पैसे उधार लेकर निकला मुम्बई दोस्तों की सलाह पर मैंने पहले थिएटर डायरेक्टर साबिर खान के पास एक्टिंग सीखी। उन्होंने मुझे फ्री में एक्टिंग सिखाई, लेकिन जिम और थिएटर क्लास की टाइमिंग मैच नहीं होने कारण एक्टिंग ज्यादा सीख नहीं पाया। इसके बाद मैंने दोस्तों से पैसे उधार लेकर मुम्बई के लिए निकला। मुम्बई में चार बंगला में एक चॉल में पांच लड़कों के साथ रूम लिया। यहां से असली स्ट्रगल शुरू हुआ। पहली बार सुबह 11 बजे ऑडिशन के लिए पहुंचा, लाइन में लगने के बाद शाम 6 बजे ऑडिशन के लिए अंदर पहुंचा। वहां मुझसे नाम, नम्बर और प्रोफाइल पूछी गई, पहली बार कैमरा फेस करने के बाद मैं नर्वस हो गया और नाम तक नहीं बोल पाया। जब बाहर निकला तो थोड़ा परेशान हो गया और सोचा कि यहां काम भी मिल पाएगा या नहीं, लेकिन घरवालों ने वहीं रहकर काम करने की सलाह दी।
मुम्बई में बना जिम ट्रेनर मुम्बई में रहकर ही स्ट्रगल करने का मन तो बना लिया था, लेकिन रोजी-रोटी चलाने के लिए काम ढूंढऩा शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद लोखंडवाला में एक जिम में ट्रेनर की जॉब मिल गई, यहां एक टाइम का खाना और 10 हजार रुपए मिलना शुरू हो गया। सवाईव सिस्टम शुरू हो गया, लेकिन स्ट्रगल वहीं का वहीं था। जिम से छुट्टी लेकर हर शनिवार और रविवार को ऑडिशन देने के लिए निकलता था और दिन भर अलग-अलग प्रोडक्शन हाउस में अपनी प्रोफाइल देकर आया करता था। उन्हीं दिनों स्वास्तिक प्रोडक्शन के शो ‘महाभारत’ की कास्टिंग साहिल अंसारी कर रहे थे, उन्होंने मेरी बॉडी देखकर दुशासन के लिए ऑडिशन लिया। उस वक्त लाइन याद नहीं होने के कारण वह ऑडिशन सही नहीं हुआ, लेकिन साहिल ने मुझपर विश्वास करते हुए एक लड़के को वहां बैठाकर उसकी लाइनें रिपीट करते हुए ऑडिशन लिया। इसके बाद शो में जगह मिल गई और एक साल हमारी ट्रेनिंग हुई। रजत कपूर ने हमारी ट्रेनिंग ली और कैरेक्टर पर काम किया।
स्ट्रगल आज भी जब महाभारत शो मिला तो मुझसे फीस पूछी गई, मैंने फॉर्म पर एक हजार रुपए दिन के लिख दिए। प्रोड्यूसर राहुल और सिद्धार्थ तिवारी ने हंसकर कहा कि एक हजार को काटकर छह हजार रुपए लिख दो। यह मेरे लिए बिलकुल सरप्राइज था, लेकिन उन्हें मुझ पर विश्वास था और यह विश्वास आज तक कायम है। इस शो के बाद ‘महाराणा प्रताप’, ‘हनुमान’ और ‘कयामत की रात’ जैसे सीरियल में काम करने का मौका मिला। जब मुझे काम नहीं मिल रहा था, तब कई बार वापिस अपने शहर जयपुर लौट आने का मन बन जाता, लेकिन मेरे नानाजी एफसी सियाल जो रिटायर्ड आइएएस थे, वे हमेशा अपनी पेंशन भेज दिया करते थे और मैं मोटिवेशन पाकर रूक जाता था। यह स्ट्रगल आज भी है, आज दूसरे तरीके से है। हमने आज अपना मुकाम बनाया है, ऐसे में उसे बनाए रखने का स्ट्रगल हम पर बना हुआ है।