सिरोही

पिण्डवाड़ा क्षेत्र में 32 पशु चिकित्सा केन्द्र, 25 पर लटक रहे ताले

बनास. सरकार की ओर से भले ही पशुधन संरक्षण व संवर्धन को लेकर दावे किए जा रहे हो लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। हाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश पशु चिकित्सालयों पर ताले लटक रहे हैं। ऐसे में पशुपालकों को पशुधन चिकित्सा सुविधा के लिए परम्परागत देशी उपचार के भरोसे ही रहना पड़ रहा है।

सिरोहीMar 16, 2019 / 08:27 pm

Rajuram jani

पिण्डवाड़ा क्षेत्र में 32 पशु चिकित्सा केन्द्र, 25 पर लटक रहे ताले

बनास. सरकार की ओर से भले ही पशुधन संरक्षण व संवर्धन को लेकर दावे किए जा रहे हो लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। हाल यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश पशु चिकित्सालयों पर ताले लटक रहे हैं। ऐसे में पशुपालकों को पशुधन चिकित्सा सुविधा के लिए परम्परागत देशी उपचार के भरोसे ही रहना पड़ रहा है। पिण्डवाड़ा तहसील क्षेत्र में कई पशु चिकित्सा उप केन्द्रों व नि:शुल्क पशु दवा वितरण केन्द्र कई सालों से बंद है। क्षेत्र में 32 पशु चिकित्सालय व पशुधन सहायक उप केन्द्र है। इसमें २५ केन्द्र बंद है। वहीं ७ केन्द्र भी आधे-अधूरे संसाधनों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। क्षेत्र में महज तीन पशु चिकित्सक व पांच कम्पाउंडर ही कार्यरत है। जबकि, पिण्डवाड़ा तहसील क्षेत्र में करीब एक लाख भेड़-बकरियां, ७० हजार गाय-भैंस व करीब ३० हजार अन्य पशुधन है। लेकिन इन पशुधन के संरक्षण को लेकर पशुपालन विभाग का सिस्टम पंगू बना हुआ है। उपचार के अभाव में कई मवेशी काल कलवित हो रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री पशुधन नि:शुल्क पशु दवा वितरण योजना भी विफल साबित हो रही है।
यह है स्थिति
क्षेत्र में पिण्डवाड़ा, भावरी व धनारी में ही पशु चिकित्सक कार्यरत है। रोहिड़ा, नितौड़ा, आमली में पशु चिकित्सालय चपरासी के भरोसे चल रहा है। भारजा में पशु चिकित्सालय पर महज एक कम्पाउंडर की कार्यरत है। जबकि आमली पशु चिकित्सालय में सभी पद रिक्त होने से लम्बे समय से ताला लटका हुआ है। भावरी व धनारी के पशु चिकित्सालय में चिकित्साधिकारी के अलावा सभी पद खाली है। यहां पर दो-दो कम्पाउंडर व तीन-तीन चपरासी के पद रिक्त चल रहे हैं।
…और ये पद रिक्त
क्षेत्र में उप केन्द्र लोटाना, नांदिया, कोजरा, तेलपुर, वीरवाड़ा, जनापुर, आदर्श डंूगरी, पेशुआ, बसंतगढ़, ईसरा, केर, मांडवाड़ा खालसा, भूला, रोहिड़ा व वाटेरा में पशुधन सहायक के पद लंबे समय से रिक्त है। ऐसे में इन केन्द्रों पर ताले लटक रहे हैं।
तालों में लग गई जंग, परिसर में झाडिय़ां पनपी
अधिकांश केन्द्र सालों से बंद है। ऐसे में इनके तालों में भी जंग जम गई है। वहीं परिसर में कंटीली झाडिय़ां पनप गई है। लोटाना की साजाबस्ती में वर्ष 2004 में पशुधन सहायक (एलएसए) का पद स्वीकृत होकर पशु उप केन्द्र बनवाया था। यहां पर पदस्थापित एलएसए जिलेसिंह का तबादला वर्ष 2013 में उनके गृह जिले सीकर में हो गया था। इसके बाद यहां अब तक पद रिक्त चल रहा है। वर्तमान में यह उप केन्द्र उजाड़ बन गया है। इनके दरवाजों व तालों पर भी जंग लग चुका है। आंगन में बहुत कंटीली झाडिय़ां उग गई है।
इनका कहना है…
क्षेत्र में पशु चिकित्सा कार्मिकों के अधिकांश पद रिक्त होने से पशु पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-महेन्द्र रावल, पूर्व उप प्रधान, पिण्डवाड़ा
आदिवासी क्षेत्र भूला-वालोरिया में पशु चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है। आदिवासियों को मवेशियों के उपचार के लिए परम्परागत तरीकों पर निर्भर रहना पड़ता है।
-कन्हैयालाल अग्रवाल, सरपंच, भूला
क्षेत्र में पशु चिकित्सा के 32 केन्द्र है। जिसमें से केवल 7 ही चालू हालात में है। कार्मिकों के रिक्त पद के चलते पशु चिकित्सा व्यवस्था सुधारने में परेशानी आ रही है।
डॉ. परमानंद, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी व नोडल ऑफिसर, पिण्डवाड़ा
कार्मिकों के रिक्त पद होने से किसी कार्य के लिए बाहर जाने पर चिकित्सालय पर ताला लगा कर ही जाना पड़ता है। पद रिक्त होने से कई आवश्यक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
डॉ. दीपकसिंह राठौड़, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी, भावरी
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