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कविता- ‘मां’ कोटिश: अनवरत अभिनंदन

locationजयपुरPublished: Apr 30, 2022 12:46:07 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

कविता

कविता- 'मां' कोटिश: अनवरत अभिनंदन

कविता- ‘मां’ कोटिश: अनवरत अभिनंदन

शैलेष कुमार शर्मा ‘अनन्त’

हे ‘मां’ कोटिश: अनवरत अभिनंदन।
तुम्हें करबद्ध-कृतज्ञ, विनीत वन्दन।।

तुम्हारे अप्रतिम प्यार और दुलार को,
पल-पल, प्रतिपल करते हुए स्मरण।

जो दुख दूर भगा, करता परिवर्तित,
मुस्कुराहट में हमारा करुण क्रन्दन।।
श्रद्धा, त्याग एवं विश्वास से जुड़ा,
बना रहे यह अडिग-अटूट बंधन।

तुम रहना मेरे साथ सदा यूं ‘मां…’
ज्यों रम जाता आंखों में अंजन।।

निखरा तुम्हारा व्यक्तित्व इस तरह,
ज्यों परिपूरित आभामय कुन्दन।

दया, करुणा और ममता की मूरत,
मेरा कण-कण सर्वस्व तुम्हें अर्पण।।
हे ‘मां’ कोटिश: अनवरत अभिनंदन।
तुम्हें करबद्ध-कृतज्ञ, विनीत वंदन।।

मां पर पढि़ए एक और कविता

प्रतिज्ञा भट्ट

तुम रहना मेरे साथ सदा यूं ‘मां

ज्ञान सागर है तू, धार चंचल हूं मैं
तेरे आंचल में मैया संवर जाऊंगी।
नेह घन जो बरसते रहे उम्रभर,
नीर-निर्मल में आकर ठहर जाऊंगी।।
मां! सभी मौन भावों की भाषा है तू।
शुष्क मरुथल में सावन की आशा है तू।
अनगिनत प्रश्न, उत्तर तेरे पास हैं,
देव है तू या गुरुवर का आभास है।।
शब्दकोशों से तेरे हृदय ग्रंथ का
एक पन्ना पढ़ा तो सुधर जाऊंगी…
नेह घन जो बरसते रहे उम्र भर
नीर-निर्मल में आकर ठहर जाऊंगी।।1।।
ज्ञान सागर है तू…
वेद है तू, पुराणों का तू सार है।
उपनिषद, गूढ़ ग्रंथों का आधार है।
अंक में तेरे देवों की क्रीड़ास्थली,
तेरी बातों में गीता की श्लोकावली।।
दीप्त-दिनकर से तेरे प्रखर पुंज का
तेज पाया तो मैं भी उभर जाऊंगी…
नेह घन जो बरसते रहे उम्रभर,
नीर-निर्मल में आकर ठहर जाऊंगी।।2।।
ज्ञान सागर है तू…
धर्म-पारायणा गौतमी है तू मां।
ब्रह्मज्ञानी वरद गार्गी है तू मां।
जानकी, मां यशोदा तेरे रूप हैं,
सृष्टि,अम्बर,धरा तेरे प्रतिरूप हैं।।
धाम चारों बसे तेरे चरणों में मां,
पा चरण धूलि तेरी निखर जाऊंगी…
नेह घन जो बरसते रहे उम्रभर,
नीर निर्मल में आकर ठहर जाऊंगी।।3।।
ज्ञान सागर है तू…
दर्श जीजा सा तूने सदा ही दिया।
दीप बन करके पथ मेरा रोशन किया।
आज जो भी हूं, तेरी बदौलत हूं मां,
करती हूं नम हृदय से तेरा शुक्रिया।।
मैं शिवा सा समर्पण लिए देह में,
तेरे पद-पंकजों में बिखर जाऊंगी…
नेह घन जो बरसते रहे उम्रभर,
नीर-निर्मल में आकर ठहर जाऊंगी।।4।।
ज्ञान सागर है तू…
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