ग्वालियर

पर्यावरण को सुरक्षित रखने प्रीति ने समर्पित किया जीवन, बच्चों और महिलाओं को साथ जोड़ा

पौधे लगाने, स्वागत में प्लांट देने, कचरे को रीयूज करने के लिए चला रहीं अभियान

ग्वालियरSep 26, 2021 / 11:28 am

Mahesh Gupta

पर्यावरण को सुरक्षित रखने प्रीति ने समर्पित किया जीवन, बच्चों और महिलाओं को साथ जोड़ा

सेंट्रल जेल में महिला कैदियों को सिखा रहीं गोबर आर्ट, सीख रहे डेकोरेटिव्स आयटम्स बनाना

ग्वालियर.
खुशहाल जीवन जीने और आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देने के लिए पर्यावरण के साथ चलना जरूरी है। यही संदेश ग्वालियर की प्रीति झा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से दे रही हैं। वे युवाओं, महिलाओं और बच्चों को पर्यावरण से जोडऩे का काम कर रही हैं। उन्हीं के प्रयास से कार्यक्रमों में लोग मेहमानों के स्वागत और सम्मान में पौधे दे रहे हैं। लोग अपने जन्मदिन और पूर्वजों की पुण्यतिथि पर पौधे लगाकर उनका संरक्षण कर रहे हैं। बच्चे भी अपने घरों पर पौधे लगाकर संरक्षण करना व सात्विक भोजन करना सीख गए हैं।
पोषण माह वाटिका के अंतर्गत 16 गांव के बच्चों को बांट चुके पौधे
प्रीति ने बताया कि इस समय मेरी टीम पोषण माह वाटिका के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पौधों का वितरण कर रही है। हम 16 से अधिक गांव कवर कर चुके हैं। वहां बच्चों को पौधे देते हैं, जो अपने घरों पर संरक्षित करते हैं। उन्हें पौधे की जानकारी, उनसे मिलने वाले विटामिन्स और उन्हें सात्विक भोजन से भी परिचित कराते हैं, जिन्होंने अपने घरों में बदलाव लाया है। पौधों के लिए हमने शहर में तीन नर्सरी बनाई हैं, जिसमें हम उन्हें तैयार करते हैं। कई वालंटियर अपने घर की छतों में भी पौधे बड़े कर रहे हैं।
मेरा वार्ड मेरा अभिमान चलाया था कैंपेन
प्रीति 9वीं क्लास से पर्यावरण के प्रति अवेयर हैं। वह 2016 से मिशन 100 करोड़ वृक्ष संस्था से जुड़ीं और आज अध्यक्ष पद पर काम कर रही हैं। इसके साथ ही वे क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया की को-ऑर्डिनेटर हैं। इसके अंतर्गत उन्होंने मेरा वार्ड मेरा अभिमान कैंपेन चलाया, जिससे काफी बदलाव देखने को मिला। इस समय वे कचरा कम निकालने, कचरे का रीयूज करने पर काम कर रही हैं। इससे उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी जोड़ा है।
महिला कैदियों को सिखा रहीं गोबर आर्ट वर्क
प्रीति ने सेंट्रल जेल के लिए दो साल का प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके अंतर्गत वे महिला कैदियों को गोबर आर्ट वर्क सिखाएंगी। इससे डेकोरेटिव आयटम्स कैदी तैयार करेंगे। प्रदर्शनी लगाकर उनकी बिक्री की जाएगी। कोरोना से पहले कुछ समय महिला कैदियों प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
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