अलीगढ़

पितृपक्ष में 170 लावारिश शवों की अस्थियों का इस बार गुजरात में विसर्जन

240 मानव सेवक हवाई जहाज से जाएंगे, 118 महिलाएं भी जा रहीं

अलीगढ़Sep 30, 2018 / 10:06 am

अभिषेक सक्सेना

पितृपक्ष में 170 लावारिश शवों की अस्थियों का इस बार गुजरात में विसर्जन

अलीगढ़। पितृपक्ष में आम लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जहां श्राद्ध कर्म और तर्पण कार्य करते हैं। वहीं अलीगढ़ जनपद में पाई जाने वाली अज्ञात लावारिस शवों की आत्मा की शांति के लिये मानव उपकार संस्था भी जहां लावारिस मुस्लिम शवों की रूह (आत्मा) की शांति के लिये कुरानख्वानी करती है, वहीं हिन्दू धर्म के अनुसार उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में उनकी अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जन कर पिण्डदान, तर्पण और श्राद्ध करती है।
हर साल होता है कार्यक्रम
मानव उपकार संस्था द्वारा अपने अलीगढ़ जनपद में तथा जीआरपी अलीगढ़ थाना क्षेत्र के अन्र्तगत पाई जाने वाली अज्ञात लावारिस शवों में से सर्वधर्म सम्भाव के अतंगर्त मुस्लिम शवों की रूह (आत्मा) की शांति के लिए मुस्लिम धर्मानुसार संस्था द्वारा प्रत्येक वर्ष कुरानख्वानी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हिन्दू धर्मानुसार लावारिश हिन्दू शवों का मानव उपकार संस्था द्वारा अंतिम संस्कार कर उनकी शिनाख्त के उपरान्त सुरक्षित रखी हुई अस्थियों को सम्मान के साथ प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष में विभिन्न तीर्थ स्थलों पर मौजूद पवित्र नदियों में विसर्जन किया जाता है।
अंतिम संस्कार
स्थानीय होटल धीरज पैलेस में मानव उपकार संस्था के अध्यक्ष विष्णु कुमार ‘बंटी’ ने पत्रकार वार्ता में बताया कि इस कलयुग के दौर में जहां एक तरफ कुछ लोग जीते जी अपने माता-पिता की सेवा करने से मुहँ मोड़ लेते हैं और अपने परिजनों का पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म भी नहीं करते है वहीं, दूसरी तरफ उन अभागे एवं पराये अज्ञात शवों को मानव उपकार संस्था अपनाकर, जहां उनका अंतिम संस्कार करती है। उनके धर्मानुसार उनकी आत्मा की शांति हेतु कार्य करती है। इसी परिपेक्ष में हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मृतक के अंतिम संस्कार के उपरान्त उसकी अस्थियों को जब तक गंगा में या अन्य किसी पवित्र नदी में विसर्जित नहीं किया जाता, साथ ही पितृपक्ष में तर्पण, पिण्डदान एवं श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता तब तक उस मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती।
आज जा रहे
संस्थाध्यक्ष विष्णु कुमार ‘बंटी’ ने बताया कि गत वर्षों की भांति इस बार भी मानव उपकार संस्था के 240 मानव सेवक पहली बार हवाई जहाज द्वारा 30 सितम्बर को लावारिस हिन्दू शवों की अस्थियों को मोक्ष प्रदान करने हेतु द्वारकाधाम (गुजरात) प्रस्थान करेंगे।
द्वारका में गोमती घाट पर विसर्जन
संस्था के चैयरमैन पंकज ‘धीरज’ एवं द्वारका यात्रा के संयोजक विष्णु गुप्ता ‘पीतल’ ने बताया कि संस्था के पदाधिकारी 170 लावारिस शवों की अस्थियों का द्वारका स्थित गोमती घाट में विसर्जन करने के उपरान्त उनका पिण्डदान तर्पण व श्राद्ध कर उनके लिए सोमनाथ व नागेश्वर ज्योतिर्लिगों के दर्शन कर मोक्ष की कामना करेंगे।
118 महिलाएं जा रहीं
संस्था की महिला पदाधिकारी कृष्णा गुप्ता व आभा वाष्र्णेय ने बताया कि आज के इस युग में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। हमें गर्व है कि अस्थि विजर्सन यात्रा में 118 महिलाएं भी जा रही हैं।
अस्थि कलश यात्रा निकाली
द्वारका जाने से पूर्व अलीगढ महानगर में आम जनमानस में जनजागृति लाने और उनको श्रद्धाजंलि प्रदान करने हेतु शुक्रवार को प्रदर्शनी मैदान स्थित शमशान घाट से एक अस्थि कलश यात्रा निकाली गई। अस्थि कलशयात्रा के संयोजक कमल गुप्ता, रामप्रकाश सूर्यवंशी एवं ज्ञानेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि यात्रा मानव उपकार संस्था की कर्म स्थली प्रदर्शनी मैदान स्थित शमशान घाट से प्रारम्भ होकर जीटी रोड, मसूदाबाद चैराहा, जमीराबाद होलीचैक, रघुवीरपुरी, बारहद्वारी, पत्थर बाजार, मीरूमल चैराहा, रेलवे रोड, मालगोदाम, कठपुला, सेन्टर पांइन्ट, समद रोड, रामघाट रोड, दुबे का पड़ाव चैराहा, रामलीला ग्राउण्ड, आर्य समाज मंदिर रोड, मदार गेट चैराहा, तिराहा दुबे का पड़ाव से होती हुई कम्पनी बाग स्थित गांधी पार्क, बस स्टैण्ड मसूदाबाद होती नुमाइश ग्राउण्ड स्थित शमशान घाट पर सम्पन्न हुई। इस अवसर पर प्रमुख रूप से अशोक गोल्डी, उमेश सरकोड़ा, फैज मौहम्मद, गिर्राज शर्मा, दुर्गेश वाष्र्णेय, हरिकृष्ण मुरारी, गौरव वाष्र्णेय, योगेश दुआ आदि पदाधिकारी मौजूद थे।
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