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मिलिए कश्मीर की पहली महिला वन्य जीव संरक्षक आलिआ मीर से

अपने काम का जज़्बे के कारण बीते दो दशक से वे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतुओं के लिए उम्मीद बनी हुयी हैं।

Jun 18, 2021 / 01:00 pm

Mohmad Imran

मिलिए कश्मीर की पहली महिला वन्य जीव संरक्षक आलिआ मीर से

वन्य जीव बचावकर्ता होना जितना रोमांचक कार्य लगता है उतना ही ज़िम्मेदारी भरा भी है। इस बात को एक वन्य जीव संरक्षक और पर्यावरण प्रेमी से बेहतर कौन जान सकता है। कश्मीर में महिलाओं को संभवतः अभी उतनी आज़ादी नहीं है जितना देश के अन्य हिस्सों में हैं। लेकिन वहाँ भी अब बदलाव की बयार बहने लगी है। इसी का नतीजा है की अब कश्मीर की बेटियाँ उन पेशे और क्षेत्रों में भी नाम कमा रही हैं जो सिर्फ पुरुषों का एकछत्र राज की बानगी था। ऐसी ही एक शख्सियत हैं कश्मीर के श्रीनगर में एसओएस वाइल्डलाइफ (SOS Wild Life) टीम से जुड़ी आलिया मीर।
बीते दो दशकों से वन्य जीव-जंतुओं के पुनर्वास में जुटीं 43 वर्षीय आलिया कश्मीर की एकमात्र महिला वन्यजीव बचावकर्ता हैं। वे 2002 से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। यूं तो उन्हें बचपन से जीव-जंतुओं के बारे में जिज्ञासा थी लेकिन जीवनसाथी के रूप में एक पशु चिकित्सक से शादी के बाद उन्होंने वन्यजीवों को बचाने में ही अपना कॅरियर तलाशना शुरू कर दिया। वे अब तक सांपों, भालू, पक्षियों, कछुओं और तेंदुओं जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों को बचा चुकी हैं। उन्हें क्षेत्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के सरकारी आवासों से जहरीले सांपों को बचाने के लिए भी जाना जाता है। इस काम में मौजूद जोखिम और खतरों केे बावजूद आलिया को अपने पेशे से प्यार है।

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