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65 की उम्र और ये जुनून…ग्यारसी कदमों से यूं नापते जा रहे हैं जमीन, अब तक जीत चुके हैं इतने मेडल

65 साल की उम्र में भी जवानों सा जूनून, एथलेटिक्स में अब तक जीत चुके हैं तीन गोल्ड

जयपुरOct 28, 2018 / 05:38 pm

rohit sharma

Athlete

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जयपुर: हौसला और जुनून, ये दो ऐसी नेमतें हैं, जो अगर किसी इंसान में हो, तो वह पहाड़ों का सीना चीर कर नदी निकालने की कहावत को भी चरितार्थ कर सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जयपुर के रहने वाले 65 से भी ज्यादा वर्ष की उम्र वाले ग्यारसीलाल सैनी ने, जिन्होंने उम्र की सारी बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए न सिर्फ अपनी फिटनेस का सबूत दिया, बल्कि इस आयुवर्ग की दौड़ स्पर्धाओं में भाग लेकर विजय पताका लहरा रहे है।

 

सैनी ने हाल ही में 20 से 21 अक्टूबर को अजमेर में संपन्न हुई राजस्थान मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 65 प्लस आयुवर्ग की 5000 मीटर,1500 मीटर,800 मीटर और 100 मीटर की रिले में भाग लिया था। प्रथम तीन प्रतियोगिताओं में रिकार्ड समय में दौड़ पूरी कर उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त कर तीन गोल्ड अपने नाम किए और सौ मीटर रिले दौड प्रतियोगिता में रजत हासिल किया। रिले में रजत हासिल करने का भले ही ग्यारसीलाल को मलाल रह गया हो, लेकिन उनके जुनून और जीत के जज्बे के साथ दौड़ते कदमों ने उनके हमउम्र कई हौसलों को भी उड़ान दे दी।


40 की उम्र में दौड़ना किया शुरू

सैनी इससे पहले भी कई दौड़ प्रतियोगिताओं,मैराथन में जयपुर व राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके है। उन्होंने 40 की उम्र में दौडना शुरू किया और 67 साल उम्र होने के बाद भी अभी तक दौड़ते रहने की चाहत उनमें बरकरार है। वे बताते हैं कि स्कूल के समय में वह कबड्डी खेला करते थे, टीम में कप्तानी किया करते थे और कई बार इंटर स्कूल प्रतियोगिता में जीत भी हासिल की। स्कूल खत्म करने बाद ही उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते 20 वर्ष की उम्र में पीएचईडी में एक सहायक के तौर पर नौकरी शुरू की। 20 साल नौकरी करने के बाद 40 साल की उम्र में दौड़ के प्रति उनका रूझान बढ़ने लगा।


सामान्य रूप से किया दौड़ना शुरू,फिर बने खिलाड़ी

सैनी ने बताया कि जयपुर के चौगान स्टेडियम में उन्होंने सामान्य रूप से दौड़ना शुरू किया। बाद में एक खिलाड़ी के रूप में दौडने लगे। सैनी ने राज्य सरकार की ओर से ग्रीष्मकालीन अवकाश में अयोजित होने वाले कैंप में बच्चों को ट्रेनिंग भी दी। उन्होंने कई सीनियर कैटेगरी की राष्ट्रस्तरीय व राज्य स्तरीय दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया। सन 1980-85 के आस पास उन्होंने पहली बार बेंगलूरू में आयोजित नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपयिनशिप में हिस्सा लिया था। उसके बाद वह हैदराबाद, गुवाहाटी और पंजाब भी गए, पर अब तक वह केवल एक प्रतिभागी बनकर रहे।

 

उनके सफर की शुरूआत उनके जयपुर से हुई। 15 अगस्त 2007 में राजस्थान विश्वविद्यालय में अयोजित नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सीनियर कैटेगरी की 5000 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल जीता, तो 1500 मीटर में दूसरे स्थान पर रह कर रजत पदक अपने नाम किया। इसके बाद उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपनी जीत का परचम लहराया।

 

एसएमएस स्टेडियम के उस समय के एथलेटिक कोच महावीर सैनी ने हर कदम पर उनका हौसला बढा उन्हें गाइड किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खर्चे पर ही आज तक सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। सरकार की ओर से उन्हें कभी भी किसी तरह की सहायता नहीं मिली। यह बात कहते हुए उनकी आंखें भर आई कि एक बार आर्थिक तंगी के चलते वह इंटर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाए थे।

 

भविष्य में आप किस ओर कदम बढाने वाले है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि खेल को जीवन समर्पित है। फरवरी माह में हैदराबाद में होने वाली नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वह हिस्सा लेंगे और हो सका तो यहां भी विजयी परचम लहराएंगे।

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