दुल्हन को लाल नहीं बल्कि सफेद साड़ी में विदा किया जाता है। सफेद रंग इनके लिए शांति का प्रतीक माना जाता है।
मंडला। पति की मौत के बाद महिला का सफेद साड़ी धारण करना तो सभी ने सुना है, लेकिन मंडला जिले में पुरानी प्रथाएं काफी लंबे समय से चली आ रही हैं। यहां दुल्हन को लाल नहीं बल्कि सफेद साड़ी में विदा किया जाता है। सफेद रंग इनके लिए शांति का प्रतीक माना जाता है।
सफल रहे वैवाहिक जीवन
मंडला जिले के चौगान, कलुआखेरो, छिवलाटोला आदि ऐसे ही गांव हैं। जहां पर दुल्हन को सफेद साड़ी में विदा किया जाता है। केवल दुल्हन ही नहीं बल्कि समारोह में शामिल होने वाले अन्य लोग भी सफेद कपड़ों में ही शामिल होते हैं। पूरी शांति पूर्वक तरीके से विवाह संपन्न कराया जाता है। पूरे विवाह समारोह में लोग नंगे पैर बगैर जूता-चप्पल का प्रयोग किए रहते हैं। आदिवासी समाज के गोंडी धर्म को मानने वाले इन लोगों का कहना है की सफेद रंग की साड़ी में विदा दुल्हन का दांपत्य जीवन सफल रहता है।
अच्छे कार्य में सफेद पोशाक
भीमडोंगरी के कलुआखेरो गांव में ही ऐसे एक विवाह समारोह में शामिल तेजन बाई, सुखचरण, देवसिंह ने बताया, जब हम कोई भी कार्य शुरू करते हैं। तो सफेद पोशाक धारण करते हैं किसान खेत में बीज डालने जाते हैं तो सफेद पोशाक ही पहनकर जाते हैं और वहां भी जूते या चप्पल खेत के बाहर उतार देते हैं।
बनी अलग पहचान
चौगान ग्राम में शराब का सेवन भी कोई नहीं करता। सभी सफेद रंग के कपड़ों को धारण करते हैं। ये गांव शांति का प्रतीक बन गया है। यहां पर लंबे समय से कोई अपराध भी दर्ज नहीं है। शराब के सेवन से भी लोग दूर हैं। रिति-रिवाज और परंपराओं के लिए अब इस गांव की अलग ही पहचान बन गई है।
-शैलेंद्र दीक्षित