श्री गंगानगर

दो सालों से नए 64 ऑटो टीपर की लगी ब्रेक

New 64 auto tipper brakes for two years- पौने चार करोड़ रुपए खर्चे पर चले नहीं, अनुमति के चक्कर में जंग खाने लगे
 
Shri Ganga Nagar. 64 auto tippers purchased for collecting garbage from different wards in the garage of the city council and dumping it at the dumping point are now dying.

श्री गंगानगरJan 21, 2022 / 01:36 pm

surender ojha

दो सालों से नए 64 ऑटो टीपर की लगी ब्रेक

श्रीगंगानगर. नगर परिषद के गैराज में विभिन्न वार्डो से कचरा संग्रहित कर डपिंग प्वाइंट पर डालने के लिए खरीदे गए 64 ऑटो टीपर अब दम तोडऩे लगे है। इन ऑटो टीपर का इस्तेमाल नहीं होने के कारण जंग खाने लगे है। वहीं कई ऑटो टीपर की लगी बैटरियां भी खराब होने लगी है।
नगर परिषद प्रशासन चाहकर भी इन ऑटो टीपर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। चार करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए इन ऑटो टीपर के इस्तेमाल के लिए अब स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के निदेशक से मार्गदर्शन मांगा गया है। पिछले सात महीने से इन ऑटो टीपर को नगर परिषद के गैराज में खड़ा करवा दिया गया है।
पहले इन ऑटो टीपर को एक वाहन निर्माता कंपनी के शोरूम के गैराज में खड़े करवाए गए थे लेकिन इस शेारूम संचालक ने इन टीपरों को नगर परिषद भिजवा दिया था। वहीं निर्माता कंपनी को अभी तक नगर परिषद प्रशासन से इन ऑटो टीपर की राशि 3 करोड़ 84 लाख रुपए का भुगतान अभी तक नहीं मिला है।
इस खरीद फरोख्त में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नगर परिषद की नेता प्रतिपक्ष बबीता गौड़ ने जिला प्रशासन और एसीबी में शिकायत की थी। जिला प्रशासन ने इस प्रकरण की जांच तत्कालीन एडीएम डा. गुंजन सोनी को सौंपी थी।
सोनी ने इस खरीद मामले में नगर परिषद प्रशासन को दोषी माना था। जांच रिपोर्ट में खरीद को माना था नियम विरुद्ध ततकलीन एडीएम सोनी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया था कि तत्कालीन आयुक्त और सभापति ने वर्ष 2019-20 के बजट में प्रावधान नहीं होने के बावजूद वित्तीय वर्ष 2020-21 में इतने सारे वाहन खरीदने के लिए कवायद की।
यहां तक कि बीएस-4 मॉडल के ऑटो टीपर की वैधता 31 मार्च 2020 थी, इसके बाद इन ऑटो टीपर का पंजीयन नहीं हो सकता। यह बकायदा सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में उल्लेख भी किया।
इसके बावजूद इस मॉडल के ऑटोटीपर खरीद किए गए। इस पर तत्कालीन एडीएम ने नियम कायदों की अनदेखी कर ऑटो टीपर की खरीद को नियम विरूद्ध किया गया।

इस रिपोर्ट में बताया कि ऑटो टीपर वाहनों की सुपुर्दगी से पहले ही नगर परिषद प्रशासन ने वाहन निर्माता कंपनी से चेसिस नम्बर फार्म प्राप्त कर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जिला परिवहन अधिकारी को भिजवाए गए जबकि फर्म की वास्तविक सप्लाई 15 जुलाई 2020 तक करने के लिए निवेदन किया गया।
इसकी स्वीकृति भी नगर परिषद द्वारा जारी की गई। नगर परिषद की ओर से यह कार्य में मनमाने ढंग से बोलियां जारी की जाकर सुप्रीम कोर्ट की रोक 31 मार्च 2020 तक ही बीएस-4 मॉडल खरीदने की अनुमति को भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए वास्तविक रूप से वाहन प्राप्त किए बिना वाहन का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2020 से पूर्व करवाना प्रस्तावित किया गया.
जो न केवल नियमो की अवहेलना है साथ ही उच्चतम न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन है।इन ऑटो को खरीदने के लिए नगर परिषद ने अलग अलग आठ टैण्डर की प्रक्रिया अपनाई जबकि लोक उपायन में पारदर्शिता अधिनियम 2012 व नियम 2013 के विरुद्ध एक ही प्रकृति कार्य के लिए कार्य को विभाजित किए जाने पर रोक है। इसके बावजूद अलग अलग निविदा जारी की।
जांच रिपोर्ट के अनुसार अलग अलग निविदा जारी करना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। पचास लाख रुपए से अधिक के कार्यो या वाहन या अन्य निर्माण आदि का बजट खर्च करना होता है तो उसकी बकायदा डीएलबी से अनुमति मांगी जाती है लेकिन पचास-पचास लाख रुपए के बजट के आठ टैण्डर की रूपरेखा तैयार की। प्रत्येक ऑटो टीपर की कीमत करीब सवा छह लाख रुपए आंकी।
इधर, नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष डा.बबीता गौड़ ने आरोप लगाया है कि दो साल बीतने के बावजूद अब तक न एफआईआर दर्ज हुई और न ही कोई एक्शन। यहां तक कि एक साल पहले जिला प्रशासन ने नगर परिषद को दोषी भी माना हैं। इसके बावजूद अब तक नगर परिषद प्रशासन ने चुप्पी साध रखी हैं।
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