आशंका व्यक्त की जा रही है। करीब 140 मीटर ऊंचा दस हजार टन वजन का पाइलोन खड़ा करने में असंतुलन रह गया हो। पुल के लिए कंकरीट में जो लोहे की रस्सियां लगाई जा रही थी, उसमें खिचाव कम या ज्यादा रह गया हो। यही पता करने के लिए मलबे से स्टील के सरिए और रस्सों की जांच की जा रही हैं।
अभी ‘ब्लैक लिस्टेड’ नहीं
सिंह ने कहा कि बिना कोई ठोस सबूत के किसी पर लांछन लगाना ठीक नहीं है। जांच के बिना किसी को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया जा सकता। नदी के दूसरी तरफ बने पाइलोन और निर्माण में कोई कमी नजर नहीं आई है। दोनों कंपनियां अनुभवी हैं तथा उनके पास अन्तरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ हैं। देश में इस तकनीक के पुल पहले भी बने हैं। हादसे से पहले कुछ ऐसे संकेत नहीं मिले, जिससे कुछ अनुमान लगाया जा सके।
तलाश
07 शव रविवार को निकाले
33 हुई मृतकों की संख्या
30 शव अब तक निकाले
03 शव मलबे में दबे दिखे
शव और निकाले
मृतकों की संख्या 36 हुई
अहमदाबाद की टीम ने संभाला मोर्चा
कोटा, 29 दिसम्बर। चम्बल नदी पर निर्माणाधीन पुल के ध्वस्त मलबे से मंगलवार को छठे दिन पांच शव और निकाले गए। इनमें तीन वे हैं, जिन्हें निकालने के लिए रविवार रात से मशक्कत चल रही थी। मलबे में एक शव बुरी तरह फंसे होने के कारण उसे बुधवार सुबह तक निकाला जाएगा। अब इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 36 हो गई है। अहमदाबाद से आए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सदस्यों ने मंगलवार को तलाशी कार्य का मोर्चा सम्भाल लिया।
दुर्घटना स्थल पर सोमवार देर रात तक शवों को निकालने के प्रयास किए गए। मंगलवार सुबह रॉक ब्रेकर की मदद से भारी-भरकम स्लैब तोडऩे का काम शुरू किया गया। 
रेस्क्यू टीम को शव निकालने में पहली सफलता सुबह मिली। स्लैब के नीचे घुसकर नगर निगम कर्मियों ने शव को बाहर निकाला। शाम तक चार और शव मलबे से निकाले गए। मंगलवार रात को एक शव मलबे में दबा मिला, लेकिन बुरी तरह फंसे होने के कारण उसे रात को निकालने का इरादा त्याग दिया गया।
अभी भी 11 श्रमिक लापता
गेमन इंडिया और हुंडई कंपनी ने मंगलवार को 59 श्रमिक और इंजीनियरों की अधिकृत सूची जिला प्रशासन को सौंपी। इसमें से 35 के शव खोजे जा चुके हैं, 4 जने अस्पताल में भर्ती हैं। 8 श्रमिकों को साधारण उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, लेकिन 11 श्रमिक अभी भी लापता हैं।
दोनों अधिकारी आज होंगे पेश
चम्बल पुल हादसे के लिए जिम्मेदार गेमन इंडिया व हुंडई कम्पनियों के गिरफ्तार दोनों अधिकारी बुधवार को न्यायालय में पेश होंगे। पुलिस ने बताया कि इनसे अभी तक पुल निर्माण के दौरान बनाई गई कई सीडी, जरुरी दस्तावेज व राष्टï्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से पुल निर्माण की शर्र्तों की सूची हासिल कर ली है, लेकिन और जानकारियां हासिल करनी है, इसके लिए अदालत से रिमाण्ड की मांग की जाएगी।
गौरतलब है कि कुन्हाड़ी पुलिस ने निर्माण कम्पनियों के 14 अधिकारियों के खिलाफ धारा 304 व 308 में मुकदमा दर्ज किया था। जिनमें से हुंडई इंजिनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन कम्पनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर जे.वाई. ह्यू और गेमन इंडिया के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर आर. चटोपाध्याय को गिरफ्तार किया था। पांच दिन की रिमांड अवधि पूरी होने पर दोनों अधिकारियों को बुधवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
इनके मिले शव
बुद्धिश्वर मण्डल (43) नादिया, पूना देव (22) जलपाईगुड़ी, मुकेश कुमार (27) झारखण्ड, जसपाल सिंह (22) अमृतसर, कुलविंदर सिंह।
पानी में नहीं दिखे शव
नदी में गिरे मलबे में संभावित शवों की तलाश में उतरी टीमें मंगलवार को भी खाली हाथ रहीं। अहमदाबाद से आई राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) व मुंबई से आए समुद्री गोताखोरों को नदी में मलबे के अलावा कुछ नजर नहीं आया।
भारी स्लेब बने
मृतकों की संख्या 38
