scriptvideo–भौतिकवाद बढ़ने से नैतिक एवं धार्मिक संस्कार शिथिल: गुरु मां | Moral and religious rites loosened due to increase in materialism: Gur | Patrika News

video–भौतिकवाद बढ़ने से नैतिक एवं धार्मिक संस्कार शिथिल: गुरु मां

Published: May 23, 2023 12:08:23 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

तीन दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव और विश्व शांति महायज्ञ का समापन
अभिषेक के बाद शांतिधारा की बोली लगाई

भौतिकवाद बढ़ने से नैतिक एवं धार्मिक संस्कार शिथिल: गुरु मां

गुढासाल्ट. प्राचीन पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में पूजा करती महिलाएं

गुढासाल्ट (नागौर). कस्बे के प्राचीन पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में तीन दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव और विश्व शांति महायज्ञ का समापन आचार्य विमलसागर महाराज की शिष्या बालयोगिनी गुरू मां नंदीश्वरमति के सानिध्य में धूमधाम से मनाया गया।
धर्मसभा में सद्कर्मों पर बल
धर्मसभा में गुरु मां ने कहा कि वर्तमान में जितना भौतिकवाद बढ़ रहा है, उतने ही नैतिक एवं धार्मिक संस्कार शिथिल हो रहे हैं। भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए धार्मिक संस्कारों को जागरूक करना होगा। जिन्दगी को अच्छा-बुरा बनाने के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार होता है। उसे सद्कर्मों पर विश्वास रखते हुए पर का कल्याण करने की भावना रख इसे जीवन का आदर्श बनाना चाहिए। स्व-पर का कल्याण करने की भावना रखने वाला व्यक्ति ही धर्मात्मा कहलाता है। उन्होंने देश में बढ़ रही रिश्वतखोरी को बुरी आदत बताते हुए इसका त्याग करने पर जोर दिया।
सोमवार को प्रातःकालीन अभिषेक के बाद शांतिधारा की बोली लगाई गई, जिसमें जैन समाज के लोगों ने बढ चढकर भाग लिया। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ नित्य पूजन और हवन के पश्चात गुरू मां की संगीतमय पूजा हुई। जिसमें नो इंद्रों को अर्घ्य चढाने का अवसर प्राप्त हुआ। पादप्रक्षालन वेदी में विराजमान श्रीजी की भी बोली लगी। कुल तीन वेदियों में चौदह यंत्र विराजमान हुए, जिसमें नम्बर एक में पार्श्वनाथ धवल पाषाण मूलनायक, आदिनाथ, अष्ट धातु से निर्मित चंद्र प्रभू , पार्श्वनाथ, नेमीनाथ भगवान शामिल हैं।
मुलनायक भगवान को विराजमान करने के लिए पूणर्याजक परिवार के दो सदस्यों और शेष के लिए एक सदस्य को अवसर मिला। सुहागिन महिलाओं ने भी त्रयछत्र, बाहर छत्र व बांदरवार लगाने के लिए अलग-अलग बोली लगाई। जैन समाज की कई महिलाओं ने भगवान की वेदी शुद्धिकरण की क्रियाएं सम्पन्न कराने में अष्ट कुमारियों की भूमिका निभाई। मंडल विधान पूजन से पूर्व मंडलों पर मंगल कलश एवं मंगल दीपों की विधि-विधानपूर्वक स्थापना की गई। प्रभु का द्वार है कितना प्यारा, तेरे दरश की लगन से हमें आना पड़ेगा…, तेरे पूजन से भगवान बनी ये वेदी आलीशान…, रोम-रोम से निकले प्रभु नाम तुम्हारा… आदि भजनों पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य किए। इंद्र-इंद्राणियों ने जयकारों के बीच अर्घ्य समर्पित कर जिनेन्द्र देव को रिझाया।
जयकारों के साथ ध्वजारोहण
इससे पूर्व विधि-विधानपूर्वक ध्वजारोहण कर मांगलिक कार्यक्रम की शुरूआत की गई। अंत में शिखर पर ध्वजदंड स्थापित किया गया। इस अवसर पर गुढा व गांव के प्रवासी जैन समाज के कई लोग उपस्थित रहे।
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