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जेकेके बाद अब रवीन्द्र मंच का फ्राइडे थिएटर बंद

जयपुर. शहर के रंगकर्मियों को सरकारी स्तर पर मंच प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू हुए फ्राइडे थिएटर पर फिर संकट के बादल मंडरा चुके हैं। जेकेके के बाद अब रवीन्द्र मंच पर भी वीकेंड थिएटर की योजना बंद होने की स्थिति तक पहुंच चुकी है। पिछले कई महीनों से बजट के अभाव में फ्राइडे थिएटर के तहत एक भी प्रस्तुति नहीं हो पाई है और आगे भी विभागीय स्तर पर किसी भी नाटक को करवाने की कोई प्लानिंग नहीं है। आर्ट एंड कल्चर डिपार्टमेंट ने रवीन्द्र मंच प्रशासन के फ्राइडे थिएटर के प्रपोजल अब तक सहमति नहीं दी है और ना ही विभाग की ग्रांट स्कीम से मंच को बजट उपलब्ध करवाया है। विभागीय उदासी के चलते मंच प्रशासन भी फ्राइडे थिएटर को लेकर गंभीर नहीं है। वरिष्ठ रंगकर्मियों ने बताया कि नवम्बर 2016 में शुरू हुए फ्राइडे थिएटर का अंत अब लगभग तय है। विभागीय अधिकारी आचार संहिता के नाम पर कुछ भी बताने से दूर हो रहे हैं।
 

जयपुरNov 04, 2018 / 08:03 pm

Anurag Trivedi

जेकेके बाद अब रवीन्द्र मंच का फ्राइडे थिएटर बंद

यंग डायरेक्टर्स के लिए था फायदेमंद
पिछले डेढ़ साल में फ्राइडे थिएटर में सीनियर और यंग डायरेक्टर्स ने अपने नाटकों को प्रदर्शित किया है। यह प्लेटफॉर्म यंग डायरेक्टर्स के लिए बेहतर साबित रहा है। रवीन्द्र मंच प्रशासन ने भी इस पर गंभीरता दिखाते हुए फ्राइडे थिएटर में एक बार प्रदर्शित हो चुके नाटक को फिर से मौका नहीं दिया, इसके कारण हर हफ्ते अलग नाटक देखने को मिलता था। शहर के अधिकांश कलाकारों ने इस योजना के तहत अपने चर्चित नाटकों को प्रदर्शित किया, वहीं कुछ यंग डायरेक्टर्स ने नए प्रोडक्शन के साथ इस प्लेटफॉर्म को यूज किया। रवीन्द्र मंच थिएटर डायरेक्टर को फ्राइडे थिएटर के मानदेय के रूप में 14 हजार रुपए दिया करता था, जबकि जेकेके में इस स्कीम के तहत डायरेक्टर को 6 हजार रुपए ही मिला करते थे।
जेकेके करोड़ों का बजट लेकिन वीकली प्रोग्राम शुरू नहीं कर पाए

रंगकर्मियों का मानना है कि जवाहर कला केन्द्र ने जब फ्राइडे थिएटर को बंद किया तो लगा कि स्थानीय कलाकारों को बड़े स्तर पर काम मिलना शुरू होगा। इसके जवाब में कुछ महीने पहले जेकेके ने वीकेंड थिएटर के नाम पर कार्यक्रम शुरू किया था, लेकिन इसे हर सप्ताह लागू नहीं कर पाए। महीने में एक या दो प्ले भी मुश्किल से हो रहे हैं और इसमें भी बाहर के निर्देशकों को भी मौका दिया जा रहा है। हालांकि जेकेके ने नाटकों के मानदेय में बढ़ोतरी कर दी है, अब यह मानदेय 50 हजार से पार भी कर गया है।

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