दिनभर की मशक्कत के बाद एक शव निकाला जा सका, दो मलबे में दिखे, आरएपीपी की जंगी क्रेन भी फेल
कोटा, 30 दिसम्बर। चंबल पुल हादसे के बाद मलबे से बुधवार को एक ही शव निकाला जा सका। दो शव अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। अब हादसे में मरने वालों की संख्या 38 हो गई है। कंपनियों की ओर से हादसे के दौरान मौजूद लोगों की उपलब्ध कराई गई सूची में शामिल नौ जने लापता है। मलबे से बुधवार को निकाला गया शव मंगलवार को ही दिखाई दे गया था, लेकिन रात तक निकाला नहीं जा सका। बुधवार को सुबह 8 बजे मलबा हटाकर शव तलाशने का कार्य शुरू किया गया।
आरएसी, नगर निगम, रेलवे, एनडीआरएफ के दल गैस कटर से सरियों को काटने व क्रेनों से स्लेब तोडऩे में लग गए। दो घंटे तक कोई सफलता नहीं मिलती देख आरएपीपी की क्रेन को भारी-भरकम स्लेब को उठाने के लिए लगाया गया। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद भी स्लेब को उठाने में कामयाबी नहीं मिली।
इसके बाद चार छोटी क्रेनों की मदद से स्लेब को धीरे-धीरे तोडऩे व एंगल हटाने का काम शुरू हुआ। शाम 5 बजे स्लेब के नीचे फंसे पलायथा निवासी रामस्वरूप के शव को बाहर निकाल लिया गया। रात को मौके पर मौजूद अतिरिक्त जिला कलक्टर बी.एल.कोठारी ने बताया कि मलबे में दो शव और दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन्हें निकालने में काफी परेशानी हो रही है।
काम आई भीलवाड़ा की क्रेन
भीलवाड़ा से आई दो क्रेन दिनभर स्लेब को तोडऩे में लगी रही। टीम के सदस्य बिहारी सिंह ने बताया कि स्लेब को एक साथ उठाने में क्रेन के पलटने का खतरा है, इसलिए धीरे-धीरे तोड़ा जा सकता है।
शहर छोडकर नहीं जा सकेंगे गेमन व हुण्डई के अधिकारी
विदेश जाने से रोकने के लिए पासपोर्ट भी जब्त, रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद कसेगी लगाम
कोटा, 30 दिसम्बर। चंबल पुल हादसे के लिए जिम्मेदार एनएचएआई व निर्माण कंपनियों के अधिकारी शहर छोड़कर नहीं जा सकेंगे। पुलिस ने नामजद सभी अधिकारियों को इसकी हिदायत दी है। पुलिस ने विदेशी अधिकारियों के अपने भागने की आशंका के चलते उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए हैं। पुलिस महानिरीक्षक राजीव दासोत ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। अब तक नामजद व अन्य सभी अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा वर्क ऑर्डर जारी करते समय तय शर्र्तों की सूची मिल जाने के बाद, अब पुल निर्माण के समय प्रतिदिन बनाई जाने वाली वीडियो सीडी के माध्यम से शर्र्तों की अनुपालना में कोताही की जांच की जा रही है। जांच में जिस भी अधिकारी की लापरवाही सामने आएगी मामले में उसका नाम जोड़कर उसे गिरफ्तार किया जाएगा। वहीं नामजद अधिकारियों में जो हादसे के लिए जिम्मेदार नहीं है, उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। 
रेस्क्यू ऑपरेशन प्राथमिकता
प्रशासन की पहली प्राथमिकता मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने की है। इसमें एनएचएआई, हुण्डई व गेमन के अधिकारियों व कर्मचारियों का सहयोग लिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार रेस्क्यू ऑपरेशन की समाप्ति तक पुलिस हादसे के लिए जिम्मेदार निर्माण कंपनियों के अधिकारियों की गिरफ्तारी से बच रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद निर्माण कंपनियों के कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
ह्यू व चट्टोपाध्याय की रिमाण्ड अवधि बढ़ी
गेमन इंडिया व हुंडई कम्पनियों के गिरफ्तार दोनों अधिकारियों की रिमांड अवधि न्यायालय ने बुधवार को 2 जनवरी तक बढ़ा दी है। कुन्हाड़ी पुलिस ने पुल हादसे के लिए जिम्मेदार निर्माण कम्पनियों के 14 अधिकारियों के खिलाफ धारा 304 व 308 में मामला दर्ज किया था, जिनमें से हुंडई इंजीनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन कम्पनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर जे.वाई. ह्यू और गेमन इंडिया के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर आर. चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार किया था। पांच दिन की रिमांड अवधि पूरी होने पर दोनों अधिकारियों को बुधवार को शीतकालीन अवकाश न्यायालय में पेश किया, जहां से उनकी रिमांड अवधि 2 जनवरी तक बढ़ा दी है।
