नई दिल्ली। ट्रेनों के चलने के बारे में गलत सूचना देना अब रेलवे अधिकारियों को महंगा पड़ेगा। नेशनल ट्रेन इनक्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) के गलत डाटा की वजह से ट्रेन लेट हुई और इस आधार पर कोई यात्री टिकट रिफंड के लिए क्लेम करेगा तो ये राशि अब इसके लिए जिम्मेदार अफसरों के वेतन से काटी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, रेल मंत्रालय का यह कदम 1 जून से प्रभावी होगा। इस संबंध में जल्द आदेश जारी किया जाएगा। नया सिस्टम लागू करने से पहले रेलवे इसी माह अधिकारियों व निगरानी तंत्र से जुड़े कर्मचारियों को परामर्श देगा।
इधर, उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी तरूण जैन ने कहा, तीन साल से उत्तर पश्चिम रेलवे 96 प्रतिशत समयपालनता को छू रहा है। अन्य रेलवे से आगे-पीछे होने का जो क्रम है वह बहुत मामूली अंतर से है। रेलवे इस समय समयपालनता को लेकर विशेष ड्राइव चला रहा है। इसमें चालकों के सही समय से संचालन से लेकर चैन पुलिंग तक रोकथाम लगाने के उपाय किए जा रहे हैं।
नियम यह
ट्रेन का स्टेशन पर आगमन व प्रस्थान 3 घंटे से अधिक देरी से हुआ तो यात्री रिफंड मांग सकते हैं। यात्रियों को समय की सही जानकारी न होने से काफी रिफंड हो रहा था।
कागज पर सही, असल में देरी
कई मामलों में रेलवे ने पाया कि ट्रेनें कई स्टेशनों पर घंटों लेट रहती थी पर एनटीईएस पर ट्रेन सही समय पर दिखाई दे रही थी। ऎसा “गलत रिपोर्टिंग” के चलते होता है, जिसमें ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिस गलत डेटा देकर एनटीईएस को अपडेट करते हैं।
गलत रिपोर्टिग से निपटना लक्ष्य
रेलवे ट्रेन के चलने की स्थिति पर गलत रिपोर्टिग से निपटना चाहता है। उसने आदेश दिया कि यदि यात्री को एनटीईएस के समय के गलत होने पर पैसा रिफंड करना पड़ता है और जांच में मिले कि डेटा गलत था तो पैसा सीधे दोषी अफसर के वेतन से काटा जाएगा।
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