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जब बच्चा छिपाने लगे बातें…

अब जब परिवार बहुत सीमित हो गए हैं, तो बच्चों को पैरेंट्स की बहुत ज्यादा अटेंशन मिलने लगी है। उनकी ज्यादातर मांगें पूरी की जाती हैं। उन्हें किसी मुश्किल का सामना करने ही नहीं दिया जाता। लेकिन ऐसे में पैरेंट्स से कई बार ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनकी वजह से बच्चा उनसे बातें छिपाने लगता है। इससे तनाव की स्थिति बन जाती है। आइए जानें पेरेंटिंग के बारे में कुछ आवश्यक बातें…

Jan 28, 2023 / 04:41 pm

कंचन अरोडा

जब बच्चा छिपाने लगे बातें…

बच्चे के साथ बॉन्डिंग है जरूरी
पैरेंट्स के लिए यह बहुत जरूरी है कि भले ही वे कितने ही व्यस्त क्यों ना हों, बच्चे के साथ अपनी स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग स्थापित करें। यदि पैरेंट्स के साथ बच्चे का रिश्ता मजबूत नहीं है तो बच्चा अपने मन की बात शेयर करने में कंफर्टेबल महसूस नहीं करेगा और बातें छिपाने लगेगा। इसलिए बॉन्डिंग बनाएं।
कम्युनिकेशन गैप न आने पाए
घर में बच्चों की देखभाल के लिए नौकर-चाकर एवं सुख -सुविधाएं पूरी होती हैं, लेकिन दोनों पेरेंट वर्किंग होने की वजह से बच्चों के लिए समय का अभाव रहता है। यह सच है, बच्चे के लिए मां-बाप की भूमिका कोई दूसरा अदा नहीं कर सकता। इसलिए बहुत जरूरी है कि वे बच्चों को समय दें। यदि वे बच्चे के साथ रेगुलर कम्युनिकेट करेंगे तो वे बच्चे के हावभाव से ही जान जाएंगे कि वह कहीं कुछ छिपा तो नहीं रहा। इसलिए पैरेंट्स और बच्चे के बीच कम्युनिकेशन गैप न आए।
ओवरप्रोटेक्टिव होना भी कारण
आजकल परिवार में एक या दो बच्चे ही होते हैं। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चे को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो जाते हैं। उसकी हर मांग पूरी करने की कोशिश करेंगे। इससे बच्चा जिद्दी हो जाता है। बच्चों को प्यार करना अलग बात है लेकिन उन्हें लेकर हद से ज्यादा पजेसिव होना भी ठीक नहीं है।
बच्चे में ना हो डांट का डर
जब बच्चे को हर बात में टोका जाता है तो वह बातें छिपाने लगता है। बच्चा गलत कर रहा है तो प्यार से समझाया जाए, ताकि बच्चा अपनी बात बताकर हल्का महसूस करे। कई बार ऐसा होता है कि पैरेंट्स अपने वर्कप्रेशर और दूसरी टेंशन का सारा गुबार बच्चे पर गुस्सा करके निकाल देते हैं। लेकिन यह बच्चे के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है और यह एक बहुत बड़ी गलती है। जब बच्चे को यह लगेगा कि मम्मी-पापा से कोई बात कहने पर वे उसे डांटेंगे या मारेंगे तो वह कभी भी कोई भी बात उनसे शेयर नहीं करेगा। इसलिए प्यार से समझाएं।
पैरेंट्स से ही सीखते हैं बच्चे
पैरेंट्स अपने बच्चों को छोटी उम्र में ही अच्छी-अच्छी आदतें सिखाना शुरू कर देते हैं। अक्सर वे अपने बच्चों से कहते हैं कि हमेशा सच बोलना चाहिए। यूं तो बच्चे मन के सच्चे होते हैं और पैरेंट्स भी उन्हें यही सिखाते हैं कि कभी कोई बात नहीं छिपानी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि बच्चों की झूठ बोलने की आदत के पीछे कहीं ना कहीं पैरेंट्स भी जिम्मेदार होते हैं क्योंकि बच्चे अक्सर पैरेंट्स को देखकर ही सीखते हैं। यदि बच्चा यह देखता है कि परिवार में माता-पिता के बीच पर्याप्त संवाद नहीं है, वे एक-दूसरे से ज्यादा बात नहीं करते या उनके बीच एक-दूसरे से झूठ बोलने को लेकर बहुत लड़ाइयां होती है तो बच्चे पर इसका बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए पैरेंट्स को सावधान हो जाना चाहिए और अपनी आपसी बॉन्डिंग पर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चा उनसे बातें शेयर करना सीखें।

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