पीईकेबी कोल ब्लॉक से प्रथम चरण मे खनन कार्य वर्ष 2013 से प्रारंभ हुआ एवं खनन के पश्चात समतल की गई भूमि पर 8 लाख वृक्षों का रोपण किया गया है अतः यह कोई नया कार्य नही है,जिसका इतना पुरजोर विरोध किया जा रहा है।राजस्थान राज्य की 4340 मेगावाट क्षमता की तापीय इकाइयों से विद्युत की..1/3
— Bhanwar Singh Bhati (@BSBhatiInc) June 17, 2022
सुचारू आपूर्ति हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के हसदेव-अरण्य वन क्षेत्र में जारी आंदोलन को रोककर पीईकेबी तथा परसा कोयला खदानों से कोयला खनन शीघ्र प्रारंभ करना अत्यावश्यक है।
राजस्थान राज्य को अंधकार से बचाने हेतु मैं, छत्तीसगढ़ राज्य के हसदेव-अरण्य वन क्षेत्र की जनता एवं...2/3— Bhanwar Singh Bhati (@BSBhatiInc) June 17, 2022
छत्तीसगढ़ प्रशासन से आंदोलन एव विरोध को समाप्त कर शीघ्र खनन कार्य प्रारंभ करने में सहयोग की अपील करता हूं।@RVUNCoalBlock 3/3#CoalCrisis #PowerCrisis #PowerOutage #CoalShortage #CoalSupply #electricity #powerdemand #rrvunl #hasdeo #Parsacoalblock #Rajasthan #chattisgarh— Bhanwar Singh Bhati (@BSBhatiInc) June 17, 2022
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इस तरह विरोध करने वालों और जनता को दे रहे जवाब#Hasdeo #हसदेव #हसदेव_अरण्य #सरगुजा #पीईकेबी #PowerCrisis #poweroutage #sarguja #rajasthanpowercrisis #Rvunl #RRVUNL #PARSACOALBLOCK #Rajasthan #Chhattisgarhhttps://t.co/w7C4aJyZ2C— RVUN Coal Block (@RVUNCoalBlock) June 17, 2022
- कोल ब्लॉक के लिए 1898 हेक्टेयर भूमि दो चरणों में दी गई। पहले चरण में 762 हेक्टेयर भूमि में 2013 में खनन शुरू हुआ। इस दस वर्ष में 80 हजार पेड़ों की एवज में 48 लाख पेड़-पौधे लगाए गए। 8946 पेड़ का ट्रांसप्लांटेशन किया। इसलिए यह कहना बिल्कुल गलत है कि खनन से जंगल उजड़ रहे हैं।
- राजस्थान को कोयला आवंटित खदान घने वन भूमि में नहीं है, बल्कि इससे 2 प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित होगा।
- अब 8 लाख नहीं, केवल 8 हजार पेड़ काटने पड़ेंगे। इसके एवज में भी चार गुना पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं।
- खदान वाले जिले में ही स्थानीय लोगों के लिए विद्वुत उत्पादन निगम 100 बेड का अस्पताल बनाकर सौंपेगा।
- पर्यावरण की स्थिति को देखकर ही केन्द्र और राज्य सरकार ने यहां खनन की अनुमति दी है।
- खनन शुरू होने से करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
- विरोध पर सवाल : पीईकेबी (परसा ईस्ट एंड कांते बेसिन) कोल ब्लॉक के पहले चरण में खनन का काम वर्ष 2013 में शुरू हुआ। यह कोई नया कार्य नहीं है, जिसका इतना पुरजोर विरोध किया जा रहा है।
- खनन की जरूरत : राजस्थान के 4340 मेगावाट क्षमता की यूनिट से विद्युत की सुचारू आपूर्ति के लिए छत्तीसगढ़ के हसदेव—अरण्य वन क्षेत्र में खनन शुरू करना आवश्यक है।
- अंधकार से बचाने की अपील : राजस्थान को अंधकार से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ की जनता एवं प्रशासन से आंदोलन व विरोध समाप्त कर सहयोग करने की अपील करता हूं।