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पिछले 18 साल से ये ड्राइवर नहीं बजा रहा है हॉर्न, अब मिलेगा अवॉर्ड

Published: Dec 04, 2017 01:24:53 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

कोलकाता में रहने वाले दीपक दास पिछले 18 साल से गाड़ी चलाते वक्त हॉर्न नहीं बजाते, उनको मानुष सम्मान के लिए चुना गया है

dipak das
नई दिल्ली। ‘भरी सड़कों पर शांति वाला माहौल हो, ट्रैफिक लाइट पर खड़ी गाड़ियां भी इत्मीनान से बत्ती हरे होने का इंतजार करें, कोई शोर-शराबा नहीं और ना ही बेसब्र हॉरनों की आवाज हो’ ऐसी चाहत तो सभी को होगी। लेकिन कोलकाता के एक ड्राइवर इस दिशा में अपना योगदान भी दे रहे हैं , वो भी आज से नहीं बल्कि पिछले 18 सालों से।
नो-हॉर्न पालिसी अपनाकर ड्राइवर हो सकते और चौकन्ने
कोलकाता में रहने वाले दीपक दास पिछले 18 साल से गाड़ी चलाते वक्त हॉर्न नहीं बजाते। यहां तक की लम्बी यात्रा के दौरान भी वो हॉर्न बजने से बचते हैं। उनका कहना है कि ‘अगर हर ड्राइवर नो-हॉर्न पालिसी अपनाये तो इससे वो गाड़ी चलाते वक्त ज्यादा चौकन्ने रहेंगे। उनका माना है अगर किसी ड्राइवर को जगह, स्पीड और समय की उपयुक्त जानकारी है तो उसे हॉर्न बजने की जरूरत भी नहीं पड़ती। दीपक बताते हैं कि जब भी कोई यात्री उनको हॉर्न बजाने के लिए कहता है तब वो उन्हें विनम्रता से मन कर देते हैं और कहते हैं कि ‘इससे किसी समस्या का कोई समाधान नहीं होगा’।
दीपक की चाहत हॉर्न-मुक्त राज्य घोषित हो कोलकाता
वो ‘नो-हॉर्न पालिसी’ में यकीन रखते हैं और चाहते है कि सभी ड्राइवर यह नीति अपनाये। वो कोलकाता को हॉर्न-मुक्त राज्य घोषित होता हुआ देखना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह कोई असंभव या मुश्किल कदम नहीं है, अगर प्रशासनिक और राजनीतिक सद्भावना हो तो आसानी से इस दिशा में काम किया जा सकता है।
दीपक ने अपने कार पर एक सन्देश छपाया है जिसमें लिखा है-हॉर्न एक अवधारणा है मैं आपके दिल की परवाह करता हूं। दीपक इस कदम से ध्वनि प्रदूषण में गिरावट लाना चाहते हैं।
दीपक को मिलेगा मानुष सम्मान
उनके इस प्रयास को उनके साथ यात्रा कर चुके कई ग्राहकों और संस्थाओं ने सराहा है और उन्ही के प्रस्ताव पर उन्हें इस बार मानुष सम्मान के लिए चुना गया है। यही नहीं मशहूर तबला वादक पंडित तनमय बोस और गिटार वादक कुणाल ने भी दीपक के इस कृत्य कि पुष्टि की और इस अनोखे कदम को सराहा। मानुष मेले की एक आयोजक सुदीपा सरकार ने भी कहा की अभी तक दीपक जिनभी ग्राहकों के साथ यात्रा कर चुके हैं सबने दीपक के इस कदम की तारीफ की है, जिससे वो इस सम्मान के स्पष्ट हकदार माने जाते हैं।
मानुष मेले का यह दूसरा साल
यह सम्मान उनको दिया जाता है जो अपने प्रयासों से समाज और समाज के लोगो के हित में जुटे रहते हैं।इस बार मानुष मेला का दूसरा साल है। जिनके प्रयासों से समाज और समाज के लोगो का हित होता है,मेले में उन व्यक्तियों को मानुष अवार्ड से सम्मानित किया जाता है। पिछली बार यह सम्मान बिवा उपाध्याय को मिला था जो खुद आर्थिक तंगी से झूझते हुए भी आवारा जानवरो को शरण देना और खाना खिलाना नहीं भूलती।
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