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हौसलों की उड़ानः हमारी अश्विनी की कायल मलाला भी

बेंगलूरु की 27 वर्षीय अश्विनी अंगड़ी देख नहीं सकतीं, लेकिन उनका काम पूरी दुनिया देख रही है

Jul 12, 2016 / 09:52 am

सुनील शर्मा

Ashwani angadi malala usufgai

बेंगलूरु। बेंगलूरु की 27 वर्षीय अश्विनी अंगड़ी देख नहीं सकतीं, लेकिन उनका काम पूरी दुनिया देख रही है। खुद मलाला युसुफजई भी इनके काम की तारीफ कर चुकी हैं। नेत्रहीन बच्चों की स्थिति सुधारने का अभियान चला रहीं अश्विनी अब तक एक दर्जन से ज्यादा पुरस्कार जीत चुकी हैं।

अश्विनी को संयुक्त राष्ट्र की ओर से यूथ करेज अवॉर्ड और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के हाथों यंग लीडरशिप सम्मान भी मिल चुका है। कर्नाटक के बेल्लारी में निर्धन परिवार में जन्मी अश्विनी नेत्रहीन बच्चों के लिए बलाकू नामक स्कूल चला रही हैं। इसके लिए उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी।

यूएन में दिया संबोधन
वर्ष 2013 में अश्विनी को ‘यूएन स्पेशल एनवाय ग्लोबल एजुकेशन फॉर यूथ करेज अवॉर्ड’ के लिए चुना गया। मलाला दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र यह अवॉर्ड देता है। इस अवसर पर मलाला के साथ अश्विनी ने भी संयुक्त राष्ट्र में संबोधित किया। अश्विनी को लंदन में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के हाथों ‘क्वींस यंग लीडरशिप पुरस्कार-2015’ भी मिल चुका है।

मलाला से मुलाकात
संयुक्त राष्ट्र यूथ असेम्बली में अश्विनी से मुलाकात के बाद मलाला भी उनकी कायल हो गई थीं। अश्विनी के साहस की तारीफ करते हुए मलाला ने उन्हें प्रेरणादायी बताया।

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