लोहे से दो शव और निकाले, मृतकों की संख्या 41 हुई
हादसे को 8 दिन बीते
कोटा, 31 दिसम्बर। चम्बल पुल हादसे में मलबे में दबे लोगों में से गुरुवार शाम तक दो ही शव निकाले जा सके, जबकि तीन शव मलबे में दबे दिखाई दे रहे है।
अब हादसे में मरने वालों की संख्या 41 हो गई है। बचावकर्मी रात तक मलबे में दबे तीन शव को निकालने का प्रयास कर रहे थे। मलबे में लोहे के मोटे एंगल होने से उन्हें काटने में समय लग रहा है। इससे ऑपरेशन में जुटे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। एनडीआरएफ, आरएसी और नगर निगम के दलों ने सुबह नौ बजे खोज ऑपरेशन शुरू किया। शव तक पहुंचने के लिए क्रेन की मदद से स्लेब को तोड़कर मलबा हटाया गया।
शाम करीब चार बजे मलबे से पश्चिम बंगाल (नदिया) निवासी अब्दुस सलाम विश्वास (30) निकाला गया।
अतिरिक्त जिला कलक्टर बी.एल.कोठारी ने बताया कि गुरुवार शाम तक दो शव निकाले जा सके। मलबे में दबे तीन शवों को निकालने का कार्य शुक्रवार सुबह शुरू हो सकेगा।
खुले में मिला मरांडी का शव
झारखण्ड निवासी सिरिल मरांडी (25) का शव क्षतिग्रस्त अवस्था में खड़े ढांचे के पास खुले में मिला। पिछले आठ दिन से शव वहीं पड़ा था। लेकिन उस क्षेत्र को खतरनाक घोषित कर देने के बाद किसी ने भी उधर जाने का जोखिम नहीं उठाया। गुरुवार शाम नगर निगम के एक ड्राइवर की नजर शव पर पड़ी। ऊपर से गिरने के कारण मरांडी के सिर में चोट आई थी। वह गेमन इंडिया के लिए काम कर रहे एक ठेकेदार का मजदूर था।
गलत हुई थी पहचान
पूर्व में 27 दिसम्बर को निकाले गए एक शव की अब्दुस सलाम के तौर पर गलत पहचान हो गई थी। लेकिन कुछ ही देर बाद बारीकी से जांच के दौरान शव साधन विश्वास का निकला।
पुलिस को मिले सुराग
कोटा। चंबल पुल हादसे की जांच में पुलिस को कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। लेकिन जांच प्रभावित होने की आशंका के चलते पुलिस इन्हें अभी सार्वजनिक नहीं कर रही। पुलिस महानिदेशक राजीव दासोत ने बताया कि एनएचएआई व निर्माण कंपनियों के अधिकारियों तथा हादसे के समय मौके पर मौजूद मजदूरों के बयानों में पुलिस को हादसे के बारे में महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। शेष पेज 8 पर
रिमाण्ड पर लिए गए दोनों अधिकारियों से पूछताछ की जा रही हैं। जरुरी दस्तावेज भी बरामद किए जा रहे हैं। 
गौरतलब है कि कुन्हाड़ी थानाधिकारी वृद्धिचंद गुर्जर की शिकायत पर पुलिस ने हादसे के लिए जिम्मेदार निर्माण कम्पनियों के 14 अधिकारियों के खिलाफ धारा 304 व 308 में मामला दर्ज किया था। इनमें से हुंडई इंजीनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन कम्पनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर जे.वाई. ह्यू और गेमन इंडिया के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर आर. चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार किया था।
और वह कंक्रीट में जम गया
कोटा। चम्बल पुल हादसा एक के बाद एक दर्दनाक मंजर दिखा रहा है। राहत कार्य में जुटे लोगों को गुरुवार को ऐसा शव मिला जो कंक्रीट में जम गया है। इस शव को अब छैनी-हथौड़ों की मदद से कंक्रीट से अलग किया जा रहा है। भारी स्लेब के नीचे फंसा यह शव किसी इंजीनियर का हो सकता है। शव के पास से पुल निर्माण से संबंधित फाइलें भी मिलीं।

एनडीआरएफ व आरएसी के जवानों ने शव निकालने की कोशिश की लेकिन कंक्रीट के साथ जम जाने के कारण शव को हिलाना भी मुश्किल था। बाद में जवानों ने छैनी-हथौड़े से शव पर जमे कंक्रीट को तोडऩा शुरू किया। आस-पास जगह कम होने के कारण देर शाम तक पूरी कंक्रीट नहीं तोड़ी जा सकी। शुक्रवार को इस शव को निकालने के फिर प्रयास शुरू होंगे।
