तीस प्रकार की बीमारियों का होगा इलाज
ंअस्पताल में रोजाना होता है 10 से अधिक बच्चों का जन्म
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का संचालन होगा। यहां पर जन्म के बाद नवजात बच्चों में होने वाली बीमारियां मंदबुद्धि बच्चे, जो न चल सकते हैं, न उठ-बैठ सकते हैं, न बोल सकते हैं। ऐसे बच्चे जिनकी गर्दन नहीं सधती, निगाह भी नहीं ठहरने सहित लगभग ३० प्रकार की बीमारियों का थैरेपी के द्वारा इलाज दिया जाएगा। अस्पताल में प्रतिदिन 10 से अधिक बच्चों का जन्म होता है। बच्चे के जन्म लेते ही उसकी इस सेंटर में मानसिक और शारीरिक जांच की जाएगी। बच्चे में किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसे तुरंत उपचार दिया जा सकेगा। माना जाता है कि अक्सर बच्चे में वजन कम होने से लेकर नाक, कान, गले, आंख, कुपोषण के अलावा मेंटल ग्रोथ संबंधी समस्याएं होती हैं। इलाज में देरी होने पर यह जन्मजात बीमारी बन जाती है। डीईआईसी सेंटर के शुरू होने से बच्चों को बेहतर इलाज मिलेगा।
ंअस्पताल में रोजाना होता है 10 से अधिक बच्चों का जन्म
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का संचालन होगा। यहां पर जन्म के बाद नवजात बच्चों में होने वाली बीमारियां मंदबुद्धि बच्चे, जो न चल सकते हैं, न उठ-बैठ सकते हैं, न बोल सकते हैं। ऐसे बच्चे जिनकी गर्दन नहीं सधती, निगाह भी नहीं ठहरने सहित लगभग ३० प्रकार की बीमारियों का थैरेपी के द्वारा इलाज दिया जाएगा। अस्पताल में प्रतिदिन 10 से अधिक बच्चों का जन्म होता है। बच्चे के जन्म लेते ही उसकी इस सेंटर में मानसिक और शारीरिक जांच की जाएगी। बच्चे में किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसे तुरंत उपचार दिया जा सकेगा। माना जाता है कि अक्सर बच्चे में वजन कम होने से लेकर नाक, कान, गले, आंख, कुपोषण के अलावा मेंटल ग्रोथ संबंधी समस्याएं होती हैं। इलाज में देरी होने पर यह जन्मजात बीमारी बन जाती है। डीईआईसी सेंटर के शुरू होने से बच्चों को बेहतर इलाज मिलेगा।
जन्मजात विकृति वाले बच्चे भी होंगे लाभान्वित
जिला अस्पताल परिसर में वैक्सीन स्टोर रूम के बाजू से डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में हॉल के अलावा करीब दस कमरों का निर्माण किया जा रहा है। शारीरिक और मानसिक कमजोर वाले बच्चों के अलावा सात प्रकार की जन्मजात विकृति वाले बच्चों को भी इलाज दिया जाएगा। ऐसे बच्चों का उनका पंजीयन कर जांच की जाएगी। यदि आपरेशन की आवश्यकता होगी तो भोपाल भेजा जाएगा।
जिला अस्पताल परिसर में वैक्सीन स्टोर रूम के बाजू से डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में हॉल के अलावा करीब दस कमरों का निर्माण किया जा रहा है। शारीरिक और मानसिक कमजोर वाले बच्चों के अलावा सात प्रकार की जन्मजात विकृति वाले बच्चों को भी इलाज दिया जाएगा। ऐसे बच्चों का उनका पंजीयन कर जांच की जाएगी। यदि आपरेशन की आवश्यकता होगी तो भोपाल भेजा जाएगा।
इधर, एक करोड़ से बन रहा एसएनसीयू भवन
स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल द्वारा जिला अस्पताल के पुराने प्रसूति वार्ड की जगह पर 1 करोड़ रुपए की लागत से एसएनसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें 20 नवजात बच्चों को भर्ती रखने की व्यवस्था रहेगी। वहीं डॉक्टर एवं नर्सों के लिए भी अलग-अलग कक्ष होंगे। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जहां नवजातों के लिए नया एसएनसीयू भवन बनाया जाएगा, वहीं उनकी माताओं के लिए भी उक्त भवन के उपर मदर वार्ड बनेगा। कमजोर व कम दिन वाले बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती रखने के बाद उन्हें दूध पिलाने के लिए उनकी माताओं को प्रसूति वार्ड में रखना पड़ता है। इस दौरान अन्य प्रसूताएं भर्ती होने पर महिलाओं को रहने की परेशानियां होती हैं।
स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल द्वारा जिला अस्पताल के पुराने प्रसूति वार्ड की जगह पर 1 करोड़ रुपए की लागत से एसएनसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें 20 नवजात बच्चों को भर्ती रखने की व्यवस्था रहेगी। वहीं डॉक्टर एवं नर्सों के लिए भी अलग-अलग कक्ष होंगे। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जहां नवजातों के लिए नया एसएनसीयू भवन बनाया जाएगा, वहीं उनकी माताओं के लिए भी उक्त भवन के उपर मदर वार्ड बनेगा। कमजोर व कम दिन वाले बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती रखने के बाद उन्हें दूध पिलाने के लिए उनकी माताओं को प्रसूति वार्ड में रखना पड़ता है। इस दौरान अन्य प्रसूताएं भर्ती होने पर महिलाओं को रहने की परेशानियां होती हैं।
जिला अस्पताल परिसर में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर बनाया जा रहा है।इसमें मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को थेरेपी के माध्यम से इलाज देकर स्वस्थ किया जाएगा। आगामी चार माह में सेंटर शुरू होगा।
अंजली शुक्ला, मैनेजर आरबीएसके, जिला अस्पताल हरदा
अंजली शुक्ला, मैनेजर आरबीएसके, जिला अस्पताल हरदा