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बारिश की बूंदों की गणना पर टिकी दुनिया की नजर, मोबाइल फोन टावर दिला सकता है प्राकृतिक आपदाओं से निजात

locationनई दिल्लीPublished: Oct 10, 2017 01:20:39 pm

Submitted by:

Dhirendra

जिस मोबाइल टावर को लोग बीमारियों का घर मानते हैं वो इंसान को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में सहायक साबित हो सकता है।

rain drops counting might give relief from natural disaster

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पूर्वानुमान लगाना संभव

करीब दो महीने पहले सिएरा लियोन में भारी बारिश, भूस्खलन व बाढ़ से हजारों लोगों की मौत ने मौसम विज्ञानियों के समक्ष नई चुनौती पेश कर दी है। इससे पार पाने के लिए विकसित देश जिस तकनीक का उपयोग करते हैं वह काफी खर्चीला है। लेकिन इस बीच एक नया विकल्प मोबाइल फोन टावर तकनीक (एमएफटीटी) उभरकर सामने आया है, जो भारी बारिश और भूस्खलन की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगा सकता है।
माइक्रोवेव्स बताएगा संकेत
नीदरलैंड्स, स्वीडन इजराइल, फ्रांस व अन्य देशों के भू-भौतिक व मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि एमएफटीटी प्राकृतिक आपदा से निजात पाने में सस्ता व कारगर विकल्प हो सकता है। वैज्ञानिकों का तर्क यह है कि जब बारिश व बर्फबारी होती है तो इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव्स कमजोर हो जाता है। ऐसे में एक मोबाइल टावर से दूसरे टावर के बीच सूचनाओं के ट्रांसमिशन के जरिए संपर्क बनाए रखने वाले माइक्रोवेव्स के जरिए प्राकृतिक विपदाओं की संभावनाओं का खुलासा संभव है।
फोरकास्टर्स को निशुल्क डेटा
इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के फ्रेडरिक केजनेव का कहना है कि ट्रांसमीटर्स नेटवक्र्स से प्राप्त आंकड़ों की स्पष्टता और ज्यादा कारगर होने की संभावनाओं के मद्देनजर जब तक नेटवर्क विकसित नहीं करलिए जाते, तब तक टेलीकॉम कंपनियों ने फोरकास्टर्स को फ्री में डेटा यूज करने की अनुमति दी है।
भारत में होगा नेटवर्क विस्तार
क्लीमोसल की योजना भारत में भी विस्तार करने की है। इसके बाद 2018 तक 10 अन्य देशों में भी नेटवर्क डेवलप करने की योजना है। इस परियोजना पर काम करने से अमीर और गरीब देशों की कंपनियां भी सरकारों से डेटा लाभ देने की मांग कर सकती है।
आंकड़ों का संकलन संभव
डा. ककोउ का कहना है कि ट्रांसमिशन टावर्स इस मामले में ज्यादा कारगर हो सकता है क्योंकि इसके जरिए आंकड़ों का संकलन स्वत: संभव है। फिर यह तकनीक सस्ती भी है। मोबाइल टावर्स ट्रांसमिशन सिस्टम दुनियाभर में उपलब्ध हैं। डा. ककोउ वल्र्ड बैंक और यूएन फाउंडेशन के माध्यम से आइवरी कोस्ट आपरेशंस ऑफ रेन सेल अफ्रीका का संचालन करते हैं।
नीदरलैंड का पायलट प्रोजेक्ट
एमएफटीटी में अब विकसित देशों ने भी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। पिछले कुछ वर्षों से एक पायलट प्रोजेक्ट नीदरलैंड में चलाया जा रहा है। इस केन्द्र को कई पूर्वानुमान लगाने में भी सफलता मिली है। स्वीडन के अधिकारियों ने हाई3जी के 418 मोबाइल टावर्स नेटवर्क से जरिए डेटा संग्रहित आंकड़ों पर अध्ययन शुरू कर दिया है।
रेन गेज सिस्टम अप्रभावी
स्वीडिश मैटियोरोलॉजिकल एंड हाइड्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के हाइड्रोलॉजिस्ट जैफेट एंडरसन का कहना है कि रेन गेज सिस्टम से सटीक आंकड़े नहीं मिलते। इस मामले में एमएफटीटी नेटवर्क कारगर साबित हो सकता है। यह वातावरण में आद्रता और फॉग की पहचान करने में सक्षम है।
इजरायल का आद्रतामापी मैप
इजराइल की तीन टेलीकॉम कंपनी और पिनहास अलपर्ट तेल अवीव यूनविर्सिटी ने ने 5,000 टावर्स से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर आद्रतामापी मैप तैयार किए हैं। ये आंकड़े इजरायल मौसम विज्ञान सेवा से प्राप्त आंकड़ों से ज्यादा सटीक साबित हुए हैं।
क्लाउड स्कैनिंग ग्राउंड राडार तकनीक
यह एक भू-भौतिकीय नॉन डिस्ट्रक्टिव तकनीक है। इसका उपयोग सूक्ष्य अंशों की इमेज हासिल करने में किया जाता है। यह विद्युत चुम्बकीय विकिरण का उपयोग रेडियो स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेब बैंड के जरिए करती है। इस विधि के जरिए रॉक, मिट्टी, बर्फ, पानी की बूंदों, फुटपाथ की संरचनाओं को चिह्नित करने में भी किया जाता है।
क्या है एमएफटीटी
यहएक टेलीफोनिक तकनीक है, जो वायरलेस फॉर्म में फोन टू फोन स्वतंत्र अवस्था में काम करती है। यह मोबाइल फोन के बेस स्टेशनों से सेलुलर नेटवर्क से कनेक्ट होता है। इसके जरिए ही आवाज, डेटा और अन्य सूचनाओं का ट्रांसमिशन होता है। इस काम में इलेक्ट्रोमैगनेटिक वेव की भूमिका अहम होती है। इससे प्राप्त डेटा को शेयर कर बिगटेलीकॉम डेटा फम्र्स ऑरेंज और टेलीसेलफासो (बुर्कीनाफासो) फम्र्स ने सिएरा लियोन में भूस्खलन में फंसे काफी लोगों को बाहर निकालने में भी मदद की। इससे प्राप्त अनुमानों के आधार पर बाढ़ राहत कार्यक्रम बेहतर पेजयल व्यवस्था आदि में भी मदद मिल सकती है।
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