शांति धारीवाल ने प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्ष के शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष जोशी के नाम पुकारने पर माफी मांगी। इसके बाद जब सदन का गतिरोध समाप्त हुआ, तो नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि उस समय अच्छे से नहीं सुना। इसके बाद धारीवाल ने वापस माफी मांगी। धारीवाल ने कहा कि एक दिन पूर्व पुलिस की अनुदान मांगों पर जब मैं जवाब दे रहा था, तो कुछ शब्द गलत निकल गए। दरअसल राजस्थान मरू प्रदेश है और मैं इसके बारे में कुछ कहना चाहता था। लेकिन स्लीप ऑफ टंग के कारण गलत शब्द निकल गए। इसका अहसास होते ही संबोधन के दौरान ही मैंने सभापति से उन्हें कार्यवाही से हटाने का अनुरोध भी किया था। इसका मुझे खेद है। मैं व्यक्तिगत तौर पर महिलाओं का बहुत सम्मान करता हूं और करता रहूंगा। यदि मेरे शब्दों से ठेस लगी है तो मैं माफी मांगता हूं।
नारी का अपमान हुआ, 72 लोग क्या कर रहे थे
धारीवाल की माफी मांगने से पहले नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने अध्यक्ष जोशी से कहा कि आप इस घटना को सामान्य घटना के तौर पर न लें। राजस्थान बहादुरों के लिए जाना जाता है, बलात्कार करने वालों के लिए नहीं। मंत्री के शब्दों से प्रदेश की महिलाओं में ही नहीं, सभी के मन में बहुत आक्रोश है। जब घर से चला तो एक आदमी ने मुझे यहां तक कहा कि आप 72 लोग विधानसभा में क्या कर रहे हो? जो शब्द बोले गए, उससे नारी का अपमान है और प्रदेश से जो बहादुर सीमा पर रक्षा कर रहे हैं, उनका भी अपमान है। यहां सदन में बैठकर एक दूसरे पर छींटाकशी करते हैं, यह समझ में आ सकता है। लेकिन मंत्री इतनी घटिया स्तर की बात कर जाएं और राजस्थान के लोगों का जो अपमान किया है, उसका कोई स्थान नहीं है।
चुनाव रूझान का असर
सदन में भाजपा के पक्ष में आए रूझान का असर भी देखने को मिला। भाजपा के सदस्यों ने हंगामे के दौरान वैल में योगी-मोदी को लेकर नारे लगाए।