अविरल, निरंतर वायु की भांति
बंद ना हुआ मेरा तुमको चाहना
बड़ा आराम देता रहा है अब तक
यूं तुम्हारी प्रतीक्षा में थकना।। मेरा सब कुछ तुम
मैं नहीं तुम्हारी कुछ भी
भुला दिया हर दृश्य
याद ना रहा दुख भी।।
बंद ना हुआ मेरा तुमको चाहना
बड़ा आराम देता रहा है अब तक
यूं तुम्हारी प्रतीक्षा में थकना।। मेरा सब कुछ तुम
मैं नहीं तुम्हारी कुछ भी
भुला दिया हर दृश्य
याद ना रहा दुख भी।।
तुम जानो तुम समझो मुझको
व्यर्थ है ये मन में लाना
नहीं कल्पना में भी मेरी
अभिलाषा तुम को पाना।। रहा सर्वदा मेरा सब कुछ तेरा
जो मेरा है मेरे पास
झुलस गई जो अथक प्रयास में
सपनों की वह कोमल घास।।
व्यर्थ है ये मन में लाना
नहीं कल्पना में भी मेरी
अभिलाषा तुम को पाना।। रहा सर्वदा मेरा सब कुछ तेरा
जो मेरा है मेरे पास
झुलस गई जो अथक प्रयास में
सपनों की वह कोमल घास।।
इंतजार नहीं जीवन में
प्रेम, सहानुभूति, सांत्वना नहीं मैं चाहती
अलौकिक मिलना तुमसे सपनों में
ये ही बस मेरी थाती।। रचनाकार
-रजनी राघव
वैशाली नगर, जयपुर (राजस्थान)
प्रेम, सहानुभूति, सांत्वना नहीं मैं चाहती
अलौकिक मिलना तुमसे सपनों में
ये ही बस मेरी थाती।। रचनाकार
-रजनी राघव
वैशाली नगर, जयपुर (राजस्थान)