राहत कार्य में जुटे लोगों का मानना है कि हादसे के बाद भी वह काफी देर जीवित रहा होगा। शव सलामत है, लेकिन सिर व बांह पर ताजी कंक्रीट गिरने की वजह से वह वहीं जम गया। मृतक के कपड़े खून में सने दिखे।

कोटा, 1 जनवरी। चम्बल पर निर्माणाधीन झूलते पुल के मलबे से शुक्रवार को दो और शव निकाले गए। ये वे ही शव है, जो गुरुवार रात मलबे में फंसे हुए थे, लेकिन निकाले नहीं जा सके थे। मलबे में तीसरा शव होने की संभावना थी, लेकिन तलाशी में शव नहीं मिला। अब तक इस हादसे में 40 लोगों की मौत हो चुकी है और सभी शव बरामद किए जा चुके हैं। निर्माण कंपनी की ओर से जारी सूची में शामिल 7 जने अभी भी लापता हैं।
शवों की तलाशी कार्य में जुटे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, आरएसी के जवानों और नगर निगम के कर्मचारियों ने शुक्रवार सुबह से मलबा हटाकर शवों को निकालने की कोशिश की। नदी के तट के ढलान पर भारी भरकम मलबा होने के कारण वहां मशीनें नहीं जा सकी। जैसे-तैसे रास्ता बनाकर और हेलोजन लाइट की मदद से छोटे औजारों से लोहे का जाल काटा गया। दिनभर की मशक्कत के बाद शाम को दोनों शव निकाले जा सके।

एक शव की पहचान गोपालगंज (बिहार) निवासी अनिल शर्मा (41) तथा दूसरे शव की पहचान परगना (पश्चिम बंगाल) निवासी वासक सरकार (23) के रूप में हुई। शेष पेज 2 पर
सबसे टिप्पणी मांगी
चम्बल पुल हादसे की जांच के लिए केन्द्रीय भूतल मंत्रालय की ओर से गठित जांच समिति ने शुक्रवार को निर्माण कार्य में लगी सभी कंपनियों के अधिकारियों से व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बातचीत की।
समिति अध्यक्ष और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (सड़क) के महानिदेशक निर्मलजीत सिंह, सदस्य सेवानिवृत्त महानिदेशक निनान कोसी, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एस.के. नागपाल और तकनीकी डिजाइनर महेश टंडन ने निर्माण कार्य में लगी गेमन इंडिया, हुण्डई, कंसलटेंट कंपनी लुई बर्गर और कोबी के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर हादसे के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। 
बाद में सभी से सामूहिक चर्चा भी हुई। सूत्रों के अनुसार समिति के सदस्यों ने सभी अधिकारियों से हादसे के कारण को लेकर सात दिन में अपनी-अपनी टिप्पणी देने के लिए कहा है।
पुलिस ने अनुमति नहीं दी
समिति ने पुलिस रिमांड पर चल रहे हुंडई इंजीनियरिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन कंपनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर जे.वाई. हृाू और गेमन इंडिया के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर आर. चट्ïटोपाध्याय से पूछताछ के लिए पुलिस अधीक्षक (शहर) से अनुमति मांगी थी, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि अभी वह पुलिस अभिरक्षा में हैं। कानूनन पुलिस उन्हें किसी ओर को पूछताछ के लिए नहीं दे सकती। दोनों अधिकारियों को शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा। वे अदालत से दोनों अधिकारियों से पूछताछ की अनुमति लें।

अब तीसरी आंख की मदद
चम्बल पुल के मलबे में शवों को विक्टिम लोकेटिंग कैमरे की मदद से तलाशते एनडीआरएफ के जवान।
पांच लाख की अनुग्रह राशि
कोटा। चम्बल पुल हादसे के बारे में एनएचएआई और हुण्डई ने शुक्रवार को श्रम विभाग के नोटिस का जवाब भेज दिया है। इसमें हुण्डई ने हादसे में मृतकों के आश्रितों को पांच लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की बात कही है। श्रम विभाग ने पिछले दिनों एनएचएआई, गेमन इंडिया तथा हुण्डई को नोटिस देकर हादसे की जानकारी तुरंत देने तथा मृतकों व घायलों के मुआवजे के बारे में जानकारी मांगी थी।
श्रम विभाग ने दोनों कम्पनियों से श्रमिकों का रिकार्ड भी तलब किया था। सहायक श्रम आयुक्त संतोष शर्मा ने बताया कि जवाब में हुण्डई ने मृत श्रमिकों के आश्रितों को पांच लाख रुपए की अनुग्रह राशि के भुगतान तथा विधि के अनुसार मुआवजा देने की बात कही। एनएचएआई ने बताया कि हादसे के समय कुल 59 कर्मचारी व श्रमिक कार्यरत थे।

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