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युवा दे रहे वैज्ञानिक तर्क और ऐसे ला रहे समाज में बदलाव

Published: Dec 13, 2017 12:28:44 pm

Submitted by:

Ravi Gupta

लोग अब अपनी सोच को बदल रहे हैं। समाज तेज गति से सकारात्मकता की ओर बढ़ रहा है।

youth
नई दिल्ली। किसी भी समाज के लिए उसका युवा वर्ग एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। युवा वर्ग ही अपनी नई सोच से समाज में बदलाव ला सकता है। बात अगर हम अपने समाज की करें तो कई सारे धर्म, रीति-रिवाजों का बोलबाला यहां है। एक प्राचीन देश होने के कारण यहां कई ऐसी प्रथाएं भी हैं जिनका कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं दिया जा सकता। समाज का लगभग हर वर्ग किसी ना किसी अंधविशवास को मानता है। समाज का शिक्षित वर्ग भी इन प्रथाओं को मानने से खुद को रोक नहीं पाता है या यूं कहा जाए कि वो एक प्रकार से इसमें जकड़े हुए है।
हाल ही में कई सारे ऐसे मसले भी आए जिससे पता लगता है कि हमारे समाज की दशा में आज भी ज्य़ादा परिवर्तन नहीं आया है। लोगों की इन भावनाओं का फायदा उठाकर अक्सर ही ढ़ोगी बाबा और साधू इन्हें ठगते हैं। इन सब में महिलाओं का शोषण सबसे ज्यादा होता है। लोगों की सोच आज भी सिमटी हुई है। लेकिन समाज का युवा वर्ग इसे तेजी से बदल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है जहां पहले लोग इंटरकास्ट और इंटररिलिजन मैरिज को लेकर बात करने से कतराते थे, वहीं सूत्रो की मानें तो 2013 से 2013 में लगभग 2624 इंटरकास्ट और इंटररिलिजन शादियां हुई हैं।
पिरियड्स जैसे चीजों पर भी अब लोग खुलकर बात करने लगे हैं। अब ऐसा नहीं है माहवारी के समय महिलाएं खुद को बंद कमरे में समेट लेती हों। वो जागरूक हो रही हैं। हाल ही में धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश वर्जित को लेकर युवाओं ने अपनी आवाज उठाकर इस विषय में अपना तर्क दिया था।
खुशी की बात तो यह है कि इसमें उन्हें सफलता भी मिली। इलाज के लिए अब लोग बाबा नहीं बल्कि मॉर्डन मेडिकल, टेक्कोलॉजी पर ज्यादा विशवास कर रहे हैं। लोग अब अपनी सोच को बदल रहे हैं। समाज तेज गति से सकारात्मकता की ओर बढ़ रहा है। अंधेरे से समाज उजाले की ओर जा रहा है और यह उजाला उन्हें युवाओं से मिला है।
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