scriptआज के दिन जन्मे थे “गोदान” के लेखक मुंशी प्रेमचंद | Munsi Premchand was born on this day | Patrika News

आज के दिन जन्मे थे “गोदान” के लेखक मुंशी प्रेमचंद

Published: Jul 31, 2015 09:07:00 am

आधुनिक हिन्दी के पितामह माने जाने वाले हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों
में मुंशी प्रेमचंद के

premchand

premchand

आधुनिक हिन्दी के पितामह माने जाने वाले हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में मुंशी प्रेमचंद के नाम से जाने जाने वाले धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा के रूप में उर्दू और फारसी भाषा का ज्ञान लिया। पढ़ने के शौक के चलते 13 की उम्र उन्होंने तिलिस्मे होशरूबा पढ़ लिया। 1898 में मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ पढ़ाई जारी रख उन्होंने 1919 में स्त्रातक की उपाधि लेने के बाद शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।

1901 से प्रेमचंद का साहित्यक जीवन का आरंभ हो चुका था। पर उनकी पहली हिंदी कहानी सरस्वती पत्रिका दिसंबर अंक में 1915 में सौत नाम से प्रकाशित हुई और अंतिम कहानी 1936 में कफन नाम से। 20 वर्ष की अवधि में उनकी कहानियो के अनेक रंग देखने को मिले। दलित साहित्य हो या नारी साहित्य उसकी जडें कहीं गहरे प्रेमचंद के साहित्य में दिखाई देती थी। उन्होनें मूल रूप से 1915 से कहानियां लिखना और 1918 से उपन्यास लिखना शुरू किया।

प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में करीब तीन सौ कहानियां और करीब एक दर्जन उपन्यास और कई लेख लिखे। इसके साथ की कुछ नाटक भी लिखे और कुछ अनुवाद कार्य भी किया। गोदान उनकी कालजयी रचना है, “कफन” उनकी अंतिम कहानी मानी जाती है। उनकी रचनाऎं मूल रूप से उर्दू में लिखी गई पर प्रकाशन हिंदी में हुआ।

बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनके उपन्यास न केवल हिंदी उपन्यास साहित्य में बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य में मील के पत्थर हैं।

प्रेतचंद ने अपने जीवन काल में असरारे मआबिद उर्फ देवस्थान रहस्य, सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला , कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान, मंगलसूत्र आदि लोकप्रिय उपन्यासों की रचना की। 1907 में प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह “सोजे वतन” प्रकाशित हुआ। उनके जीवन काल में कुल नौ कहानी संग्रह सप्त रोज, नवनिधि, प्रेमपूर्णिमा, प्रेम-पचीसी, प्रेम-प्रतिमा, प्रेम-द्वादशी, समरयात्रा, मानसरोवर और कफन। इसके साथ ही प्रेमचंद ने संग्राम, कर्बला और प्रेमी की वेदी जैसे नाटकों की रचना की।

7 अक्टूबर 1936 में लम्बी बीमारी के बाद भारतीय साहित्य का यह सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया। प्रेमचंद का निधन हो जाने के बाद उनका अधूरा रह गया उपन्यास “मंगल सूत्र” को उनके पुत्र अमृत ने पूरा किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो