कोरोना महामारी, लॉकडाउन व इनसे उत्पन्न हुई रोजगारी की समस्या के चलते राष्ट्रीय स्तर पर कृषि को रोजगार के प्रमुख क्षेत्र के रूप में सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वर्तमान हालातों को देखते हुए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कहीं। ऐसे में पश्चिमी राजस्थान के किसान परम्परागत तरीकों से हटकर अनोखे अंदाज में खेती कर मिसाल पेश रहे है। जिनको सरकार व विश्वविद्यालयों तक एक उदाहरण के रूप में पेश किया जा रहा है। ऐसे किसानों ने कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में लीक से हटकर नया काम किया है और अन्य किसानों को जोड़कर उन्हें रोजगार देने में भूमिका निभा रहे है। पश्चिमी राजस्थान के ऐसे 11 किसानों का कृषि विश्वविद्यालय ने भी अपने आंठवें स्थापना दिवस समरोह में सम्मानित किया।
— किसानों ने इन क्षेत्रों में किया उत्कृष्ट कार्य उन्नत किस्मों को किसानों तक पहुंचाने, बीज उत्पादन व कृषक उत्पादक संस्थान के क्षेत्र में, सजावटी बागवानी, नर्सरी प्रबंधन, जैविक खेती के प्रोत्साहन व विपणन, फ ल उत्पादन व जैविक खेती के प्रोत्साहन, जल संरक्षण व घी उत्पादन, खजुर उत्पादन, समन्वित कृषि प्रणाली, सघन सब्जी सौंफ, सब्जी, पपीता, सोलर व बूंद-बूंद सिंचाई प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर हजारों किसानों को जोड़ा है।
— कार्य में विशिष्टता देख किया चयन कृषि विवि स्थापना दिवस समारोह अनोखे तरीके से मनाया गया। पश्चिमी राजस्थान में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों के कार्य को देखा गया। उनके कार्य में विशिष्टता पाए जाने पर ही उनका सम्मान के लिए चयन किया गया।
प्रो बीआर चौधरी, कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर — ब्रेन स्टॉर्मिंग सेशन ब्रेन स्टार्मिंग सेशन में प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों, किसानों व विद्यार्थियों को कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि शिक्षा में होने वाले बदलाव के बारे में बताया गया । विवि व नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजूकेशन प्रोजेक्ट के एक वर्ष की प्रगति रिपोर्ट भी पेश की गई।
प्रो भरतसिंह भीमावत, डीन कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर —