-23 फीसदी भू-भाग (33 करोड़ हेक्टेयर) मरूस्थल में बदल रहा है। (संयुक्त राष्ट्र)
250 अरब टन रसायनों का उत्पादन हो रहा है एक वर्ष में (ओइसीडी का अनुमान)
05 अरब प्लास्टिक बैग्स का प्रयोग होता है हर वर्ष दुनिया में
-2001 से 2018 के बीच डेढ़ करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा वन कम हुए भारत में।
-11 फीसदी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए वनों की कटाई उत्तरदायी है।
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क ने ओवरशूट डे की गणना से बताया कि जो संसाधन पृथ्वी हमें वर्षभर के लिए देती है, उन्हें हम कितने दिन में खत्म कर रहे हैं। जैसे पिछले वर्ष 22 अगस्त था और 2019 में 29 जुलाई ओवरशूट डे रहा। अर्थात जिन संसाधनों को हमें वर्षभर खर्च करना था, वह 29 जुलाई को ही पूरे कर लिए। ओवरशूट डे हर वर्ष आगे-पीछे होता रहता है। संदेश यही है कि पृथ्वी से लेना ही नहीं देना भी सीखिए।
जंगलों की बेतहाशा कटाई, जैव विविधता को नुकसान पहुंचाया, पानी की बर्बादी, कीटनाशक और खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट, कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक उत्सर्जन। ऐसे बचेगी धरती
अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, पानी बचाएं, इसे व्यर्थ न गंवाएं। रसायनों का प्रयोग कम करें, भोजन की बर्बादी रोकें। ईको फ्रेंडली वाहनों का इस्तेमाल करें, स्वच्छता रखें और सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने तत्वों का प्रयोग नहीं करें।
2020 में 22 अगस्त तक ही खर्च कर डाले एक वर्ष के संसाधन
2019 में 29 जुलाई तक
2010 में 08 अगस्त
2000 में 23 सितंबर
(आंकड़े ग्लोबल फुटप्रिंट से)