जयपुर. ओमान के सख्त कानून के चलते सड़क दुर्घटना में मरने वाले जयपुर निवासी चचेरे भाई गौरव शर्मा और अंकुर शर्मा के शव अभी 20 दिन और परिजनों को नहीं मिलते। लेकिन ओमान में काम कर रहे केरल मुस्लिम कल्चर सेंटर ने हर तरह से मदद कर आठ दिन में सभी काम करवा दिए और शव उन्हें दिलवाए। भारतीय दूतावास के साथ मिलकर सेंटर हर फंसे हुए भारतीय की निस्वार्थ मदद करती है। दोनों भाइयों के शव लेकर जयपुर आने के बाद पहली बार पत्रिका से बातचीत में मृतकों के चचेरे भाई प्रणय शर्मा ने बताया कि ओमान में थाने में जाना हो या फिर अस्पताल में कोई दस्तावेज बनाना। इसके अलावा किसी भी प्रकार के अन्य दस्तावेज बनाने में सेंटर के पदाधिकारी समीर उनके साथ सभी जगह गए। किसी विभाग में किसी को कहलाने की जरूरत पड़ी तो समीर ने अपने स्तर पर ही बातचीत कर सभी दस्तावेज जल्दी तैयार करवा दिए। इतना ही नहीं पीडि़त परिवार ओमान पहुंचा, तब उनके वहां रहने और खाने की व्यवस्था भी सेंटर ने नि:शुल्क उपलब्ध करवाई। जितने दिन भी पीडि़त परिवार वहां रहा, उस दौरान पीडि़त परिवार का एक रुपया भी खर्च नहीं होने दिया।
चारों शव दिलवाए एक साथ गौरव और अंकुर के चाचा के बेटे प्रणय शर्मा ने बताया कि केरल मुस्लिम एसोसिएशन ने हादसे के शिकार गौरव, अंकुर के परिजनों की ही मदद नहीं की। बिहार से सुशील और कर्नाटक से सुशील व प्रशांत के परिजनों के लिए भी उनकी तरह ही पूरी व्यवस्था की। चारों शव एक साथ परिजनों दिलवाए।
भारतीय दूतावास ने प्लेन में नि:शुल्क भिजवाए शव परिजनों ने बताया कि ओमान में भारतीय दूतावास के अधिकारी और कर्मचारियों ने भी उनकी खूब मदद की। दूतावास ने ही एयर इंडिया की फ्लाइट में नि:शुल्क चारों के शव भारत भिजवाए। गौरव, अंकुद और सुशील के शव दिल्ली भिजवाए। जबकि प्रशांत का शव बंगलुरु भेजा गया। गौरव, अंकुर से सड़क मार्ग से जयपुर लाया गया। वहीं सुशील के शव को परिजन बिहार में गया के नजदीक उनके गांव ले गए।
मैंने बैंक की सेमिनार होने पर इनकार कर दिया प्रणय ने बताया कि वह खुद भी दुबई एक बैंक में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट है। दोनों भाइयों के साथ उसका भी सलाला जाने का कार्यक्रम था। लेकिन उनके बैंक की सेमीनार होने पर उनको उसका स्पीकर बनाया गया था। ईद पर अवकाश होने पर सेमिनार की तैयारी करने का अच्छा मौका मिला गया था। इसलिए दोनों भाई गौरव व अंकुर को सलाला जाने से इनकार कर दिया था। उसने बताया कि गत वर्ष वे सब इसी मार्ग से और इसी कार से एक साथ सलाला घूमने गए थे।