ब्रह्मचारिणी का पूजन अर्चन
Published: Sep 27, 2022 05:37:56 pm
नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का पूजन अर्चन किया जाता है नव दुर्गा में द्वितीय ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी कहा है। ब्राह्मी आयु को बढ़ाने वाली स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों को नाश करने के साथ-साथ स्वर को मधुर करने वाली है। ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है, क्योंकि यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है।


ब्रह्मचारिणी का पूजन अर्चन
भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण ये ब्रह्मचारिणी कहलाईं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
माता का स्वरूप- देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ मे जप की माला है, बाएं हाथ में कमंडल है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया तथा पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है। माता की संतान ऋक्,यजुष,साम,अथर्वा
(पौत्र:व्याडि,लोकविश्रुत मीमांस,पाणिनी,वररुचि)
ध्यान मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||