scriptसोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग | PIL file for a new law to bring social media platforms under surveillance | Patrika News

सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग

locationजयपुरPublished: Nov 04, 2020 11:34:54 am

Submitted by:

Mohmad Imran

हाल ही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें कथित तौर पर नफरत फैलाने वाली फेक न्यूज के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा चलाने की मांग की गई है

सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग

सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग

देश में सोशल मीडिया (social media) को कानून के दायरे में लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में हाल ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। याचिका में मांग की गई है कि उच्चतम न्यायालय की ओर से केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने वाली (Spreading Hate and Fake News through social media tools) और फेक न्यूज के प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए अलग से कानून बनाएंं। इस याचिका में केंद्र सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और फेसबुक इंडिया को प्रतिवादी बनाया गया है। यह याचिका एडवोकेट विनीत जिंदल ने एडवोकेट राज किशोर चौधरी के माध्यम से दायर की है, जिसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने मजबूर होते हुए वर्तमान में यह जनहित याचिका दायर की है ताकि प्रतिवादियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया जा सके। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि हिंदू देवी के खिलाफ ट्विटर हैंडल @ArminNavabi से दो ट्वीट्स किए गए हैं, जिनमें अपमानजनक भाषा का उपयोग किया गया है। इनके मद्देनजर यह याचिका दायर की जा रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Right to Expression) एक जटिल अधिकार है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मुकम्मल नहीं है और इसके साथ विशेष कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करना होता है इसलिए यह अधिकार कानून द्वारा प्रदान किए गए कुछ प्रतिबंधों के अधीन होता है। याचिका में कहा गया है कि, सोशल मीडिया के लिए अलग-अलग देशों द्वारा लागू किए गए विनियमन मानकों को देखना भी जरूरी है, ताकि ऐसे दिशानिर्देशों को प्रस्तुत किया जा सके जो बोलने की आजादी और सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जवाबदेही के बीच संतुलन बना सकें।
सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग
इस याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि देश ने अतीत में बहुत सारी सांप्रदायिक हिंसा देखी है, लेकिन आज सोशल मीडिया के दौर में यह आक्रामकता केवल क्षेत्रीय या स्थानीय आबादी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये पूरे देश को अपने साथ ले लेती हैं। अफवाहें, व्यंग्य और घृणा एक स्थानीय सांप्रदायिक झड़प में आग लगाने का काम करती है, परंतु यही आग सोशल मीडिया के जरिए तुरंत पूरे देश में फैल जाती है। इसने स्थानीय सांप्रदायिक संघर्ष और राष्ट्रीय सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के बीच सामाजिक दूरी को कम कर दिया है। आज, एक स्थानीय सांप्रदायिक संघर्ष को कुछ ही सेकंड्स में राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा सकता है। दलील में कहा गया है कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए सोशल मीडिया एक हानिकारक भूमिका निभा रहा है और इस दुरुपयोग को रोकने का समय आ गया है।
यह तर्क दिया गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइटें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं क्योंकि इनका उपयोग मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और मैच फिक्सिंग, आतंकवाद, हिंसा भड़काने और अफवाह फैलाने वाले उपकरण के रूप में किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि, सोशल मीडिया इंस्ट्रूमेंट्स जैसे ब्लॉग्स, माइक्रोब्लॉग्स, डायलॉग बोड्र्स, एसएमएस और शायद सबसे ज्वलंत समस्या यानी सोशल नेटवर्किंग वेब साइट्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप इत्यादि हैं।
सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ अलग से कानून बनाने की मांग

निम्न राहत देने की मांग
01. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को विनियमित करने के लिए अलग कानून बनाने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने वाला परमादेश जारी किया जाए।
02. सोशल मीडिया हाउस or tool यानी फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम आदि को सीधे तौर पर समाज के बीच नफरत फैलाने वाले भाषणों के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने वाला परमादेश दिया जाए।
03. सोशल मीडिया के माध्यम से घृणा और फर्जी समाचार फैलाने में शामिल व्यक्तियों पर आपराधिक केस चलाने के लिए अलग कानून बनाने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए, जो परमादेश की प्रकृति में हो।
04. प्रतिवादियों को एक तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया जाए कि जो कम समय सीमा के भीतर ही अभद्र भाषा और फर्जी समाचार को अपने आप हटा दें ताकि इस तरह के नफरत भरे भाषणों या फर्जी समाचारों के काउंटर उत्पादन को कम से कम किया जा सके।
05. सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स के माध्यम से घृणा और नकली समाचार फैलाने के लिए दर्ज प्रत्येक मामले में एक विशेषज्ञ जांच अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी प्रतिवादियों को निर्देश देने वाला परमादेश जारी किया जाए।

ट्रेंडिंग वीडियो