scriptजनहित याचिका: न्याय तक पहुंच नहीं तो भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन | Public interest litigation for simplification of law language | Patrika News

जनहित याचिका: न्याय तक पहुंच नहीं तो भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन

locationजयपुरPublished: Oct 14, 2020 12:46:16 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

मांग: कानून और नियमों को सरल भाषा में ड्राफ्ट किया जाए

जनहित याचिका: न्याय तक पहुंच नहीं तो भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन

जनहित याचिका: न्याय तक पहुंच नहीं तो भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन

कानून की जटिल भाषा को सरल बनाने के लिए हाल ही सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में एक जनहित याचिका (Public interest litigation) दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि संविधान (Indian Constitution) में दर्ज कानून प्रणाली आम आदमी के लिए हैं लेकिन वे ही इससे सबसे ज्यादा अनभिज्ञ हैं क्योंकि कानून, नियम और सूचनाओं की भाषा इतनी जटिल और रहस्यमयी (Complex and Secretive) होती है कि यह आम आदमी की समझ ही नहीं आती। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से सभी सरकारी कम्यूनिकेशन, अधिसूचनाओं और दस्तावेजों में आम जनता के हितों को केन्द्र में रखते हुए इन्हें सरल और आसानी से समझ में आने वाली भाषा में जारी करने का निर्देश देने की मांग रखी है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील और मौखिक तर्क पेश करने की भी समय सीमा तय की जाए।
जनहित याचिका: न्याय तक पहुंच नहीं तो भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन

अनावश्यक वाक्यांशों का प्रयोग
याचिका में कहा गया है कि अधिकांश वकीलों का कानूनों और सूचनाओं को लिखने का तरीका अस्पष्ट और नीरस है। जो बात दो शब्दों में कही जा सकती है उसे कहने के लिए आठ शब्दों का उपयोग किया जाता है। साधारण सी बात को कहने के लिए भी रहस्यमयी वाक्यांशों का उपयोग करते हैं। कई बार सटीक होने के प्रयास में नीरस और निरर्थक हो जाते हैं।

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मौलिक अधिकार का उल्लंघन
याचिका में यह भी दलील दी गई है कि संविधान में दर्ज कानून और उससे शासित प्रणाली आम आदमी के लिए है लेकिन वही सिस्टम से सबसे अधिक अनभिज्ञ है। क्योंकि सब कुछ बेहद जटिल और भ्रमित करने वाला है। दलील में कहा गया है कि अगर जनता को न्याय तक पहुंच प्रदान नहीं की गई तो यह अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 21 और 39 (A) के अनुसार उनके मौलिक अधिकार (Constitutional Fundamental Rights) का उल्लंघन होगा।

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यह मांग भी की
यह तर्क भी दिया गया है कि इन परेशानियों की रोशनी में विधानमंडल और कार्यपालिका को ‘सटीक और असंदिग्ध कानून’ बनाना चाहिए। साथ ही जहां तक हो सके उसकी भाषा को यथासंभव सरल और आसानी से समझ में आने वाली रखा जाना चाहिए। इसके अलावाए सरकार द्वारा सामान्य जनहित के कानूनों की व्याख्या करने के लिए सादे अंग्रेजी और अन्य स्थानीय भाषाओं में एक गाइड भी जारी की जानी चाहिए।

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नया विषय भी बने
याचिकाकर्ताओं ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) पर एक अनिवार्य विषय शुरू करने के लिए भी मांग की है। इसमें एलएलबी पाठ्यक्रम में ही आसान अंग्रेजी भाषा में कानूनी लेखन, जहां कानून के छात्रों को सामान्य रूप से समझ आने वाली अंग्रेजी भाषा में सटीक और संक्षिप्त कानूनी दस्तावेजों का मसौदा तैयार करना सिखाया जाए।

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