एेसे में प्रेक्टिकल लाइफ पर ध्यान देकर अपनी पढ़ाई जारी रखी और पायलट बनने निकल पड़ा। दिल्ली में फ्लाइंग एजुकेशन के बाद न्यूजीलैंड चला गया और पायलट बनने की पूरी ट्रेनिंग कंपलीट की। इसके बाद दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी मिल गई और बतौर कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिलने के बाद उड़ान भी शुरू कर दी। तीन साल काम करने बाद संतुष्टी नहीं मिल पा रही थी, एेसे में घरवालों से बात की और कहा कि मैं मुम्बई जाकर एक्टिंग करना चाहता हूं। घरवालों ने कहा कि यदि आपको लगता है कि इस फील्ड में आप खुद को संतुष्ट नहीं हो रहे हो, तो मुम्बई जा सकते हो। मैं उस समय कॅरियर के हिसाब से पूरी तरह सेटल था, लेकिन अपने पैशन को पाने के लिए मायानगरी निकल गया।
आठ महीने बनारस में स्ट्रीट प्ले अनिरुद्ध ने बताया कि मुम्बई पहुंचने के बाद एक्टिंग कोर्स के लिए गूगल पर इंस्टीट्यूट सर्च किया। यहां अनुपम खेर और बैरी जॉन की अकेडमी के बारे में पता लगा, उस वक्त अनुपम के इंस्टीट्यूट के एडमिशन बंद हो गए थे, इसलिए बैरी जॉन के साथ ट्रेनिंग शुरू की। इसके बाद एनएसडी के सीनियर एक्टर्स के साथ कुछ वर्कशॉप करना शुरू दिया। उन्हीें के साथ लगभग आठ महीने तक बनारस में स्ट्रीट प्ले किए। यहां की तैयारी बेहद खास थी। इसके बाद न्यूयार्क में एक नामचीन इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करने पहुंच गया। यहां से समय निकालकर मुम्बई में एडी और प्रोडक्शन का काम शुरू कर दिया। इसी दौरान लीना यादव ने अपनी फिल्म ‘पार्चड’ में सहायक के लिए जोड़ लिया। उन्हें मेरी एक्टिंग स्किल की जानकारी थी। रिलीज के बाद उन्होंने मुझे फिल्म ‘राजमा चावल’ ऑफर की और इसके लिए उन्होंने दो राउंड में ऑडिशन लिया। तीन दिन तक चले ऑडिशन से उनका अच्छा फीड बैक आया।
पहले ही सीन में ऋषि कपूर पर चिल्लाना था उन्होंने बताया कि लीना ने ‘राजमा चावल’ के लिए मेरे पिता की भूमिका में ऋषि कपूर को लिया और जब हमारा पहला सीन फिल्माया जाने वाला था, तब थोड़ा नर्वस था कि ऋषि कपूर पर चिल्लाना है। सीन से पहले लीना ने ऋषि सर से मुलाकात करवाई, मैंने जाते ही उनके पैर छूए और उन्होंने आशीर्वाद दिया। उस सीन के बाद उन्होंने कंफर्ट जोन में ला दिया। जब उनको पता लगा कि मैंने पायलट की नौकरी छोड़ी है, तो उन्होंने इसका कारण पूछा? इसके बाद मैंने अपने पैशन के बारे में उन्हें बताया। ऋषि सर ने कहा कि बॉलीवुड में सक्सेस मिले तो उडऩा मत और फेलियर मिले तो घबराना मत। अपने पैशन को यागदार अंदाज में पूरा करना।