माफियाओं ने बेच दी आठ एकड़ सरकारी जमीन, बेखबर राजस्व विभाग
जिला अस्पताल भू-प्रभावितों के लिए प्रशासन द्वारा दिया जाना था 17 एकड़ जमीन
माफियाओं ने बेच दी आठ एकड़ सरकारी जमीन, बेखबर राजस्व विभाग
अनूपपुर। जिला अस्पताल के लिए अधिग्रहित हुई १६ एकड़ से अधिक जमीन और प्रभावित किसानों को जमीन के बदले दी जाने वाली जमीन की प्रक्रिया में ग्राम पंचायत परसवार में चयनित शासन की १७ एकड़ जमीन में ८ एकड़ जमीन को भू-माफियाओं निजी जमीन बना बेच दिया। शासन की १७ एकड़ जमीन के भू-खंड में आधे से अधिक जमीन अब प्रायवेट लैंड(निजी जमीन) बन गई हैं, जहां अब रिहायशी कॉलोनी का विस्तार हो रहा है। लेकिन बावजूद जिला प्रशासन और राजस्व विभाग अंजान बनी हुई है। यहां शासन की लगभग १७ एकड़ जमीन के टुकड़े में ८ एकड़ जमीन निजी भूखंड में तब्दील हो गया और शेष ७ एकड़ जमीन में ५ एकड़ जमीन पॉलीटेक्निक कॉलेज भवन और कुछ प्रभावित किसानों के नाम कागजों में दर्ज है। हालंाकि शासकीय भू-खंड के निजी भू-खंड में तब्दील होने की जानकारी जिला प्रशासन से लेकर अनुविभागीय राजस्व विभाग को भी है। बावजूद उन्हीं के कार्यालय भवन में जमीन की खरीद-ब्रिकी का कारोबार बदस्तूर जारी है। जबकि यह जमीन २०१५-१६ में जिला प्रशासन द्वारा जिला अस्पताल प्रभावित किसानों के नाम दोबारा आवंटित कराई गई थी। लेकिन यहां किसानों को जमीन तो मिल नहीं सकी, बल्कि उन्हीं की आवंटित शासकीय जमीन निजी जमीन में तब्दील होकर भू-माफियाओं के माध्यम कौडिय़ों में बिक गई। बताया जाता है कि वर्ष २००७-०८ में जिला अस्पताल अनूपपुर के लिए चंदास नदी अनूपपुर-अमरकंटक मार्ग पर शासन ने ४५ किसानों से लगभग ७.५२२ हेेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। जिसमें १० किसानों ने मुआवजा राशि ली थी शेष किसानों ने जमीन के भाव पर आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जहां किसानों के जमीन के बदले जमीन दिलाने की मांग की थी। इनमें समातपुर में जमीन उपलब्ध नहीं होने पर समीपी गांव परसवार और सकरिया में जमीन आवंटन की बात कही गई थी। जिला प्रशास ने वर्ष २०१६ में तत्कालीन कलेक्टर नरेन्द्र सिंह परमार ने किसानों की समस्या पर दो गांव परसवार और सकरिया में किसानों को जमीन आवंटन के निर्देश दिए। राजस्व विभाग ने अवार्ड हुए जमीन और अवार्ड के दौरान कुछ छूटे जमीन के हिस्सों को सम्मिलित करते हुए उनके भू-स्वामियों के नाम परसवार और सकरिया में जमीन आवंटित करा दी। हालंाकि किसानों ने जमीन उबड़-खाबड़ कहते हुए प्रशासन से उसे समतल कराकर देने की बात रखी। लेकिन प्रशासन ने इस जमीन के प्रति लापरवाही दिखाते हुए उसे समतलीकरण नहीं कराया और भू-प्रभावितों को जमीन नहीं सौंपी। हालात अब यह बने कि किसानों के नाम सिर्फ शासकीय कागजों में जमीन आवंटन होकर रह गए।
बॉक्स: कलेक्टर ने शपथ में हाईकोर्ट में दी थी जानकारी
भू-अर्जन प्रक्रिया के दौरान वर्ष २०१० में जमीन के बदले जमीन की मांग पर प्रशासन की अनदेखी पर किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसपर कोर्ट ने प्रशासन से कार्रवाई के सम्बंध में जानकारी ली तो तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश में अनुविभागीय राजस्व अधिकारी एपी सिंह ने हाईकोर्ट जबलपुर में शपथ पत्र के माध्यम से परसवार ग्राम पंचायत (पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास) में किसानों को जमीन दिखाने की जानकारी दी। साथ ही कहा कि यहां उबड़ खाबर जमीन होने के कारण किसानों ने जमीन नहीं ली। शपथ में यह भी कहा गया था कि जमीन लेने पर प्रशासन सडक़, पुलिया सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराती। यानि लगभग १७ एकड़ जमीन होने पर ही विस्थापित होने वाले भू-स्वामियों को जमीन आवंटित कराई जाती। लेकिन अब यहां उपलब्ध १७ एकड़ की जमीन के आधे हिस्से निजी जमीन में डायवर्ट हो गए हैं। खुद राजस्व विभाग मानती है कि भविष्य में अगर जिला अस्पताल भू-प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन देने की प्रक्रिया आरम्भ होगी तो खुद उनके लिए आवंटित हो चुकी जमीन ढूढने से नहीं मिलेगी।
वर्सन: जमीन
पॉलीटेक्निक कॉलेज सहित आसपास के शासकीय जमीनों से सम्बंधित दस्तावेज निकालकर देखवाता हूं। अगर कब्जा किया गया है कार्रवाई की जाएगी।
अमन मिश्रा, एसडीएम अनूपपुर।